Monday, June 16, 2025
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दो पेड़

 

Amritvani 6


एक नदी के किनारे दो पेड़ था। उस रास्ते एक छोटी सी चिड़िया गुजरी और उसने पहले पेड़ से पूछा- भय्या! बारिश होने वाली है, क्या मैं और मेरे बच्चे तुम्हारी टहनी में घोंसला बनाकर रह सकते हैं? लेकिन उस पहले पेड़ ने मना कर दिया। फिर चिड़िया दूसरे पेड़ के पास गई और वही सवाल पूछा, तो दूसरा पेड़ मान गया, और फिर चिड़िया अपने बच्चों के साथ खुशी-खुशी दूसरे पेड़ पर घोंसला बनाकर रहने लगी। एक दिन इतनी अधिक बारिश हुई कि उसी दौरान पहला पेड़ जड़ से उखड़कर पानी में बह गया। जब चिड़िया ने उस पेड़ को बहते हुए देखा तो कहा-भय्या! जब मैं और मेरे बच्चे तुमसे शरण मांगने के लिए आए थे, तब तुमने मना कर दिया था। अब देखो! तुम्हारे उसी रूखे बर्ताव की सजा तुम्हें मिल रही है। पहले वाले पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा-चिड़िया रानी! मैं जानता था कि मेरी जड़ें कमजोर हैं और मैं इस बारिश में टिक नहीं पाऊंगा, और मैं तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की जान को बिल्कुल भी खतरे में नहीं डालना चाहता था, इसलिए मेरे मना करने के लिए मुझे क्षमा कर दो। और फिर ये कहते-कहते हुए वो पेड़ बह गया। हमें किसी के भी इनकार को हमेशा उसकी कठोरता नहीं समझना चाहिए। क्या पता, उसके उसी इनकार से हमारा भला हो। कौन, किस परिस्थिति में है, शायद हम ये नहीं समझ पाएं। इसलिए किसी के भी चरित्र और शैली को, हमें उनके वर्तमान व्यवहार से बिल्कुल भी नहीं तोलना चाहिए।


janwani address 63

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