खेती-बाड़ी में बड़े पैमाने पर मैकनाईजेशन (मशीनीकरण) का कारण केवल मजदूरों की कमी और लगातार बढ़ती मजदूरी ही नहीं है। इसके अलावा भी कई और कारण हैं, जिनकी वजह से खेती में मशीनों का अधिक उपयोग होने लगा है। जैसे, समय की बचत, फसल की बुवाई, प्रोडक्टिविटी (उत्पादन) में बढ़ोतरी, फसल की ढुलाई और कठिन काम को आसान बनाने में मशीनों की अहम भूमिका देखी गई है। किसानों की कई प्रकार की जरूरतों को देखते हुए बहु-उपयोगी मशीनों का विकास और उनका अधिक इस्तेमाल आज की कृषि की जरूरत बन गई है।
वर्तमान समय में खेती के लिए उपयोग होने वाली मशीनों को लेकर अब तक किसानों का मोह अजीब सा ही रहा है जिनमें विशालकाय बड़े-बड़े ट्रैक्टरों के लिए मोह उनमें से एक है। अक्सर यह देखा गया है कि छोटे किसान अपने खेत के आकार की जरूरत से ज्यादा हॉर्स पॉवर (अश्व शक्ति) की क्षमता वाले ट्रैक्टर किराए पर लेकर खेती करते हैं, जिसके कारण उनके खेत के हर कोने तक जुताई भी नहीं हो पाती और उन्हें खुद ही फावड़े से सभी कोनों की खुदाई करनी पड़ती है।
बड़े ट्रैक्टर्स के कारण ऐसे में एक तो किराए का खर्च अधिक लगता है और हर फसल के बुवाई के समय किराया देना पड़ता है। इसलिए इस प्रकार की मशीनों में अधिक पैसा लगाना सही नहीं कहा जाएगा। हालांकि यह मोह फिर भी कायम है और बड़ी मशीनों के लिए मोह कम नहीं हो रहा, जो गांवों में कई बार हैसियत का प्रतीक भी बनता पाया गया है, बिल्कुल वैसे जैसे शहरों में बड़ी कारों को लोग अपनी हैसियत से जोड़ कर देखते हैं।
छोटे खेतों के लिए बड़े ट्रैक्टर क्यों?
खेती में समय की बचत, फसल की बुआई, प्रोडक्टिविटी (उत्पादन) में बढ़ोतरी, फसल की ढुलाई और कठिन काम को आसान बनाने के लिए बड़े ट्रैक्टर को छोड़कर छोटे किसानों को रोटावेटर, एमबी हल, कल्टीवेटर, पॉवर टिलर जैसे एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (उच्च तकनीक) वाली मशीनों के इस्तेमाल की सख्त जरूरत है।
जो उनके छोटे खेतों के अनुकूल है। गांवों में वे पढ़े-लिखे युवा, जो खेती के काम करने से मन चुराते हैं, वे भी इसे आसानी से इसे चला सकते हैं या फिर स्थानीय स्तर पर रोजगार पाने का जरिया भी बना सक ते हैं। छोटे कृषि उपकरणों की न के वल लागत कम है बल्कि ये रखरखाव से लेकर प्रति ईकाई क्षेत्रफल में कम लागत के कारण उपज की लागत को कम कर किसानों की खेती को लाभप्रद बना सकते हैं।