Monday, January 20, 2025
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अंधेरगर्दी: रजवाहों की सफाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति

  • किसानों का आरोप, सिंचाई विभाग में रजवाहों और माइनरों की साफ-सफाई कार्य में बड़ा भ्रष्टाचार, सरकार की कर रहे छवि धूमिल
  • रजवाहा सफाई के कार्य में बडेÞ भ्रष्टाचार की ‘बू’, अधिकतर रजवाहों की सफाई के नाम पर की जाती है खानापूर्ति

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सिंचाई विभाग के रजवाहों में कब पानी छोड़ा जाना है और कब बंद कराना है। यह सब सरकार के रोस्टर पर नहीं बल्कि किसानों के हिसाब से चलता है। उधर, रजवाहों की साफ-सफाई में भी कहीं न कहीं बडेÞ भ्रष्टाचार की ‘बू’ आने का आरोप कुछ किसानों द्वारा लगाया जा रहा है। रोस्टर के हिसाब से कई ऐसे रजवाहे हैं, जिनमें गत 30 नवंबर की मध्यरात्रि से पानी छोड़ा जाना था, लेकिन रजवाहा, माइनर की सफाई का कार्य पूरा नहीं होने पर अभी तक पानी नहीं छोड़ा जा सका है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दो दिन में पानी छोड़ दिया जायेगा।

प्रदेश में सरकार किसी की भी हो, लेकिन रजवाहों में पानी किसानों के हिसाब से ही चलता है। ये कहना किसी और का नहीं, बल्कि सिंचाई विभाग के कुछ अधिकारियों ने दबी जुबान से बताया कि सरकार का जो रोस्टर है, उसके हिसाब से यदि रजवाहों में पानी छोड़ा जाए या बंद किया जाये तो कहीं न कहीं किसानों के साथ आये दिन विवाद की स्थिति बन सकती है। जिसके चलते कुछ रजवाहों में रोस्टर से हटकर पानी छोड़ा जाता है, ताकि फसलों में पानी की कमी न हो सके। यह सब जानने के लिए कि वास्तविकता क्या है?

जिसके बाद जनवाणी संवाददाता ने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता एसके लाम्बा से संपर्क साधा तो उन्होंने भी बातों ही बातों में कहा कि किसानों के हितों को देखते हुए इस तरह कभी-कभार बिना रोस्टर के भी पानी छोड़ना या बंद करना पड़ता है, लेकिन उन्होंने इस मामले को मीडिया में हाईलाइट नहीं करने की भी बात कही। बीते वर्ष सलावा-कपसाड़ रजवाहों में दो माह के रोस्टर के हिसाब से कब पानी चला और कब बंद हुआ, उसकी जानकारी मांगी तो उन्होंने तारबाबू यशवीर सिंह के पास भेजा कि वह रोस्टर के संबंध में जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं।

जिसके बाद तारबाबू यशवीर चौधरी से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वह बिना उच्चाधिकारी के कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। जब कर्मचारी ने कहा कि साहब ने ही इन्हें भेजा है, तब जाकर वह रोस्टर के अनुसार रजवाहों में कब पानी छोड़ा गया, कब बंद किया गया। उसने महिला कर्मचारी से रोस्टर दिखवाना शुरू किया, लेकिन वह रोस्टर का रिकार्ड मिलने से पूर्व ही बोल बैठे कि यहां पर सरकार का अलग रोस्टर होता है। पानी रजवाहों में कब छोड़ा जाता है, कब बंद किया जाता है। वह सब दूसरे रजिस्टर में दर्ज किया जाता है।

उस रजिस्टर की जानकारी केवल साहब के पास है। जिसके बाद फिर से एसके लाम्बा से संपर्क साधा तो इस दौरान उनके पास करीब दर्जनभर से अधिक किसान भी बैठे हुए थे। जब उनसे दो रजिस्टर एवं बीते एक वर्ष पूर्व के रोस्टर के बारे में तारबाबू द्वारा जानकारी देने से इंकार कर देने की बात कही तो वह, किसानों के सामने खुलकर बोले-सरकार के रोस्टर के अनुसार यदि रजवाहों में पानी छोड़ा जायेगा या बंद किया जायेगा तो किसानों को संभाल पाना बड़ा मुश्किल होता है। जिस कारण कभी कभार बिना रोस्टर के भी पानी किसानों की आवश्यकता के हिसाब से रजवाहों में दिया जाता है।

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