नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भारत सहित कई अन्य देशों में भी करवा चौथ का पर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं माता करवा और चंद्रदेव की विधि-विधान से पूजा करती हैं। पति की दीर्घायु, सुखी वैवाहिक जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हुए वे निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक माना गया है। इस अवसर पर व्रती महिलाएं एक साथ मिलकर करवा चौथ की कथा का पाठ करती हैं और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही, वे पति की तरक्की, पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए कुछ विशेष उपाय और पूजन कर्म भी करती हैं। मान्यता है कि कथा का पाठ यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और जीवन में सौभाग्य, प्रेम और खुशहाली की वृद्धि होती है।
तिथि
पंचांग के मुताबिक चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 9 अक्तूबर को देर रात 10 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन अगले दिन 10 अक्तूबर को शाम 07:38 मिनट पर होगा। ऐसे में 10 अक्तूबर को करवा चौथ का व्रत मान्य होगा।
कथा सुनने का मुहूर्त
करवा चौथ पर सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 7 मिनट तक राहुकाल रहने वाला है। इस समय पूजा-पाठ करने से बचना चाहिए। ज्योतिषियों के मुताबिक करवा चौथ पर शाम 5 बजकर 57 मिनट से लेकर शाम 7:11 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। ऐसे में आप इस अवधि में करवा चौथ के व्रत की कथा का पाठ कर सकती हैं।
व्रत के नियम
करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले ही सरगी ग्रहण करनी चाहिए।
व्रत में भूलकर भी काले रंग के वस्त्र व इस रंग की चीजों का उपयोग भी न करें।
करवा चौथ के व्रत की कथा 16 श्रृंगार और लाल जोड़े में सुननी चाहिए।
चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत का पारण करें।
मन को शांत रखें और किसी भी तरह का नकारात्मक भाव मन में न रखें।
संध्या के समय पूजा अवश्य करें।
इस दिन तामसिक चीजों का सेवन करें।
चंद्रमा को अर्घ्य दें और सुहागिनों को क्षमतानुसार चीजें दान करें।
निर्जला उपवास रखें।

