Wednesday, January 15, 2025
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सरकार के लिए सोने की खान, फिर भी ट्रांसपोर्टर परेशान

  • नोटबंदी, जीएसटी और अब लॉकडाउन के बाद खत्म होने के कगार पर है कारोबार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सरकार के लिए सोने की खान होते हुए भी ट्रांसपोर्टर परेशान हैं। नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन के बाद किसी प्रकार उबरने का प्रयास कर रहे ट्रांसपोर्टर का कहना है कि कभी गोदामों पर छापों की धमकी तो कभी पुलिस की वसूली। ऐसा नहीं कि सरकार इनसे अनभिज्ञ है, लेकिन परेशानी में देखने के बाद भी ट्रांसपोर्टरों की मदद को हाथ आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है।

सरकार के आर्थिक ढांचे की नींव की ईंट होने के बाद भी सरकारी नीतियों से उसको बार-बार डेमेज किया जा रहा है। यदि सरकार अब डेमेज कंट्रोल में नहीं जुटी तो ट्रांसपोर्ट कारोबार खत्म हो जाएगा। यदि ट्रांसपोर्ट कारोबार को सरकार की ओर से राहत नहीं दी गयी तो रेलवे और बंदरगाह सरीखे केंद्र सरकार के उपक्रम ठप हो जाएंगे। रेलवे से केवल सवारियों की ठुलाई ही नहीं होती बल्कि माल की ढुलाई भी होती है।

मालों से लदबद ट्रेन तभी खाली होती हैं जब ट्रक उन्हें अनलोड करने पहुंचते हैं। कमोवेश यही स्थित बंदरगाहों की भी है। ट्रकों से माल की आवाजाही होती है तभी देश की अर्थ व्यवस्था चलती है। यदि ट्रक खड़े हो गए और माल की एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए माल की ढुलाई बंद हो गयी तो देश की अर्थ व्यवस्था को बेपटरी होने में ज्यादा देरी नहीं लगेगी। पूरे देश में हाहाकर मच जाएगा। इसलिए रियायत की दरकार है।

कोई सामान ऐसा नहीं जिसकी ठुलाई ट्रक न करते हों। वरिष्ठ ट्रांसपोर्टर पिंकी चिन्यौटी बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट जिंदगी से लेकर मौत तक जितने भी काम होते हैं उन सभी का सामान ट्रकों से ढोया जाता है। यदि ट्रांसपोर्ट ही नहीं बचेगा तो फिर जिंदगी की गाड़ी का पहिया भी थम जाएगा। मेरठ के टीपीनगर स्थित ट्रांसपोर्टरों के यहां से देश का कोई हिस्सा ऐसा नहीं जहां माल भर ट्रक न जाते हों।

मेरठ से बड़ी संख्या मे कश्मीर से कन्या कुमारी तक भाड़ा लेकर प्रतिदिन ट्रक निकलते हैं। साथ ही देश के दूसरे राज्यों से भी माल लेकर यहां पहुंचते हैं। मेरठ में करीब छह सौ ट्रांसपोर्टर हैं और लगभग सात हजार ट्रक भी हैं। देश की आर्थिक इमारत की ईंट होने के बाद भी ट्रांसपोर्टरों पर सबसे ज्यादा सरकारी मार टैक्सों की पड़ रही है। सरकार की ओर इस वसूली की शुरूआत रोड टैक्स से की जाती है।

उसके बाद परमिट टैक्स, टोल टैक्स, डीजल पर करीब 45 फीसदी तक टैक्स, जीएसटी और इसक बाद भी कुछ कमाकर यदि घर परिवार को देते हैं तो उस पर इनकम टैक्स की मार। अब नया फरमाद गोदामों पर सर्वे के नाम पर छापों का जारी कर दिया गया है। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मेरठ के अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि भारी भरकम कर दाता होने के बाद भी ट्रांसपोर्टर बेहाल हैं।

आरटीओ विभाग हो या फिर हफ्ता वसूली करने वाली पुलिस सभी उन्हें चोरों की नजर से देखते हैं। कई बार तो मार्ग पर उनके साथ अपराधियों सरीखा व्यवहार किया जाता है। सरकार की आर्थिक इमारत की खुद को नींव बनाने ट्रांसपोर्टर क्या अपराधी हो सकते हैं।

कार चोरी करने वालों पर जोर नहीं

टीपीनगर में बैठने वाले ट्रांसपोर्टरों से सरकार को भारी भरकम टैक्स भी मिलता है और वो देश के आर्थिक विकास के पहिये को चलाने में बड़े मददगार भी हैं, लेकिन शहर में दर्जनों स्थान पर चोरी से माल की ढुलाई की जाती है। इनसे न तो सरकार को कोई टैक्स मिलता है न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है।

लाखों के रोजगार का जरिया

अकेले मेरठ के ट्रांसपोर्ट कारोबार से परोक्ष व अपरोक्ष से रूप से करीब दो लाख से ज्यादा को रोजगार मिलता है। ट्रांसपोर्टर अपना परिवार तो पालते ही हैं। साथ ही उनके द्वारा चालक, परिचालक, माल की ढुलाई और उसकी वजह से बड़ी संख्या में अन्य लोगों को भी रोजगार मिलता है।

सरकार की सोने की खान
Pinki
बडे ट्रांसपोर्ट कारोबारी पिंकी चिन्योटी का कहना है कि सरकार के लिए सोने की खान होने के बाद भी ट्रांसपोर्टर यदि परेशान है तो यह सरकार की विफलता है। सरकार स्थिति को संभालने के लिए कुछ करे।

बर्बादी के कगार पर कारोबार
Gaurav
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मेरठ के अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि गलत कर नीति के चलते ट्रांसपोर्ट कारोबार बर्बादी के कगार पर है। परोक्ष व अपरोक्ष रूप से लाखों को रोजगार देने वाले ट्रांसपोर्ट कारोबार को सरकारी मदद की दरकार है।

विकास में बराबर के साझेदार
Deepak
टीपीनगर के पुराने ट्रांसपोर्टरों में शुमार व एसोसिएशन के महामंत्री दीपक गांधी का कहना है कि ट्रांसपोर्ट कंपनियां देश के विकास में बराबर की साझीदार हैं। इसलिए सरकार को चाहिए कि उनकी समस्याओं को समझें साथ ही समाधान भी करें।

अपराधी न समझे हमें
Deepak Rahlan
एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष व ट्रांसपोर्टर दीपक रलहन का कहना है कि ट्रांसपोटरों खासतौर से उनके ट्रकों के चालकों व परिचालकों को आरटीओ व पुलिस जैसी सरकारी संस्थाएं अपराधी समझना बंद करें। सरकार के स्तर से व्यवस्था में परिवर्तन होना चाहिए।

गंभीर है समस्याओं के लिए सरकार
Mukesh Singhal
ट्रांसपोर्ट कारोबार की समस्याओं को लेकर जब सत्ताधारी दल भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंहल से चर्चा की गयी तो उनका कहना था कि मोदी व योगी सरकार ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की समस्याओं को लेकर गंभीर है। केंद्र व राज्य की सरकारों ने ट्रांसपोर्ट कारोबार के हित में दर्जनों निर्णय लिए हैं। देश में साफ सुथरी सड़कों की बदौलत ट्रांसपोर्ट कारोबार अब सुगम हो सका है।

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