जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: मुंबई में 2008 के आतंकी हमलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर सियासत गर्म हो गई है। गुरुवार को कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री की बातों को “पूरी तरह गलत” करार दिया है।
चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा, “माननीय प्रधानमंत्री ने जो तीन बातें कही हैं, वे तीनों गलत हैं, बहुत गलत हैं। दुख की बात है कि उन्होंने कल्पना की और उन्हें मेरे नाम से जोड़ दिया।”
क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने?
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को एक चुनावी रैली में बिना नाम लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि “मुंबई हमलों के बाद भारतीय सेना पाकिस्तान पर हमला करने के लिए तैयार थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किसी विदेशी दबाव में आकर सेना को रोक दिया।“
उन्होंने यह भी कहा कि, “मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी ही नहीं, बल्कि जीवंतता का प्रतीक है। 2008 में आतंकियों ने इसी शहर को निशाना बनाया और उस समय की कांग्रेस सरकार ने आतंक के सामने समर्पण का संदेश दिया।”
चिदंबरम ने क्या सफाई दी?
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जैसा पीएम ने दावा किया। उन्होंने लिखा “प्रधानमंत्री ने जो कहा, वह मेरे शब्द नहीं हैं। उन्होंने मेरी बातों की गलत व्याख्या की है। मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा कि सेना हमला करना चाहती थी और सरकार ने मना कर दिया।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
मुंबई हमलों के बाद भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव था।
अमेरिका सहित अन्य देशों ने सैन्य कार्रवाई से परहेज करने की सलाह दी थी।
भारत ने कूटनीतिक विकल्प चुना ताकि स्थिति और न बिगड़े।
क्या था चिदंबरम का मूल इंटरव्यू?
1 अक्टूबर को एक समाचार चैनल से बातचीत में चिदंबरम ने 26/11 हमलों के बाद की स्थिति पर कहा था “हमारे ऊपर अंतरराष्ट्रीय दबाव था, खासकर अमेरिकी गृह विभाग की ओर से।” “हमने सैन्य कार्रवाई की बजाय कूटनीति का रास्ता चुना।” “मैंने 30 नवंबर 2008 को गृह मंत्री का पद संभाला और उसके तुरंत बाद कई अहम बैठकें हुईं।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
प्रधानमंत्री के बयान के बाद भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर ‘राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़’ करने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि:
“प्रधानमंत्री इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।”


