- सबसे पहले शामली गन्ना समिति में एक करोड़ का घोटाला हुआ था उजागर
- सही किसान के स्थान पर चहेते किसानों के खाते में भेजे दिए थे रुपये
जनवाणी ब्यूरो |
शामली: गन्ना समितियों में वर्ष 2006 से 2015 के मध्य अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान में कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा भारी अनियमितता की गई। इसका खुलासा शामली गन्ना समिति में हुए घोटाले से उजागर हुआ जिस पर प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी ने प्रदेश की समितियों पर अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान की जांच कराई। जांच में हजारों किसानों के खाते में 117 करोड रुपये की धनराशि भेजी गई है।
गन्ना समितियों में वर्ष 2006-07 तथा 2015-16 तक अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान में भारी वित्तीय अनियमितता की गई इसका खुलासा गन्ना समिति शामली में हुआ था। दोषी कर्मचारियों ने सांठगांठ कर सही किसानों के स्थान पर अपने चहेते किसानों के खातों में धनराशि भेज दिया था।
इस तरह शामली गन्ना समिति में एक करोड़ रुपये की हेराफेरी की। किसानों की शिकायत पर जांच की गई जिसमें समिति के कर्मचारी एवं अधिकारी रामफल, राजवीर सिंह, जितेंद्र, शौकीन, रामशंकर, बेगराज सिंह, रिपुदमन, शशि प्रकाश के खिलाफ निलंबन कर एफआईआर दर्ज की गई थी जिसके बाद गबन किए गए धन की रिकवरी कर पात्र किसानों के खाते में भेजा गया।
इसके बाद प्रदेश के गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी के आदेश पर प्रदेश की सभी समितियों पर अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान की जांच की गई। जांच के बाद अब तक 88255 गन्ना किसानों को उनकी मेहनत का 117 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान विभाग द्वारा किया गया है।
गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी के हवाले से जिला गन्ना अधिकारी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा भ्रष्टाचार पर जीरो टलरेंस की नीति के तहत कार्य किया जा रहा है जिसके तहत 2006 से 2015 तक के अनपेड गन्ना मूल्य भुगतान में की गई वित्तीय अनियमितता को उजागर कर कार्रवाई की गई। इस तरह किसानों को उनकी मेहनत का पैसा मिला। उन्होंने विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वित्तीय अनियमितता मिलने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।