फीचर डेस्क |
डायबिटीज की स्थिति शरीर को कई प्रकार से गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, कुछ स्थितियों में यह जानलेवा बीमारियों का कारण भी बन जाती है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को डायबिटीज से बचाव करने और ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल में रखने की सलाह देते हैं।
रक्त शर्करा का बढ़ना आंखों से लेकर किडनी, तंत्रिकाओं, लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों की क्षति का कारण बन सकता है। मधुमेह की ऐसी ही अनियंत्रित और गंभीर स्थिति है- डायबिटिक कीटोएसिडोसिस। डॉक्टर्स के मुताबिक इस समस्या पर समय रहते ध्यान न देना या इसका इलाज न हो पाना जानलेवा भी हो सकती है। इस तरह के खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी मधुमेह रोगियों को इसके लक्षणों के बारे में ध्यान देते रहना चाहिए।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस मधुमेह की एक गंभीर और जटिल स्थिति है। यह स्थिति तब विकसित होती है जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। पर्याप्त इंसुलिन के अभाव में शरीर फैट का ही ईंधन के रूप में ब्रेक डाउन करना शुरू कर देता है। इस स्थिति में रक्त में कीटोन्स नामक एसिड बढ़ने लग जाती है।
यदि समय रहते इस पर कंट्रोल न किया जाए तो यह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का कारण बन सकती है। कई स्थितियां हैं जो इस समस्या को बढ़ावा दे सकती हैं, जैसे शारीरिक या भावनात्मक आघात, दिल का दौरा या स्ट्रोक, गर्भावस्था, शराब या नशीली दवाओं का अधिक सेवन आदि।
मधुमेह के शिकार लोगों को शरीर में हो रहे बदलावों पर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के लक्षण काफी तेजी से नजर आने लगते हैं। समय पर इसकी पहचान और इलाज बहुत जरूरी माना जाता है। मधुमेह केटोएसिडोसिस के लक्षण यूरिन टेस्टिंग किट्स की मदद से देखे जा सकते हैं।
- बहुत प्यास लगना
- बार-बार पेशाब आना
- पेट दर्द होना
- कमजोर या थका हुआ होना।
- पेशाब में कीटोन्स का स्तर बढ़ना।
- बार-बार यूटीआई की समस्या होना।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के कारण किडनी फेलियर के मामले सबसे अधिक देखे जाते रहे हैं, कुछ लोगों में यह लिवर से संबंधित गंभीर समस्याओं का कारण हो सकती है। ये दोनों ही समस्याएं गंभीर स्थिति में जानलेवा हो सकती हैं। खून और पेशाब की जांच के माध्यम से कीटोन्स के स्तर का पता लगाने में मदद मिलती है, यदि आपमें डायबिटिक कीटोएसिडोसिस के बारे में पता चलता है तो इसमें तुरंत डॉक्टरी सहायता ली जानी चाहिए।
इंसुलिन थेरेपी और दवाइयों के माध्यम से डॉक्टर डायबिटीज को नियंत्रित करके संबंधित जोखिमों को कम करते हैं। यह आपात स्थिति मानी जाती है ऐसे में समय पर इलाज बहुत आवश्यक हो जाता है। इलाज में देरी या कीटोन्स का स्तर बढ़ना कई अंगों की क्षति का कारण बन सकता है।
जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है और रक्त शर्करा का स्तर अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उन्हें इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को लेकर सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। इस तरह की गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए डायबिटीज को कंट्रोल में रखना सबसे आवश्यक माना जाता है।
समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच कराते रहें, यदि इंसुलिन ले रहें हैं तो इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न करें। डॉक्टर की सलाह पर कीटोन्स के स्तर की जांच कराना भी जरूरी हो जाता है। मधुमेह की इस तरह की जटिलताएं गंभीर मानी जाती है, लेकिन अच्छा देखभाल करके इनसे बचाव किया जा सकता है। लक्षणों पर ध्यान देते रहें।