Friday, July 5, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादसिनेवाणीसाउथ में भी व्यस्त हैं यशपाल शर्मा

साउथ में भी व्यस्त हैं यशपाल शर्मा

- Advertisement -

CINEWANI


बॉलीवुड एक्टर यशपाल शर्मा का जन्म 1 जनवरी 1967 को हरियाणा के हिसार में एक मिडिल क्लास फेमिली में हुआ। उनके पिता पीडब्लूडी में चपरासी थे, घर में कमाने वाले इकलौते सदस्य होने के कारण यशपाल ने भी जल्दी ही घर के खर्च में हाथ बंटाने के इरादे से काम करना शुरू कर दिया। शायद ही कोई ऐसा काम हो, जो यशपाल शर्मा ने कच्ची उम्र में न किया हो। इस कारण उनका बचपन संघर्ष और तंग हाली में बीता।

बचपन से ही यशपाल शर्मा को एक्टिंग में काफी दिलचस्पी थी। इस वजह से वह अक्सर गांव में आयोजित होने वाली रामलीला में किसी न किसी किरदार में हिस्सा लिया करते थे। हिसार में रामलीला से शुरू हुआ यशपाल शर्मा की एक्टिंग का सफर उन्हें दिल्ली के एनएसडी तक ले गया। वहां से एक्टिंग कोर्स करने के बाद यशपाल शर्मा ने 2 साल रेपेट्री में काम किया। इसके बाद डीडी1 के लिए आदर्श टीवी शो में काम किया।

यहां पर काम करने के बदले उन्हें लगभग 50 हजार रुपए मिले थे। जब अंटी में कुछ पैसे आए तो यशपाल कुछ करने की चाह में मायानगरी मुंबई आ गए। मुंबई पहुंचने के बाद कुछ लोगों से उनकी पहचान हुई जिनकी मदद से उन्हें टीवी शो ‘सीआईडी’ और ‘आहट’ में बेहद छोटे छोटे किरदारों में काम मिला। इस बीच यशपाल शर्मा की दोस्ती बॉलीवुड में पहले से स्थापित राजपाल यादव के साथ हो गई। उनकी बदौलत यशपाल शर्मा की मुलाकात डायरेक्टर सुधीर मिश्रा से हुई जिन्होंने टीवी शो ‘फर्ज’ में लीड एक्टर का रोल आॅफर किया लेकिन यशपाल ने यह कहते हुए सुधीर मिश्रा को इन्कार कर दिया कि, ‘मैं आपके साथ फिल्म करना चाहता हूं’।

सुधीर मिश्रा के पास उस वक्त कोई फिल्म प्रोजेक्ट नहींं था लेकिन उन्होंने यशपाल को डायरेक्टर गोविंद निहलानी से मिलवाया। निहलानी ने यशपाल शर्मा को ‘हजार चौरासी की मां’ (1998) के लिए साइन कर लिया। इसके बाद वो शूल (1998) और अर्जुन पंडित (1998) में नजर आए। उनके काम को देखते हुए श्याम बेनेगल ने यशपाल को ‘समर’ (1999) में अवसर दिया। आशुतोष गोवारिकर ने यशपाल शर्मा को फिल्म ‘लगान: वन्स अपॉन ए टाइम इन इंडिया’ (2001) के लिए अप्रोच किया।

फिल्म में यशपाल ने लाखा का जो किरदार निभाया, उसकी हर किसी ने जमकर प्रशंसा की। उसके बाद यशपाल को कभी पलट कर देखने की जरूरत नहींं पड़ी। फिर तो ‘गुनाह’ (2002) ‘चमेली’ (2003) ‘गंगाजल’ (2003) ‘अपहरण’ (2005) ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ (2008) ‘ये साली जिंदगी’ (2011) ‘आरक्षण’ (2011) ‘राउडी राठौर’ (2012) ‘गैंग्स आॅफ वासेपुर’ (2012) ‘गेम ओवर’ (2017) और ‘बंटी और बबली 2’ (2021) जैसी फिल्मों का अटूट सिलसिला शुरू हो गया और यशपाल लगातार आगे बढते गए।

यशपाल शर्मा ने बॉलीवुड की फिल्मों के अलावा तेलुगु फिल्म ‘लक्ष्यम’ (2007) मराठी फिल्म ‘अजूबा’ (2013) पंजाबी फिल्म ‘जट्ट जेम्स बॉन्ड’ (2014) ‘मुख्तियार चड्ढा’ (2015) और तेलुगु फिल्म ‘भारत अने नेनु’ (2018) में भी काम करते हुए एक्टिंग की धाक जमा ली। इस वक्त यशपाल शर्मा तमिल फिल्म ‘अयोथी’ कर रहे हैं।


janwani address 4

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments