Wednesday, December 4, 2024
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मदरसों में ड्रेस कोड पर उलेमा खफा

  • मदरसा बोर्ड के प्रस्ताव पर कई मदरसा संचालक हुए नाराज

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले तलबाओं (छात्र) के लिए क्या अब नया डेÑस कोड लागू होगा? इस सवाल की आहट से तमाम मदरसा संचालक, तलबा और उलेमा खासे विचलित हैं। उलेमाओं का मानना है कि यदि मदरसों में सरकार अपने हिसाब से ड्रेस कोड लागू करेगी तो इसकी मुखालफत होना तय है। मेरठ के शहर काजी व उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के पूर्व चेयरमेन प्रो. जैनुस साजेदीन भी इस मसले पर बेहद गंभीर हैं।

दरअसल, यूपी मदरसा शिक्षा परिषद् की लखनऊ में हुई बैठक में मदरसों में ड्रेस कोड को लेकर भी प्रस्ताव लाया गया। हालांकि इस पर अभी कोई अन्तिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन शहर काजी प्रो. जैनुस साजेदीन का कहना है कि मदरसों के तलबा का अपना अलग ही रिवायती यूनिफॉर्म होता है और यह पूरी तरह से इस्लामी रिवायत के मुताबिक होता है। इस लिबास में किसी प्रकार की तब्दीली यदि की जाए तो सरकार इस बात का पूरा ध्यान रखे कि होने वाली तब्दीली शरीयती ऐतबार के हिसाब से ही होनी चाहिए।

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शहर काजी के अनुसार जो मौजूदा डेÑस कोड विभिन्न मदरसों में लागू है वो पूरी तरह से शरीयत के हिसाब से दुरुस्त है और इसमें किसी भी प्रकार की तब्दीली को वो जरुरी नहीं समझते। मदरसों में तलबाओं के ड्रेस कोड के मुद्दे को प्रो. जैनुस साजेदीन ने मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार की दखलअंदाजी बताया। इसके अलावा मदरसों में पाठ्यक्रम को लेकर शहर काजी ने कहा कि यदि यहां पर एनसीआरटीसी की किताबें सरकार पढ़ाना चाहती है तो उन्हें इस पर कोई एतराज नहीं है। गौरतलब है कि कुछ आधुनिक प्राइवेट मदरसों में इस समय भी तलबाओं को एनसीआरटीसी की किताबे पढ़ाई जा रही हैं।

अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के अधिकार सीमित करने की तैयारी!

मदरसोें के शिक्षकों एवं अन्य शिक्षणेत्तर कर्मियों के खिलाफ होने वाली किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई का अन्तिम अधिकार अब मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को सौंपने की तैयारी की जा रही है। इस संबध में एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। अब तक इन शिक्षकों अथवा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार संबधित जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को था।

इस संबंध में बाकायदा एक प्रस्ताव लखनऊ में हुई उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद् की बैठक में भी रखा गया है। हांलाकि यह अभी पारित नहीं हुआ है लेकिन इसमें अन्तिम फैसला शीघ्र लिए जाने की तैयारी है। गौरतलब है कि प्रदेश भर में कई मदरसा शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मियों का आरोप था कि जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी उनके खिलाफ अनावश्यक रुप से कार्रवाई करते हैं। यदि इस संबध में कोई अन्तिम निर्णय होता है और कार्रवाई का अन्तिम अधिकार रजिस्ट्रार को सौंपा जाता है

तो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के अधिकारों में कटौती हो जाएगी। बैठक में मदरसो एवं यहां की शिक्षा प्रणाली को लेकर कई अन्य प्रस्ताव भी रखे गए जिन पर अगली बैठक में अन्तिम फैसला लिए जाने की उम्मीद है। बैठक में मदरसा बोर्ड के चेयरमेन डॉ. इफ्तेखार अहमद जावेद के अलावा बोर्ड के सदस्यों कमर अली, तनवीर रिजवी, डॉ. इमरान अहमद,असद हुसैन, प्रो. मो. फारुख अंसारी व मो. जुबैर खां सहित अन्य पदाधिकारी व मदरसों से जुड़े लोग मौजूद थे।

बैठक में लाए गए मुख्य प्रस्ताव

  • मदरसों के लिए यूनिफॉर्म कोड लागू किया जाना चाहिए
  • मदरसों के बिलों का कार्य डीएमओ कार्यालय स्तर से हो
  • मदरसों का एकेडमी केलेण्डर जारी होना चाहिए
  • हाफिज एवं कारी पाठ्यक्रम के संबंध में रुपरेखा तैयार हो
  • मदरसों में शिक्षण शुल्क के अलावा आंशिक शुल्क निर्धारित हो
  • मदरसों में शिक्षकों के विभिन्न स्तर पर कार्यों का निर्धारण हो
  • अरबी फारसी परीक्षाओं का शुल्क आॅनलाइन जमा करने की व्यवस्था हो
  • कामिल एवं फाजिल की डिग्रियों के लिए एक समकक्षता समिति बने
  • मदरसों को और बेहतर बनाने का प्रस्ताव भी बैठक में रखा गया
  • मदरसों में शिक्षण कार्य के लिए पूर्व में लागू समय सारणी को पुन: लागू किया जाए
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