नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में शनि जयंती का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन न्याय, कर्मफल और दंड के अधिपति भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र के रूप में हुआ था। नवग्रहों में उनका विशिष्ट स्थान है। उन्हें कर्मों का न्यायाधीश माना जाता है, जो प्रत्येक जीव को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
शनि देव को कठोर और क्रूर ग्रह के रूप में देखा जाता है, लेकिन वे न्यायप्रिय हैं और सच्चे भक्तों को सदैव उनका फल देते हैं। शनि की साढ़ेसाती, ढैया और शनि दोष जैसी स्थितियों से लोग भयभीत रहते हैं, लेकिन इस दिन विधिवत पूजा और उपासना से इन सभी दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
शनि जयंती का पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि 27 मई 2025, मंगलवार को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, शत्रु शांत होते हैं और भाग्य के द्वार खुलते हैं। शनि जयंती के दिन भगवान शनिदेव की पूजा करने से जीवन में चल रही बाधाएंदूर होती हैं और शनि से संबंधित दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन विशेष विधि से पूजा करने का बड़ा महत्व है। आइए जानते हैं शनि जयंती की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग और दान के उपाय।
पूजा मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:51 से 12:46 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:36 से 3:31 तक
अमृत काल: दोपहर 12:00 बजे से पूरे दिन
इन समयों में पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है।
पूजा विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शनि की पूजा का संकल्प लें।
- किसी शनि मंदिर जाएं या घर पर शनिदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने पूजा करें।
- शनिदेव के चरणों का दर्शन करें और उन्हें सरसों का तेल चढ़ाएँ।
- काले तिल और नीले रंग के फूल अर्पित करें।
- दीप जलाकर शनि आरती करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
शनि मंत्रों का जाप करे
शनि जयंती पर इन मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करना विशेष लाभ देता है।
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
ऊँ शं शनैश्चाराय नमः
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
ये भोग करें अर्पित
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए गुड़ और चना, काली दाल की खिचड़ी, मालपुए, तेल में बने हुए पकवान अर्पित करें।
इस दिन इन चीजों का करें दान
शनि जयंती पर काले तिल, काली उड़द, सरसों का तेल, लोहे की वस्तुएं, काले कपड़े, जूते-चप्पल, छाता आदि गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।