Monday, July 1, 2024
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जेंटलमैन गेम को जेंटलमैन गेम ही रहने दो

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Ravivani 13


क्रिकेट में वो करामात, वो नशा है जो उपमहाद्वीप के भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे मुल्कों के लोगों को अपने तमाम गम-परेशानियां भूला देता है। बेशक थोड़ी देर के लिए ही सही उन्हें इसमें किक जरूर मिलती है। आईसीसी के वर्ल्ड कप या एशिया कप जैसे आयोजन हों फिर तो यहां हर बाशिंदा क्रिकेट के बुखार में जकड़ा नजर आता है। ये राष्ट्रीय उत्सव जैसा माहौल उस दिन तक रहता है जिस दिन तक टीम के टूनार्मेंट में आगे बढ़ने की जरा सी भी संभावनाएं बनी रहती हैं। तब मैदान पर टीमें आपस में भिड़ रही होती हैं और सोशल मीडिया पर उनके फैंस। मेनस्ट्रीम मीडिया भी क्रिकेट मेनिया के इस यज्ञ में अपनी आहुति देने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

पूर्व क्रिकेटर्स के भी दिन बहुरा जाते हैं। जिन्होंने जिदगी में एक दो मैच ही खेले हों वो भी एक्सपर्ट के नाते विराट कोहली और बाबर आजम जैसे दिग्गजों को सलाह देते नजर आते हैं कि बल्ला किस तरह पकड़ना चाहिए। साथ साथ ही पड़ोसी मुल्कों पर क्रिकेट के बहाने तंज कसने का मुकाबला भी चलता रहता है. ये सब तब तक चलता रहता है जब तक अपनी टीम के खाली हाथ वापसी का टिकट पक्का नहीं हो जाता। फिर उस दिन क्रिकेट का सारा खुमार झाग की तरह उतर जाता है।

आईसीसी के क्रिकेट महा-आयोजनों में कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि शुरू में जो टीम खरगोश नजर आती है, वहीं टूनार्मेंट से बाहर हो जाती है। कछुआ उससे आगे निकल जाता है। आॅस्ट्रेलिया में इस बार टी20 वर्ल्ड कप में फाइनल में पहुंचने की दौड़ में भारत खरगोश और पाकिस्तान कछुआ साबित हुआ। क्रिकेट अनिश्चितता का खेल है इसमें वक़्त से पहले दावे सोच समझ कर करने चाहिए। जेंटलमैन गेम को जैंटलमैन गेम ही रहने देना चाहिए। ऐसा कुछ नहीं कहा जाए कि बाद में खुद ही मुंह छुपाने की नौबत आ जाए। बशीर बद्र साहब ऐसे ही लोगों के लिए क्या खूब कह गए हैं-
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों

क्यों ये चोटी नहीं होती फतेह?

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट की ऊंचाई 8,849 मीटर है। अब तक दुनिया के 6,098 लोग इसे फतेह कर चुके हैं। इसी कोशिश में 311 लोगों की जान भी जा चुकी है। लेकिन एक ऐसी चोटी है जो एवरेस्ट से ऊंचाई में 1959 मीटर कम है फिर भी इसे आज तक दुनिया का कोई पर्वतारोही फतेह नहीं कर सका है। 6,890 मीटर ऊंची ख्यारी सतम नाम की ये चोटी अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट कामेंग जिले में स्थित है।

तिब्बत से सटे ख्यारी सतम शिखर को चूमने के इरादे से अरुणाचल प्रदेश के पहले एवरेस्ट विजेता तापी म्रा इस साल जुलाई के आखिर में घर से निकले। 37 साल के तापी म्रा के साथ 22 साल के युवा सहयोगी निक्कू दाओ भी इस मिशन पर रवाना हुए। अगस्त के तीसरे हफ्ते से तापी म्रा और निक्की दाओ का कोई अता-पता नहीं है। तीन हफ्ते तक चले प्रशासनिक सर्च एंड रेस्क्यू आॅपरेशन में हेलीकॉप्टर्स की मदद भी ली गई लेकिन नाकामी हाथ लगी। 21 सितंबर 2022 को ये आॅपरेशन बंद कर दिया गया। जिस तरह ये आॅपरेशन चला उससे दोनों पर्वतारोहियों के परिवार, करीबी संतुष्ट नहीं हैं और पिछले कई दिनों से इटानगर में धरने पर बैठे हैं।

दरअसल इसकी एक बड़ी वजह है जब प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए तो अरुणाचल के एक और एवरेस्ट विजेता तागित सोरांग सामने आए। वो तीन और पर्वतारोहियों के साथ खुद ही तापी म्रा और निक्कू दाओ की तलाश में निकल पड़े। 17 अक्टूबर 2022 को 5,600 मीटर की ऊंचाई पर उन्होंने तापी म्रा का बैग, तंबू ढूंढ निकाला। तापी म्रा के करीबियों का कहना है जब तागित सोरांग अपने दम पर तापी म्रा का सामान ढूंढने में सफल रहा तो इतने तामझाम वाला प्रशासनिक अमला क्यों नाकाम रहा। अब आपको अरुणाचल में प्रचलित वो दंतकथा बताते हैं जिसके मुताबिक आज तक क्यों ख्यारी सतम को फतेह नहीं किया जा सका।

ख्यारी सतम पर सदियों पहले के योद्दा अबांग ख्यारी का काला कवच मौजूद बताया जाता है. अबांग यानि भाई और सतम मायने ढाल या कवच जो काले भालू की सूखी खाल से बना था. इसी से चोटी का नाम ख्यारी सतम पड़ा। अबांग ख्यारी की अंतिम इच्छा थी कि उनके मरने के बाद उनके शरीर को पर्वत में कवच के साथ रखा जाए जहां कोई इनसान या पशु न पहुंच सके। ये तो रही दंतकथा, विज्ञान में इसके लिए जगह न हो लेकिन ये भी सच है कि ख्यारी सतम चोटी को आज तक फतेह नहीं किया जा सका है।

स्लॉग ओवर

हरियाणा का एक मास्टर अपनी कार से सड़क पर जा रहा था। रास्ते में उसे सामने से झोटा-बुग्गी (भैंसा-गाड़ी) पर एक लड़का आता दिखा। वो कभी मास्टर का स्टूडेंट रहा था जिसे उसने पहचान लिया।
मास्टर ने जानबूझ कर बुग्गी के पास कार रोकी और लड़के पर टोंट कसी-‘अरै के झोटा गाड़ी चलावे से?’
तपाक से जवाब मिला-‘ओर, तेरे पढाये के जहाज चलाणगे?’

                                                                                                         खुशदीप सहगल


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