Thursday, June 12, 2025
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दुस्साहस: कैंट में अफसरों से सेटिंग का अवैध निर्माण

  • खुद ब्रिगेडियर राजीव कुमार ने किया था मौका-ए-मुआयना
  • बन गए सर्वेंट क्वार्टर और पूरी बिल्डिंग, करवा दी गई पेंटिंग भी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: तस्वीर बीसी लाइन स्थित बंगला नंबर-152 की हैं। पहले इसे कैंट बोर्ड के अफसरों ने अवैध निर्माण बताकर गिरा दिया था। खुद ब्रिगेडियर राजीव कुमार मौका मुआयना करने के लिए पहुंचे थे। इतनी गंभीरता से इस बंगले के अवैध निर्माण को लिया गया था, लेकिन जब ये बंगले का निर्माण अवैध पूर्व में घोषित किया जा चुका हैं, तो फिर से अवैध निर्माण कैसे होने दिया?

इस बार तो सर्वेंट क्वार्टर भी बन गए और पूरी बिल्डिंग भी। पेंटिंग भी कर दी गई, ताकि मौके पर ऐसा लगे कि निर्माण पुराना ही था। आर्मी आॅफिसर सरहद की सुरक्षा करते हैं, लेकिन एक अवैध रूप से बन रहे एक बंगले की निगरानी तक नहीं कर पा रहे हैं। सैन्य अफसरों की भूमिका पर भी इस अवैध निर्माण को लेकर अंगुली उठ रही हैं।

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क्योंकि ब्रिगेडियर राजीव कुमार ने जिस निर्माण का खुद दौरा कर ध्वस्तीकरण कराया था, उसका निर्माण फिर से कैसे हो गया? नीचले स्तर से लेकर ब्रिगेडियर राजीव कुमार के संज्ञान में ये अवैध निर्माण था। सीबीआई की हिटलिस्ट में भी कैंट बोर्ड के अफसर हैं, फिर भी अवैध निर्माण क्यों करने दे रहे हैं, आखिर इसमें सैन्य अफसरों की क्या मजबूरी थी।

दरअसल, कैंट बोर्ड भंग हैं। ऐसे में सैन्य अफसर ही कैंट बोर्ड को संचालित कर रहे हैं। इस बंगले का निर्माण भी सैन्य क्षेत्र में चल रहा हैं, वो भी वीवीआईपी क्षेत्र माना जाता हैं। क्योंकि सेना के कई अफसर भी इसके आसपास में ही रहते हैं, फिर भी रात-दिन इसमें काम चला और निर्माण पूरा कर दिया। जो निर्माण हुआ है, उस पर पेटिंग भी कर दी गई, ताकि निर्माण ऐसा लगे कि पुराना हैं।

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बंगले के निर्माण को देखकर तो ऐसा लगता है कि सेटिंग का खेल चल रहा हैं। तभी तो ब्रिगेडियर के निरीक्षण करने के बाद अवैध निर्माणकर्ता का ये दुस्साहस ही कहा जाएगा कि निर्माण टूटने के बाद फिर से पूरा कर दिया गया। रातो-रात निर्माण चला। पूरी रात डंपर मिट्टी की ढुलाई कर रहे हैं, लेकिन सेना को इसकी भनक तक नहीं लगती।

सेना के अफसर ही इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार क्योंकि कैंट बोर्ड तो भंग चल रहा हैं, सैन्य अफसरों का ही पूरा कंट्रोल हैं, फिर कैसे निर्माण हो रहा हैं? इसमें सेटिंग की ‘बू’ आ रही हैं। इस भ्रष्टाचार में कौन-कौन संलप्ति है, अभी ये कहना तो कठिन होगा, लेकिन अवैध निर्माण को जब पहले गिराया जा चुका है तो फिर कैसे निर्माण होने दिया?

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कैंट बोर्ड के अफसर की भूमिका पर भी अंगुली उठ रही हैं। बंगला नंबर- 152 के पीछे के हिस्से में सर्वेंट क्वार्टर बने हैं। ये मानचित्र में थे नहीं। फिर भी बना दिये गए। इन पर पेंटिंग भी कर दी गई। फर्श डाला जा रहा हैं। आगे भी निर्माण चल रहा हैं। आगे की दीवार अभी नहीं की हैं, क्योंकि फ्रंट पर दीवार करते ही सबको इसका पता चलेगा। इसी वजह से निर्माण पीछे पूरा किया जा रहा हैं। जो निर्माण तोड़ा गया था, उसे फिर से पूरा कर दिया गया हैं।

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