- निगम क्षेत्र में यूनिपोल पर प्रचार सामग्री लगाने वालों पर करीब 20 लाख का लगाया जुर्माना
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जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम के गृहकर विभाग के जिस इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल के खिलाफ रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत हुआ था। उसके खिलाफ अभियोग चलाने के लिए जांच अधिकारी ने नियुक्ति निदेशक को पत्र भेजकर अनुमति मांगी। नियुक्ति निदेशक के पत्र पर नगर निगम द्वारा जितेंद्र अग्रवाल पर अभियोग चलाने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।
जिसमें एक बार फिर से जितेंद्र अग्रवाल पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। दर्ज रिस्वत लेने के मामले में दर्ज मुकदमे में उसे मुख्य आरोपी बनाया गया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। मामले के करीब एक महीना बाद वह नगर निगम में ड्यूटी पर जा पहुंचा। मीडिया द्वारा जानकारी करने पर उसने पूरे मामले से ही अभिन्ज्ञता जता दी थी।
नगर निगम के गृहकर विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनिमय के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस हाइप्रोफाइल मामले में निगम के ही गृहकर विभाग के कर्मचारी मुन्नवर को पांच हजार की रिश्वत लेने के मामले में एंटी करप्शन की टीम ने रंगे हाथ पकड़ लिया था। जबकि जितेंद्र अग्रवाल फरार होने में कामयाब हो गया था। जिसमें मुन्नवर ने दर्ज मुकदमें के दौरान पुलिस को बयान दिया कि उसने इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल के कहने पर ही जफर से पांच हजार रुपये रुपये थामे थे।
पुलिस ने मुन्नवर का चालान कर उसे जेल भेज दिया था। कुछ दिनों तक तो एंटी करप्शन टीम ने आरोपी इंस्पेक्टर की तलाश में दबिश दी, लेकिन बाद में आरोपी इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। जिसके बाद इंस्पेक्टर ने फिर से ड्यूटी ज्वाइंन कर ली। मीडिया द्वारा मामले की जानकारी ने इस पूरे प्रकरण की जानकारी से ही पल्ला झाड़ लिया। इस मामले की जांच अधिकारी अशोक कुमार से बात की गई तो वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे। जनवाणी ने इस मामले को प्रमुखता से छापा, जिसके बाद इंस्पेक्टर जितेंद्र अग्रवाल पर फिर से एक बार कार्रवाई की तलवार लटक गई है।
मुख्य आरोपी होने के कारण जांच अधिकारी के द्वारा इंपेक्टर जितेंद्र अग्रवाल पर अभियोग चलाने के लिए लखनऊ से नियुक्ति निदेशक से संपर्क साधा और पत्र भेजकर अनुमति मांगी। नियुक्ति निदेशक ने इस संबंध में नगर निगम को पत्र लिखा। उस पत्र पर नगर निगम के अधिकारियों ने भी जांच अधिकारी को पूरा सहयोग करने की बात कहते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति देते हुए पत्र का जवाब लखनऊ नियुक्ति निदेशक के यहां भेज दिया है। जिसके बाद अब जितेंद्र अग्रवाल पर फिर से कार्रवाई की तलवार लटक गई है।