Thursday, March 28, 2024
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जब छोड़ना पड़े बच्चों को अकेला

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Balvani 1


हर बच्चा अलग होता है, कुछ बच्चे जल्दी समझदार हो जाते हैं तो कुछ को देर लगती है। अगर आपको अपने बच्चे में जिम्मेदार होने जैसे कि अपना होमवर्क खुद कर लेने, घर के कामों में हाथ बंटाने और आपकी बात मानने के कुछ संकेत मिल रहे हैं, तो आप उसे घर पर कुछ देर के लिए अकेले छोड़ सकते हैं। पेरेंट्स होने के नाते आपसे बेहतर ये और कोई नहीं जान सकता कि विपरीत स्थिति में आपका बच्चा कैसे रिएक्ट करेगा। अगर वो अचानक आने वाली मुश्किलों को खुद हैंडल कर सकता है, तो आप उसे घर पर छोड़ सकती हैं।

मिसेज अय्यर कल ही अपने बच्चे के बारे में बता रही थी कि कैसे उस दिन उन्हें मजबूरी में अपने बच्चे को अकेला छोड़ना पड़ा, जिसकी वजह से जो उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा, वह उनके लिए दूसरी जिंदगी जीने के बराबर था। उनकी छ: साल की बेटी पिंकी और दस साल के बबूल ने मिलकर बिजली के सॉकेट में उंगली डाल दी। उस वक्त घर की बत्ती खराब थी। उसी को ठीक कराने के लिए मिसेज अय्यर घर से बाहर निकली थी जो उनके लिए एक दुखद घटना बनते-बनते रह गई।

वैसे तो हम और आप दोनों ही अपने बच्चों के लिए अत्यंत सावधानी बरतते हैं और कोशिश करते हैं कि उन्हें कभी भी अकेला न छोड़ें, पर परिस्थितियों के कारण हम कभी-कभी मजबूर हो जाते हैं। बच्चा अगर घर पर अकेला है तो आपको बहुत सावधानी से पेश आना चाहिए। अगर आपका घर दोमंजिला हो तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है क्योंकि ऐसे में उन पर हर समय नज रखना मुश्किल होता है।

बच्चा चलने लगे, तबसे लेकर पांच बरस तक मां बाप को उसकी देखभाल में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। ऐसे में तो अगर आप एक ही कमरे में पीठ मोडकर बच्चे की तरफ से बैठे हैं तो वे उसी क्षण में कुछ हादसा कर बैठते हैं। फिर दुर्घटना होने पर मां बाप अपने को दोषी समझने लगते हैं।

इस तरह की समस्या से बचने के लिए पेश हैं कुछ उपाय:-

बच्चों को अगर आप किसी चीज को करने से मना कर रहे हैं जैसे आप चाहते हैं कि वह आपकी गैर मौजूदगी में प्रेस न करे तो उसे आप डराकर नहीं बल्कि प्यार से समझाएं। बेवजह डराने से वह आक्रामक होकर वही कर सकता है।

बिजली के स्विच हमारे घरों में कभी-कभी कमरे में नीचे की तरफ लगे होते हैं। आपका बच्चा अगर अभी घुटने से चलता है तो वह उन स्विच को छू सकता है। इसका सरल उपाय यह है कि आप उन स्विच में चौड़ा वाला ब्राउन टेप लगाएं जिससे उस स्विच का दिखना बंद हो जाए। किसी चमकीली वस्तु का इस्तेमाल न करें। इससे बच्चा उसकी तरफ ही आकर्षित हो सकता है।

अगर आप कभी भी अपने बच्चे को किसी मुसीबत में घिरा हुआ पाएं तो उसे देखते ही पहले चिल्लाना न शुरू करें। पहले तो शांति से उस चीज को करने से मना करें। फिर उसे भाषण सुनाना न शुरू कर प्यार से दुलारें। जब वह नार्मल हो जाए तब उसे उस दुर्घटना की स्थिति के बारे में अवगत कराएं।

किचन में आकर अगर बच्चा आपका पल्लू घसीटता है तो उसकी चीख-चिल्लाहट से बचने के लिए माचिस, लाइटर, जैसी चीजें उठा कर यह कहकर दे देती हैं कि लो, ले जाओ, खेलो। इस तरह से खतरनाक चीजों को उठा कर देना दुर्घटना को बुलावा देना है। तीन चार साल के बच्चे को माचिस जलाकर दिखाएं और उसे उससे होने वाले खतरे के बारे में समझाएं। प्यार से दी हुई हिदायत बच्चे पर जरूर असर करेगी।

गैस को रेगुलेटर से आॅफ कर दें और हो सके तो किचन को बाहर से लॉक कर दें। पानी वगैरह बाहर निकाल कर रखें।

खाने-पीने के डिब्बे जिन्हें बच्चा अपने आप से खोलता व खाता है, वे न तो ऊंचाई पर रखें और न ही कांच के प्रयोग करें। प्लास्टिक के डिब्बों को ही प्रयोग करें। कांच का बरतन अगर गलती से टूट गया तो कांच बिखरने पर आपके लाडले को चोट लग सकती है।

इन सब से परे एक बात यह है कि अपने बच्चे को घर में अकेला न छोडं़े। अगर आपको किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ रहा है तो अपने किसी परिचित के यहां बच्चे को छोड़ जाएं क्योंकि ‘प्रिवेंशन इज बैटर दैन क्योर’।

तरन्नुम


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