- रिकॉर्ड रूम में गृहकर एवं जलकर विभाग समेत अन्य रिकॉर्ड हो सकता है खराब
- पॉलीथिन से ढापकर दुरुस्त किया जा रहा रिकॉर्ड
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम का दुर्लभ रिकॉर्ड अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक बार फिर से खतरे में है। बरसात में जब जर्जर छत से पानी टपकता है, तब छत एवं रिकॉर्ड पर पॉलीथिन डालकर उसका बचाव किया जाता है। निगम के अधिकारियों के द्वारा छत की मरम्मत कराने या फिर रिकॉर्ड को जर्जर भवन से दूसरी जगह शिफ्ट कराने का कोई अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। निगम के अधिकारियों को परवाह नहीं है कि घनी बरसात के दौरान यदि छत गिर गई तो दुर्लभ रिकॉर्ड खराब होकर नष्ट हो जायेगा। अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड का इस तरह से रखरखाव तब कराया जा रहा है, जब पूर्व में रिकॉर्ड रूप में एक बार आग लगने से महत्वपूर्ण रिकॉर्ड जलकर नष्ट हो चुका है।
नगर निगम का रिकॉर्ड रूम काफी समय से जर्जर हालत में है। बरसात में जर्जर भवन की छत से पानी रिकॉर्ड पर जब-टप-टप करके टपकता है तो उस समय रिकॉर्ड को पॉलीथिन से ढककर सुरक्षित किया जाता है। निगम में रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने में अधिकारी तब लापरवाही बरत रहे हैं, जब पूर्व में एक बार इसी रिकॉर्ड रूप में आग लगने से काफी महत्वपूर्ण रिकॉर्ड जलकर नष्ट हो चुका है। वहीं, रिकॉर्ड के नष्ट होने की रही सही कसर उस समय पूरी हो सकती है। जब बरसात आदि में यदि छत भरभराकर रिकॉर्ड पर यदि गिर गई। महत्वपूर्ण रिकॉर्ड पर पानी के टपकने के मामले को अधिकारी शायद गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
शायद उन्हे रिकॉर्ड रूम के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने की मानो जैसे परवाह ही नहीं है। यदि परवाह होती तो या तो अब तक जर्जर छत की मरम्मत करा दी गई होती या फिर रिकॉर्ड रूम से रिकॉर्ड को दूसरे भवन में कम से कम बरसात के समय में तो शिफ्ट करा दिया होता, लेकिन निगम के अधिकारी रिकॉर्ड रूम के प्रति उदासीन दिखाई दे रहे हैं। रिकॉर्ड रूम में मुख्य रूप से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र एवं गृहकर-जलकर का वर्षों पुराना रिकॉर्ड रखा हुआ है। रिकॉर्ड रूम में रंजीत सिंह एवं उमेश मोहन कार्यरत हैं। उनके द्वारा बरसात के समय रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए पॉलीथिन आदि डालकर प्रयास किया जाता है, लेकिन यदि रात में तेज बारिश में जर्जर छत ढह गई तो रिकॉर्ड को सुरक्षित बचाना मुश्किल होगा।
वह बरसात के पानी व छत के मलबे से खराब होकर नष्ट हो सकता है। फिलहाल निगम के रिकॉर्ड रूप में महत्वपूर्ण रिकॉर्ड खतरे में दिखाई दे रहा है। रिकॉर्ड रूम में कार्यरत उमेश मोहन ने बताया कि उनके द्वारा रिकॉर्ड को बरसात में सुरक्षित करने का प्रयास किया जाता है, वैसे मामले की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी गई है कि बरसात के समय छत से पानी अक्सर टपकता है। इस संबंध में अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनके मोबाइल पर संपर्क नहीं हो सका।
चूना गोदाम, जल निगम के स्टोर की छत भी जर्जर
ऐसा नहीं है कि निगम में रिकॉर्ड रूम की छत ही जर्जर हो रही है। जिसमें चूना गोदाम की छत भी जर्जर हो चुकी है। चूना गोदाम केवल रिकॉर्ड में कई वर्षों से चल रहा है, लेकिन धरातल पर देखा जाये तो वह खंडहर में तब्दील हो चुका है, बरसात में छत से पानी टपकने के डर से उसमें चूना आदि रखा ही नहीं जाता। बाजार से चूना खरीदकर निगम लाया जाता है और गोदाम में रखने की जगह परिसर से ही दूसरे वाहनों में संबंधित वार्डों एंव स्थलों पर भिजवा दिया जाता है। जहां पर कोई कार्यक्रम आदि आयोजित होना है। वहीं जल निगम के स्टोर की छत भी पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। यदि चूना गोदाम की छत ठीक होती तो पूर्व में निगम का सबसे बड़ा घोटाला चूना घोटाला न होता, जिसमें चूना घोटाले की फाइल आज तक गायब है।