प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 की पहली बैठक के बाद ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस यानि वैश्विक जैव र्इंधन गठबंधन की घोषणा करके वैश्विक स्तर पर पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढ़ाकर 20 फीसदी तक करने की पहल कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 के देशों को इसमें शामिल होने की अपील की थी। जाहिर है कि हिंदुस्तान का वैश्विक जैव र्इंधन गठबंधन शुरू करने का ये एलान जैव र्इंधन के इस्तेमाल में एक नई क्रांति लाएगा।
दरअसल, जी20 शिखर सम्मेलन में वन अर्थ पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर के नेताओं से ग्रीन क्रेडिट पहल पर काम शुरू करने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज समय की मांग है कि सभी देश र्इंधन मिश्रण के क्षेत्र में मिलकर काम करें। हमारा प्रस्ताव पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक ले जाने के लिए वैश्विक स्तर पर पहल करने का है। या वैकल्पिक रूप से हम व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एक और मिश्रण विकसित करने पर काम कर सकते हैं, जो स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ जलवायु सुरक्षा में भी योगदान देता है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए ऊर्जा परिवर्तन 21वीं सदी की दुनिया की एक महत्वपूर्ण जरूरत है। समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए खरबों डॉलर की आवश्यकता है और विकसित देश इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के साथ-साथ ग्लोबल साउथ के सभी देश इस बात से खुश हैं कि विकसित देशों ने इस साल 2023 में सकारात्मक पहल की है। विकसित देशों ने पहली बार क्लाइमेट फाइनेंस (जलवायु वित्त) के लिए 100 बिलियन अमरीकी डॉलर की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने की इच्छा व्यक्त की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ॅ20 शिखर समिति में कहा कि इस तरह के गठबंधनों का मकसद विकासशील देशों के लिए अपने ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए विकल्प तैयार करना है। जैव ईंधन एक सर्कुलर इकॉनमी (चक्रीय अर्थव्यवस्था) के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है। बाजार, व्यापार, टेक्नोलॉजी और नीति अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सभी पहलू ऐसे अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण हैं।
मेरे ख्याल से प्रधानमंत्री मोदी की जैव र्इंधन को लेकर चिंता जायज है। साल 2009 से लेकर जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर के देश चिंतित हैं, लेकिन इसका समाधान किसी के पास नहीं है। हालांकि पिछले कुछ सालों से भू-विज्ञानी लगातार इसे लेकर सभी देशों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इसी तरह दुनिया आगे बढ़ती रही तो एक दिन लोगों की मौत तेजी से होगी। बढ़ता प्रदूषण और कटते पेड़ इसके लिए जिम्मेदार हैं ही, साथ ही बढ़ते वाहनों की संख्या भी कम चिंताजनक नहीं है।
इसलिए इन गाड़ियों की जगह जितना जलदी हो सके कम प्रदूषण वाले ईंधनों से चलने वाले वाहनों को ईजाद करना चाहिए। हम देख रहे हैं कि पिछले दो-तीन सालों से ई-वाहनों का चलन तेजी से बढ़ रहा है, इससे पहले सीएनजी गैस से चलने वाले वाहनों का चलन तेजी से बढ़ा, लेकिन फिर भी पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों की संख्या में कोई खास कमी दिखाई नहीं दी हैं, क्योंकि वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और जी20 की अध्यक्षता करके न सिर्फ मोदी सरकार ने दुनिया को भारत की बढ़ती ताकत का एहसास कराया है, बल्कि वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के जरिए पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल की मात्रा करने की पहल करके जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी वैश्विक चिंता को जाहिर किया है।
साल 2015 में भी भारत ने स्वच्छ और सस्ती सौर ऊर्जा लाने के लिए नई दिल्ली और पेरिस द्वारा संचालित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के समझौते के साथ इसकी प्रतिबद्धता जताई थी कि जलवायु परिवर्तन के प्रति हमें सचेत रहना चाहिए। अब दुनिया के 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच जैव ईंधन पर वैश्विक गठबंधन की भारत की पहल से ग्लोबल एनर्जी ट्रांजिशन यानि वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में स्थायी जैव ईंधन की जरूरत पर दुनिया तेजी से ध्यान देगी।
दरअसल बायोफ्यूल यानि जैव र्इंधन ऊर्जा का एक रिन्युएबल स्रोत है और ये बायोमास से हमें मिलता है। अब हिंदुस्तान की योजना है कि साल 2025 तक गन्ने और कृषि अपशिष्ट से निकाले गए इथेनॉल के मिश्रण को पेट्रोल के साथ मिलाकर उपयोग किया जाए, जिसके लिए देश में दर्जनों कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट भी लगाए जा रहे हैं। वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का मकसद परिवहन सहित सभी क्षेत्रों में सहयोग को सुविधाजनक बनाना और टिकाऊ जैव ईंधन के इस्तेमाल को तेजी से बढ़ावा देना है।
क्योंकि इससे तेल बाजारों में वैश्विक जैव ईंधन व्यापार करने की सुविधा होगी और इसके साथ-साथ दुनिया भर में राष्ट्रीय जैव ईंधन कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता मिलेगी, जिससे साझाकरण की नीति को बढ़ावा मिलेगा। इस पहल से हिंदुस्तान को वैकल्पिक ईंधन को अपनाने में मदद मिलेगी और तेल आयात बिल की लागत में कमी आएगी। साथ ही इसके पीछे केंद्र सरकार का मकसद साल 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करना भी है।
वहीं अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईओ) ने साल 2050 तक दुनिया की ऊर्जा प्रणाली को शुद्ध शून्य उत्सर्जन की दिशा में लाने के लिए वैश्विक टिकाऊ जैव ईंधन उत्पादन को साल 2030 तक तीन गुना करने की जरूरत पर बल दिया है। लिक्विड बायोफ्यूल यानि तरल जैव ईंधन को पिछले कई सालों से भारत इसको बढ़ावा दे रहा है, जो साल 2022 में कुल परिवहन ऊर्जा आपूर्ति का करीब 4 फीसदी से ज्यादा था।
बहरहाल, उल्लेखनीय है कि जैव र्इंधन का उपयोग किसी भी क्षेत्र में किया जा सकता है। जैव र्इंधन अक्षय र्इंधन है, जिसे कचरे, पौधों और यहां तक कि वेस्ट चीजों से बनाया जा सकता है। पीएम मोदी ने इसके उपयोग का सुझाव देकर दुनिया भर के देशों को संदेश दिया है कि इससे दुनिया में बढ़ते कचरे का उपयोग भी किया जा सकता है और कचरे को कम भी किया जा सकता है।
देश के कई हिस्सों में गन्ना भुगतान मूल्य से जूझ रहे गन्ना उत्पादक किसानो की उचित मूल्य और भुगतान की एल समस्याओं और तमाम परेशानियां से निजात मिलेगी और किसान आत्मनिर्भर बन पाएंगे। जाहिर है जैव ईंधन ल्यूकिड ईंधनों यानि कच्चे तेलों से कहीं सस्ता पड़ता है, जिससे धन की भी बचत होगी। जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजूबत होगी।