Friday, April 19, 2024
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कोरोना पर फोकस, अन्य को कहां से मिले इलाज

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  • इलाज के लिये परेशान मरीज, दर-दर भटक रहे
  • कैंट अस्पताल में स्थित आंखों का अस्पताल भी बंद, निजी चिकित्सकों के यहां मची लूट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना महामारी के चलते अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीज इलाज के लिये कभी मेडिकल तो कभी जिला अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन यहां ओपीडी ही बंद हैं। जिसके चलते मरीज परेशान हैं।

यही हाल कैंट अस्पताल का है यहां भी नेत्र चिकित्यालय व अन्य विभाग में डॉक्टर ही नहीं है जिस कारण लोगों को यहां इलाज नहीं मिल पा रहा है। लोगों की आंखों में परेशानी हैं। उनसे दर्द सहन नहीं हो रहा है, लेकिन कोई सुनने वाला नही है। कई बार शिकायत के बाद भी ओपीडी शुरू नहीं हो पाई है जिससे गरीबों को इलाज नहीं मिल पा रहा है।

वर्तमान स्थिति में कोरोना केसों की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई है, लेकिन उसके बावजूद अभी तक जिला अस्पताल और मेडिकल में ओपीड़ी शुरू नहीं हो पा रही है। मेरठ की बात करें तो यहां आधे से ज्यादा आबादी सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज कराते हैं।

गरीब और मजदूर लोग चिकित्सा सुविधा महंगी होने के कारण सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज कराते हैं, लेकिन इस समय कोरोना महामारी के चलते पिछले दो माह से सरकारी अस्पतालों जिसमें मेडिकल, जिला अस्पतला समेत कैंट अस्पताल में भी ओपीड़ी बंद पड़ी है।

जिस कारण रोजाना आने वाले मरीजों को यहां इलाज नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल में नेत्र रोग, हड्डी रोग, चर्म रोग, पेट रोग आदि के लिये विशेषज्ञ डॉक्टर इलाज करते हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना महाकारी के चलते सभी डॉक्टरों की ड्यूटी को शिफ्ट कर दिया गया है। यहां कोई ओपीडी नहीं खुली हुई है जिस कारण रोजाना इलाज के चक्कर में मेडिकल के चक्कर काट रहे लोग परेशान हैं। बार-बार मेडिकल आने के बावजूद उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है।

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फीस 1000, कैसे कराएं इलाज ?

शेरगढ़ी निवासी कुंवरपाल सिंह ने बताया कि उनके पैर में पिछले दो सप्ताह से लगातार दर्द है। निजी चिकित्सकों की क्लीनिक भी बंद हैं। कुछ क्लीनिक खुली हैं तो वह एक हजार रुपये फीस ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतनी फीस में वह इलाज कैसे कराये। पिछले दो माह से काम धंधा बंद पड़ा है।

कुंवरपाल कपड़ों की दुकान पर काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण दुकानें बंद हैं किसी तरह परिवार का ही खर्च चल पा रहा है। ऐसे में वह एक हजार रुपये अगर फीस फीस पर खर्च कर देंगे तो बच्चों को क्या खिलायेंगे। उन्होंने कहा कि अब मेडिकल का ही सहारा था, लेकिन यहां ओपीडी शुरू नहीं हो पा रही हैं जिस कारण वह परेशान हैं। ऐसे में वह कहां जायें कोई सुनने वाला नहीं है।

आंख बनवाने को लगा रहे चक्कर

जरीना पत्नी मुन्ना ने बताया कि वह पिछले एक माह से अपनी आंख बनवाने को लेकर परेशान हैं। कैंट अस्पताल में स्थित आंखों के अस्पताल में दिखाने के लिये वह कई बार चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन यहां ओपीड़ी बंद होने के कारण उनका चेकअप तक भी नहीं हो पा रहा है।

कैंट अस्पताल में आंखों का अस्पताल भी कोरोना के कारण बंद पड़ा है। एक ओर उनकी आंखों में परेशानी बढ़ती जा रही है और डॉक्टर हैं कि यहां बैठ ही नहीं रहे हैं। दूसरी ओर निजी चिकित्सकों के यहां जायें तो पहले नंबर लगवायें उसके बाद हजार रुपये फीस जमा होगी और आंख बनवाने में ही 50 हजार रुपये तक खर्ज हो जाएंगे। ऐसे में गरीब आदमी को कहां से इलाज मिल पायेगा।

काम धंधे बंद, इलाज महंगा

कोरोना के कारण सभी काम धंधे बंद पड़े हैं इसका असर किसी पर पड़े यहां न पड़े, लेकिन गरीबी में जीवन यापन करने वालों को इसने तोड़ दिया है। फ्री इलाज का सबसे अधिक लाभ उठाने वाले लोग आज दो तरफा मार झेल रहे हैं। एक तो उनके काम धंधे बंद हैं ऊपर से सरकारी अस्पतालों में बंद पड़ी ओपीड़ी व सरकारी इलाज से भी वह महरूम हो गये हैं। अगर जल्द से जल्द यह सुविधाएं शुरू नहीं हुर्इं तो लोग बिना इलाज के दम तोड़ते नजर आयेंगे।


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