Friday, July 5, 2024
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योग: संस्कार के साथ कॅरियर संभावनाओं का संसार

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योग का इतिहास प्राय: 6000 वर्ष पुराना है और इसका उद्भव सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन माना जाता है। यह छह भारतीय दर्शनों में एक प्रमुख और लोकप्रिय दर्शन है। प्राचीन मुनि और शेषनाग के अवतार, प्रसिद्ध चिकित्सक और चरक संहिता के प्रणेता पतंजलि को योग दर्शन का संस्थापक माना जाता है। योग शब्द की उत्पत्ति ‘युज’ धातु से हुई मानी जाती है जिसका अर्थ ‘जोड़ना’ होता है। यह इंग्लिश शब्द ‘योक’ से भी संबंधित है जिसका अर्थ ज्वाइन करना होता है, नियंत्रित करना होता है या उपयोग में लाना होता है। योग एक आंतरिक आध्यात्मिक विज्ञान है जो चित्त, शरीर, सांस और आत्मा को जोड़ता है। योग शब्द का सबसे पहला प्रयोग सूर्यदेवता को समर्पित ऋग्वेद में पाया जाता है। शिव को पहला योग गुरु या आदिगुरु भी कहा जाता है। योग का मुख्य संबंध चित्त के नियंत्रण से है। योग सूत्र को योग का सबसे विस्तृत मूलग्रंथ माना जाता है।

योग का मुख्य उद्देश्य सेल्फ-रियलाईजैशन है, अर्थात खुद को जानना होता है। पतंजलि ने योग को ‘योग: चित्त-वृत्ति निरोध:’ के रूप में परिभाषित किया है जिसका अर्थ यह है कि चित्त की वृत्तियों का निरोध या नियंत्रण ही योग है। पतंजलि और योग के विज्ञान की महत्ता के बारे में निम्न उक्ति काफी प्रसिद्ध है –

योगेन चित्तस्य पदेन वाचां मलं शरीरस्य च वैद्यकेन।
योऽपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि॥

आशय यह है कि चित्त-शुद्धि के लिए योग (योगसूत्र), वाणी-शुद्धि के लिए व्याकरण (महाभाष्य) और शरीर-शुद्धि के लिए वैद्यकशास्त्र (चरकसंहिता) देनेवाले मुनिश्रेष्ठ पतञ्जलि को प्रणाम करता हूँ। भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है, ‘ योग: कर्मसु कौशलम’ अर्थात कर्म की कुशलता ही योग है। योग को मॉडर्न लाइफ स्टाइल से जनित चिंता, तनाव, डिप्रेशन और अन्य साइकोसोमैटिक डिसॉर्डर्स के अचूक थेरपी के रूप में जाना जाता है। यह मन को शांत करता है और हमारी ऊर्जा को खुद के अंदर की तरफ मोड़ता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति में मदद करता है।

भगवद्गीता में कहा गया है, ‘योग स्वयं का, स्वयं से और स्वयं तक की यात्रा है।‘ स्वयं को जानने से लेकर वर्तमान में स्वयं की उपस्थिति का ऐहसास योग के द्वारा ही संभव बनाया जाता है। पतंजलि ने योग सूत्र में मानव जीवन में योग के महत्व के बारे मे लिखा है, ‘योग बदलते मानसिक अवस्थाओं को स्थिर और शमित करने की कला है। योग के प्रैक्टिस से मानसिक उथल-पुथल को शांत किया जाता है, चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक व्याधियों का शमन किया जाता है। योग के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए 2015 से ही प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष मनाया जानेवाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम ‘योग फॉर ह्यूमैनिटी’ अर्थात ‘मानवता के लिए योग’ है।

कुछ अतिमहत्वपूर्ण योग आसन

योग के विभिन्न आसन शरीर को रोगमुक्त और मन को मजबूत बनाते हैं। कुछ अतिमहत्वपूर्ण आसन जो तनाव और चिंता का शमन करके शरीर और मन को स्वस्थ बनाते हैं, निम्नांकित हैं –

तड़ासन : (माउंटेन पोज) यह आसन हाथ, पीठ, रीढ़ को मजबूती प्रदान करता है और हाईट बढ़ाने में मदद करता है।
उत्तानासन योग : स्ट्रेस और ऐंगजाइइटी का शमन करता है।
धनुरासन योग : यह आसन शरीर का वजन कम करने में मदद करता है।
सूर्यनमस्कार : बारह आसनों वाला सूर्य नमस्कार अति महत्वपूर्ण योगाभ्यास के रूप में जाना जाता है। स्ट्रेस और डिप्रेशन से शमन के अतिरिक्त यह शरीर को फ्लेक्सबिलिटी प्रदान करता है।
कपालभाती प्राणायाम : यह योगासन उदर और कई अन्य व्याधियों के रोकथाम में काफी लाभप्रद माना जाता है।
शीर्षासन योगाभ्यास : यह योगाभ्यास अनिद्रा और मानसिक संतुलन में काफी मदद करता है।
भुजंगासन : इस योगाभ्यास से शरीर के मटैबॉलिजम को मजबूती मिलती है।
वज्रासन : इस आसन को डायमंड पोज भी कहते हैं। इसके अभ्यास से उदर समस्या दूर होती है।
शवासन झ्र यह योगासन मन और शरीर को रीलैक्स करने में मदद करता है।
मकरासन : शरीर के रीलैक्सैशन में इस आसन से काफी लाभ प्राप्त होता है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम : इस आसन से मस्तिष्क को मजबूत बनाने में काफी मदद मिलती है।

अनिवार्य स्किल्स

कॅरियर के लिहाज से योग का डोमेन एक कठिन राह मानी जाती है, क्योंकि इसमें सफलता के लिए कठिन मेहनत और अभ्यास की जरूरत होती है। योग में सफलता के लिए एक अभ्यर्थी में निम्न स्किल्स का होना अनिवार्य होता है-

-सतत सीखने की जिज्ञासा और अदम्य साहस।
– उच्च झ्र स्तर का फिजिकल फिटनेस और मेंटल बैलेंस।
– कठिन मेहनत के लिए तत्परता, अगाध आत्मविश्वास और धैर्य।
– दोषरहित संवाद की कला।
– प्रेरित करने की क्षमता।
– सशक्त लीडरशिप।
– सकारत्मक सोच और कभी भी हार न मानने की मानसिक दृढ़ता।

अनिवार्य योग्यताएं

योग में करियर बनाने की शुरुआत कई प्रोफेशनल कोर्स में डिप्लोमा और मास्टर की डिग्री के साथ की जा सकती है, जिसमें कुछ सबसे अधिक महत्वपूर्ण निम्नांकित हैं-

सर्टिफिकेट कोर्स इन योग
यह सर्टिफिकेट लेवल का योग का कोर्स है जो डेढ़ महीने के पीरियड का होता है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है।

बैचलर इन आर्ट्स (योग फिलोसोफी)
यह योग में ग्रेजुएशन लेवल का कोर्स है जिसकी अवधि तीन वर्ष की होती है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी स्ट्रीम में बारहवीं पास होता है।

अंडरग्रेजुएशन डिप्लोमा इन योग एजुकेशन
योग में यह कोर्स भी ग्रेजुएशन लेवल का होता है जिसमें एडमिशन के लिए मिनिमम एलिजिबिलिटी ग्रेजुएशन और योग में सर्टिफिकेट की होती है। यह एक वर्ष का कोर्स होता है जिसके साथ छ: महीने का इंटर्नशिप भी होता है।

योग थेरेपी में पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा
यह मास्टर लेवल का योग कोर्स होता है जिसकी अवधि एक वर्ष की होती है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की डिग्री का होना जरूरी होता है।

मास्टर आॅफ आर्ट्स इन योग
यह भी पोस्टग्रेजुएशन लेवल का कोर्स होता है जिसकी अवधि दो वर्ष की होती है और इस कोर्स में एडमिशन के लिए न्यूनतम योग्यता किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन पास की होती है।

एडवांस्ड योग टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स इन योग
इस कोर्स का टाइम पीरियड एक महीने का होता है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए योग में ग्रेजुएशन के साथ योग में दो वर्ष का टीचिंग एक्सपीरियंस की भी आवश्यकता होती है।

योग के अध्ययन के लिए प्रमुख संस्थान
– गवर्नमेंट नेचुरोपैथी एंड योग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अन्नानगर, चेन्नई
– मोरारजी देसाई इंस्टिट्यूट आॅफ नेचुरोपैथी एंड योग, नई दिल्ली
– गवर्नमेंट नेचर केयर एंड योग कॉलेज, मैसूर
– बिहार स्कूल आॅफ योग, मुंगेर
– राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति, आंध्रप्रदेश
– डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश
– लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टिट्यूट आॅफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर
– महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, कटनी, मध्यप्रदेश
– कैवल्यधाम, पुणे, महाराष्ट्र
– इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ योगिक साइंस एंड रिसर्च, भुवनेश्वर, ओडिशा
– मोहनलाल सुखाडिया यूनिवर्सिटी, उदयपुर, राजस्थान
– देव संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड
– गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार
– जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता

योग इन्स्ट्रक्टर की मुख्य जिम्मेदारियां

-उपयुक्त योग कोर्स की डिजाइन तैयार करना।
– योग कोर्स का लेसन-प्लान तैयार करना।
-योग ट्रेनी की फिजिकल फिटनेस और अन्य आवश्यक शर्तों का विश्लेषण करना।
– योग के स्टूडेंट्स के लिए उपयुक्त और सुरक्षित योगसन की सूची तैयार करना।
– अपने स्टूडेंट्स के लिए विभिन्न योग कार्यक्रमों और आसनों को करके दिखाना और उनको नियमित रूप से अभ्यास के माध्यम से उनमें दक्ष बनाना।
– ट्रेनी स्टूडेंट्स के योग परफॉरमेंस को मॉनीटर करना और उसमें निरंतर सुधार करने के लिए निर्देश देना।

योग और कॅरियर का स्कोप

तेजी से बढ़ते स्ट्रेस और ऐंगजाइइटी के कारण वर्तमान में योग एक अनिवार्य लाइफ स्टाइल के रूप में परिवर्तित हो रहा है। अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग योग के विभिन्न आसनों का नियमित रूप से अभ्यास करके खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में सफल हो रहे हैं। इतना ही नहीं योग से कई बीमारियों के स्थायी समाधान भी प्राप्त होते हैं। योग की बढ़ती इस लोकप्रियता के साथ इस डोमेन में रोजगार और कॅरियर के अवसरों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।

सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में योग के प्रोफेशनल्स के लिए जॉब्स के अवसरों की कोई कमी नहीं हैं। इसके अतिरिक्त खुद के भी योग अभ्यास केंद्र के खोलने के साथ एक लाभप्रद कॅरियर का आगाज किया जा सकता है। योग के एक्स्पर्ट्स के लिए रिसर्च, हॉस्पिटल्स, एजुकेशनल इंस्टिट्यूटस, मैनेजमेंट इत्यादि अन्य कई क्षेत्रों में आसानी से जॉब्स के अवसर उपलब्ध हैं। योग के प्रोफेसनल्स योग इन्स्ट्रक्टर, योग थेरपिस्ट, योग अड्वाइजर, योग स्पेशलिस्ट, योग टीचर, योग प्रैक्टिश्नर, रिसर्च आॅफिसर, योग एयरोबिक इन्स्ट्रक्टर, योग कन्सल्टन्ट, योग मैनेजर, प्राइवेट योग इन्स्ट्रक्टर, योग फ्रीलान्सर इत्यादि कई रूपों में अपने कॅरियर का आगाज कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर भी योग प्रेजेन्टर के रूप में योग एक्स्पर्ट्स को नियुक्त किया जाता है। प्रिन्ट मीडिया में भी एक योग एक्सपर्ट कॉलम के रूप में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में योग के विभिन्न आसनों और उनके लाभों के बारे में लिख कर पार्ट टाइम जॉब की शुरूआत कर सकते हैं।

हाइब्रिड योग इन्स्ट्रक्टर के रूप में भी योग के प्रोफेशनल अपने कॅरियर का प्रारंभ कर सकते हैं। हाइब्रिड योग के अंतर्गत एक योग प्रशिक्षक योग को अन्य गतिविधियों उदाहरण के लिए एक्वा योग, एयरोबिक्स, डांस इत्यादि के साथ जोड़ते हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी योग एक्स्पर्ट्स के लिए कॅरियर निर्माण और रोजगार के बहुत सारे अवसरों में लगातार वृद्धि होती जा रही है।

योग एक्स्पर्ट्स के लिए प्रमुख नियोक्ता
– सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थाएं
– जिम्नेजियम और लाफिंग क्लब्स
– सेंट्रल रिसर्च सेंटर
– विज्युवल और प्रिंट मीडिया
– होटल और पिकनिक रेसॉर्टस
– विज्युवल और प्रिंट मीडिया
– जेल ऐड्मिनिस्ट्रैशन
– स्पोर्ट्स ऐड्मिनिस्ट्रैशन
– योग और नेचूरोपैथी संस्थाएं
– निजी और सरकारी अस्पताल
– सेंट्रल काउन्सिल फॉर रिसर्च इन होमियोंपैथी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर यकीन करें तो वर्तमान में विश्व की प्राय: 3.8 फीसदी आबादी डिप्रेशन की समस्या से ग्रसित है। डिप्रेशन का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संबंध ऐंगजाइइटी, मेंटल और स्ट्रेस डिसॉर्डर से होता है। इसके अतिरिक्त हाल के वर्षों में विभिन्न प्रकार के साइकोसोमैटिक डिसॉर्डर्स से ग्रस्त लोगों के प्रतिशत में भी तेजी से इजाफा हुआ है। ऐसी परिस्थिति में योग सबसे प्रभावकारी आॅल्टर्नटिव थेरपी के रूप में अपना एक मजबूत आधार बना रहा है। यही कारण है कि आने वाले दशकों में एक अनिवार्य जीवन कला के साथ प्रॉमिजिंग कॅरियर आॅप्शंस के डोमेन के रूप योग का भविष्य अपार संभावनाओं से भरा हुआ है।
                                                                                                         -श्रीप्रकाश शर्मा


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