जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: शहर की प्रमुख महिला रोग विशेषज्ञ डा.नूतन उपाध्याय का कहना है कि गर्भस्थ शिशु में किसी तरह का शारीरिक और मानसिक विकार तो नही है, इसका पता लगाने के लिए समय पर टेस्टिंग कराना बेहद जरुरी है। इससे काफी हद तक नवजात शिशु और गर्भवती मां को बचाया जा सकता है।
डा. नूतन उपाध्याय ने ये विचार मेरठ में इंडियन सोसाइटी आफ पेरिनेटोलोजी एंड रिपरोडक्टिव बायोलॉजी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वार्षिक नेशनल कांफ्रेंस में साझा किए। कांफ्रेंस में नवजात शिशु की गर्भ में मृत्यु होने जैसी जटिल समस्याओं पर देश विदेश से आए प्रमुख स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों ने चर्चा की।
डा. नूतन उपाध्याय ने चर्चा में भाग लेते हुए संबंधित विषय पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यदि गर्भस्थ महिला की पहले तिमाही में ही स्क्रीनिंग टेस्ट करा ले तो बडी से बडी कमी का पता समय से लग सकता है।
विशेषकर बच्चा मंदबुद्धि तो नहीं है या उसमे कोई शारीरिक विकार तो नही है, इसके लिए खास तरह की बायो कैमिकल टेस्टिंग होती है। उसके स्क्रीनिंग करने से पता चल जाता है कि कहीं ज्यादा खतरा तो नहीं है।
डा. नूतन उपाध्याय ने कहा कि प्रथम तिमाही में ही यदि नवजात के संबंध में संपूर्ण जानकारी मिल जाती है तो नवजात शिशु में किसी तरह की गंभीर कमी व उसके मंदबुद्धि होने का पता लगाया जा सकता है और फिर सही उपचार कर गर्भवती माँ और शिशु को बचाया जा सकता है।
मेरठ में आयोजित इस कांफ्रेंस में सोसाइटी की उपाध्यक्ष डा. प्रियंका गर्ग, सचिव डा. अर्चना गोयल तथा आइसोपर्ब के अध्यक्ष डा. गंगाधर साहू आदि चिकित्सा विशेषज्ञों ने डा. नूतन उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत विषय पर आधारित रिपोर्ट को काफी सराहा।
डा. नूतन उपाध्याय अब से पूर्व भी विभिन्न राज्यों में आयोजित हुई कई राष्ट्रीय स्तरीय सेमीनार और गोष्ठियों में महिला और नवजात शिशु के स्वास्थ्य और सुरक्षित प्रसव आदि विषयों पर व्याख्यान दे चुकी है।
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