- थानेदार पीड़ितों की समस्याओं को नहीं ले रहे गंभीरता से, थानेदारों के खिलाफ भारी आक्रोश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिले के 33 थानों की बात करें तो शायद ही ऐसा कोई थाना बचा हो जहां थानेदार पीड़ितों की समस्या को गंभीरता से उसकी सुनवाई कर उसका निस्तारण करने में अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाते हो। वर्तमान में थानों की सच्चाई ये है कि आम आदमी के साथ अगर कोई अपराधिक घटना या उसके साथ अनहोनी हो जाये। तो जरूरी नहीं कि उसे थानों में न्याय मिल जाये।
यही वजह है कि थानों में फरियादियों की सुनवाई के बजाय थानेदार कहीं न कहीं पक्षकारों में अपना हित साधते देखे जा सकते है। थानों में सुनवाई न होने के कारण फरियादी लगातार कप्तान की चौखट पर न्याय की आस में सुबह से ही लाइन में लग जाते हैं, लेकिन हैरत की बात ये है कि कप्तान के यहां आकर भी फरियादी को कोई न्याय नहीं मिल पाता। थानेदार अपने कप्तान के आदेश का पालन करने के बजाय उन्हें अनसुना करने में कोई संकोच नहीं करते हैं।
जब 33 थानों में आम आदमी की सुनवाई न हो और वह पैर पटकता हुआ और आंखों में आंसू लिए न्याय की आस में एसएसपी आॅफिस पहुंचता है तो समझ लीजिए जिले के थानों की पुलिस निरकुंश हो चुकी है। पुलिस थानों मेंं अवैध वसूली में लग फरियादियों को दुत्कारती देखी जा सकती है। थानों में फरियादियों की समस्याओं का निराकरण करने के बजाय उनको डांट डपट और दुत्कार मिलने के बाद कप्तान की चौखट पर सुबह से ही उनकी लाइन लग जाती है।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण के यहां रोज अस्सी से लेकर 100 फरियादी अपनी शिकायतें लेकर उनका निवारण कराने आते हैं, लेकिन कप्तान के आदेश के बाद भी फरियादियों को थानों से फिर भी न्याय नहीं मिल पाता है। मंगलवार और बुधवार को करीब 177 फरियादी अपनी समस्या के निदान के लिए कप्तान की चौखट पर पहुंचे। जहां उनके प्रार्थनापत्रों पर कप्तान ने जिले के विभिन्न थानेदारों को जांच कर कार्रवाई के आदेश दिये, लेकिन थानेदार कप्तान के आदेश हवा में उड़ाने में कोई देर नहीं करते हैं।
- प्रार्थना पत्र-1
बुधवार का दिन समय दोपहर सवा बजे थे। कप्तान अपने आॅफिस में नहीं थे, लेकि न उनके स्थान पर आम जनता की सुनवाई के लिए एसपी देहात और एसपी ट्रैफिक अपनी सीटों पर विराजमान थे। तभी मखदूमपुर कालोनी हस्तिनापुर निवासी सुशीला पत्नी पवन ने अपना प्रार्थनापत्र एसएसपी आॅफिस में दिया। पीड़िता ने बताया कि गत 20 नवम्बर की शाम को गुरुदयाल नितिन महान, मोनू, विपिन, सौरभ आदि ने सुबह उसके घर पर आकर उसे और उसके पति को जान से मारने की कोशिश की। उन्होंने तमंचे से गोली चलाई।
किसी तरह उनकी जान बची। दबंगों ने सुशीला को जातिसूचक शब्दों से प्रताड़ित कर उनके घर पर पथराव किया। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे तो हस्तिनापुर थाना प्रभारी रमेश चन्द्र शर्मा ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की। बल्कि उन्हें ही डांट डपटकर थाने से भगा दिया। अब कप्तान के यहां आये हैं। ताकि यहां से ही न्याय मिल जाये।
- प्रार्थना पत्र-2
पीड़िता समरीन पत्नी आमिर निवासी इकला रसूलपुर परीक्षितगढ़ सुबह के वक्त पुलिस आॅफिस पहुंची और शिकायतपत्र में कहा कि उसके पति आमिर पर गांव के मुखबिर मस्तपीज और अब्दुल सलाम ने पुलिस से मिलकर चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया था। पति जेल से आने के बाद फिर मजदूरी कर घर परिवार की गुजर बसर कर रहा है। अब पति आमिर को फिर मुखबिर के कहने पर थाना परीक्षितगढ़ पुलिस झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे रही है। रोज घर आकर उसे परेशान करती है। महिला समरीन ने एसएसपी से थाना पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
- प्रार्थना पत्र-3
मोहसिन पुत्र स्व. जाहिद अहमद निवासी ग्राम अजराड़ा ने एसएसपी आॅफिस पर शिकायत करते हुए बताया कि उसकी बहन की बरात आगामी 27 नवम्बर को आने वाली है। उसका साला इंतेजार पुत्र बाबू निवासी बाबूगढ़ छावनी हापुड़ बार-बार गांव आकर धमकी दे रहा है कि तेरी बहन की शादी नहीं होने दूंगा। अगर तेरी बहन की बरात गांव में आई तो दूल्हे व बरातियों की हत्या कर दूंगा। उसे भी धमकी दी है कि बहन की शादी रुकवा दो। उधर पीड़ित ने एसएसपी से आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
- प्रार्थना पत्र-4
परीक्षितगढ़ थाना क्षेत्र ग्राम दयालपुर निवासी देवेन्द्र ने गांव के मांगेराम और उसके बेटे नरेन्द्र पर आरोप लगाते हुए एसएसपी को प्रार्थना पत्र दिया कि उसके 185 गज के प्लॉट पर दोनों पिता पुत्र ने कब्जा कर लिया और उस पर जबरन मकान खड़ा कर दिया। अब कई बार थाना परीक्षितगढ़ पुलिस से शिकायत की तो वह उल्टा उसे धमकाते हुए कहते हैं कि मैं कुछ नहीं कर सकता। इसमें मंत्री का दबाव है।
पीड़ित थाना प्रभारी चमन की बात सुनकर अपने प्लॉट पर कब्जा होने के बाद कई बार अधिकारियों के चक्कर लगाकर थक कर बैठ चुका है। मंगलवार को एसपी देहात कमलेश बहादुर सिंह ने थाना परीक्षितगढ़ प्रभारी चमन प्रकाश को कब्जा करने पर दबंगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई दबंगों पर थाना पुलिस ने नहीं की। बताया जाता है कि कब्जा करने वाले पिता-पुत्र दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस में दारोगा हैं।