- माइनर आज भी गंदगी से अटे पड़े उड़ रही धूल, टेल तक पानी पहुंचाना कोसों दूर के बात
जनवाणी संवाददाता |
सरूरपुर: सरूरपुर और रोहटा क्षेत्र में सिंचाई विभाग के माइनर-रजवाहों में साफ-सफाई के नाम पर महज कुछ रजवाहों को साफ करके खाना पूर्ति कर ली गई। वहीं मुख्य रजवाहे आज भी गंदगी से अंटे पड़े हैं और उनमे धूल उड़ रही है। जिसे लेकर किसानों के सामने सिंचाई का बड़ा संकट खड़ा हो गया है, लेकिन पिछले चार माह से सिंचाई विभाग द्वारा रजवाहों की सफाई नहीं होने के कारण पानी नहीं पहुंच पाया है। माइनरों में तेल तक पानी पहुंचना तो कोसों दूर की बात हो चुकी है।
सिंचाई विभाग द्वारा क्षेत्र में माइनर किताब सफाई के नाम पर मैच खानापूर्ति करके ठेकेदारों की जेब गर्म कर दी गई। क्षेत्र के जौली राइट माइनर में बीच-बीच में से साफ-सफाई करके महज खानापूर्ति कर ली गई तो वहीं राइट सलावा माइनर आज भी गंदगी से अटा पड़ा है और इसमें धूल उड़ रही है। पिछले दो माह से भी अधिक गुजरने के बाद इसमें अभी तक पानी किसानों को मयस्सर नहीं हो पाया है। जबकि किसानों के सिर पर इस समय बुवाई का बड़ा काम खड़ा हुआ है, लेकिन राइट सलावा माइनर की अभी तक भी सिंचाई विभाग की ओर से साफ-सफाई का कार्य पूरा नहीं हो पाया है।
सरूरपुर गांव में बदतर हालात हैं। यहां राइट सलावा माइनर में गंदगी पटी पड़ी है और धूल उड़ रही है। इसी तरह जौली राइट माइनर को भी बीच-बीच में कुछ जगहों से साफ सफाई करके खानापूर्ति कर ली गई। जबकि इसके उलट अन्य की माइनर आज भी गंदगी से अटे पड़े हैं और एक बूंद पानी तक नहीं पहुंच पाया है। माइनर में तेल तक पानी पहुंचना तो दूर की कोड़ी साबित हो रहा है। राइट जौली माइनर में टेल तक पानी ही नहीं पहुंचता है। किसानों का आरोप है कि जबकि उनसे सिंचाई के नाम पर सिंचाई विभाग द्वारा लगातार वसूली की जा रही है। इसी तरह सलावा माइनर में भी पिछले कई महीने से सिंचाई के लिए पानी नहीं है, लेकिन वसूली लगातार जारी है।
किसानों ने बताया कि समय गेहूं की बुवाई सिर पर है, लेकिन पानी सिंचाई के लिए मयस्सर नहीं होने से किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। साफ-सफाई के नाम पर ठेकेदारों से घाल मेल करके सिंचाई विभाग के अफसर द्वारा किए गए खेल में जहां ठेकेदारों की जेब गर्म कर दी गई। वहीं सरकारी पैसे की बंदर बांट करके किसानों के लिए भी समस्या खड़ी कर दी। इसे लेकर क्षेत्रीय किसानों में काफी रोष और गुस्सा है। शनिवार को धरने पर बैठे किसानों के बीच भी एडीएम प्रशासन से किसानों ने यह समस्या प्रमुखता के साथ रखी।
रोहटा क्षेत्र में भी माइनर की लगभग यही हालत है। मढ़ी माइनर और लाहौरगढ़ माइनर में भी साफ-सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति करके कागजों में सफाई दिखा दी गई। सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा अपनी जेब गर्म करने के साथ ठेकेदारों को भी सिंचाई के नाम पर जेब गर्म कर दी गई, लेकिन मौके पर आज भी हालात कुछ और बयां कर रहे हैं। इसे लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारी कटघरे में खड़े हुए हैं। किसानों के सामने सिंचाई की सबसे बड़ी समस्या मुंह बाए खड़ी है।
दबंगों ने माइनर में गोबर बहाकर नाले का दिया रूप
हर्रा की माइनर जाने वाले जसड़ माइनर में पिछले पांच साल से एक बूंद के टेल तक पानी नहीं पहुंच पाया है। यही नहीं इस माइनर को सिंचाई विभाग की अनदेखी के कारण कुछ दबंगों ने डेरी बनाकर नाल का रूप दे दिया है। जिसमें गोबर बहाया जा रहा है, लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारी इस ओर से आंखें मूंदे बैठे हुए हैं और माइनर को नाले का रूप देकर किसानों के सामने भारी समस्या खड़ी कर दी है तो वही दबंगई और हनक दिखाकर सिंचाई विभाग को भी गोबर बहाकर ठेंगा दिखा रहे हैं,
लेकिन बावजूद इसके सिंचाई विभाग इस ओर से आंखें फेर कर बैठा हुआ है। जबकि किसानों से सिंचाई विभाग की पानी की नाम पर लगातार वसूली की जा रही है, लेकिन मौके पर माइनर में आज भी गंदगी की अटी पड़ी है और माइनर को नाले में गोबर बहाकर नाले का रूप दे दिया गया है। इसे लेकर बड़ा सवाल है कि पिछले पांच साल से माइनर में पानी नहीं और किसानों से फिर वसूली कैसे की जा रही है। इसे लेकर खेड़ीकलां, हर्रा, मैनापूठी, खिवाई, करनावल के ग्रामीणों में सिंचाई विभाग के अधिकारियों की प्रति काफी रोष और गुस्सा भी बना हुआ है।