- पुलिस सिद्ध नहीं कर पाई आरोपियों ने गोली मारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोतवाली थानांतर्गत तीरगरान में विवादित कुंये में निर्माण को लेकर 10 मई 2014 को हुए सांप्रदायिक दंगे में मारे गए शुभम रस्तोगी के दो आरोपियों मतलूब उर्फ भूरा और बिलाल को अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए बाइज्जत बरी कर दिया है। अदालत के इस फैसले से नौ साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे मृतक के परिवार के लोग खासे निराश हैं।
न्यायालय अपर जिला जज कोर्ट संख्या 1 मेरठ सुरेश चंद्र द्वितीय ने हत्या के आरोप में आरोपी मतलूब उर्फ भूरा पुत्र फजलुर रहमान व बिलाल निवासी कोतवाली मेरठ को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है । आरोपी के अधिवक्ता नितिन कौशिक ने बताया कि थाना कोतवाली में वादी मुकदमा सुशील रस्तोगी ने 10 मई 2014 को रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका पुत्र शुभम रस्तोगी अपने ममेरे भाई सचिन व नितिन के साथ मंदिर गया था।
जब वह दर्शन करके लौट रहे थे तो रामसहाय रेवड़ी वालों की दुकान के सामने लगभग 200 लोग इनकी तरफ आते हुए दिखाई दिए। जिनके हाथ में धारदार हथियार व तमंचे थे। और वह सांप्रदायिक दंगा करते हुए उसके पुत्र को गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। आरोपीगण का नाम जांच में प्रकाश में आया था। इसके बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हो गया।
आरोपी के अधिवक्ता ने न्यायालय में कहा की आरोपी ने शुभम की हत्या नहीं की है घटना वाले दिन वह मौके पर मौजूद नहीं था । न्यायालय ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य को देखते हुए दोनों आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है। उस वक्त एसएसआई प्रभाकर कैंतुरा ने अदालत में दिये गए बयान में कहा था कि तीरगरान में बंद पड़े कुंये में निर्माण को लेकर हिंदु पक्ष और मुस्लिम पक्ष आपस में लड़ रहे थे और पथराव हो रहा था।
इसी बीच बजाजा बाजार में हिंदु और मुस्लिमों के बीच पथराव और फायरिंग के दौरान गंगा शरण की दुकान के सामने खड़े शुभम रस्तोगी को जान से मारने की नीयत से सिर में गोली मार दी। तभी बिलाल और भूरा हाथ में तमंचा लहराते हुए भाग रहे थे। इसी तरह के बयान कोतवाली थाने में तैनात तमाम दारोगाओं ने दिये थे। अदालत में कुछ गवाहों ने मुकरते हुए कहा था कि उन लोगों ने मौके पर आरोपियों को नहीं देखा बल्कि मेडिकल कालेज में इस बात की जानकारी मिली थी। इसके अलावा फोरंसिक रिपोर्ट को लेकर भी संदेह की स्थिति ने आरोपियों को बरी करवा दिया।