Thursday, March 28, 2024
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अदाणी-हिंडनबर्ग केस की जांच के लिए केंद्र सरकार तैयार

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज सोमवार को सुप्रीमकोर्ट को बताया कि शेयर बाजार के लिए नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने प्रस्ताव को लेकर उसे कोई आपत्ति नहीं है। सुप्रीमकोर्ट हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट के मामले की सुनवाई कर रहा था।

उन्होंने कहा, “सरकार को समिति बनाने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों के नामों का सुझाव हम दे सकते हैं। हम सीलबंद लिफाफे में नाम सुझा सकते हैं।” मेहता ने आशंका जताई कि पैनल की स्थापना पर किसी भी ‘अनजाने’ संदेश का धन प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। शीर्ष अदालत ने निवेशकों को नुकसान पहुंचाने और अदाणी समूह के शेयरों को कृत्रिम तरीके से गिराने संबंधी दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है।

सुप्रीमकोर्ट ने अदाणी समूह के शेयर बाजारों में गिरावट की पृष्ठभूमि में 10 फरवरी को कहा था कि भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा की जरूरत है। न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित कर नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विचार करने के लिए कहा था।

पिछली सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सेबी से 13 फरवरी तक जवाब मांगा था। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कहा था कि वह अदालत को यह बताए कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और सुप्रीमकोर्ट को दिखाए कि मौजूदा संरचना क्या है? कोर्ट ने कहा था कि वह यह भी जानना चाहती है कि नियामक ढांचे को कैसे मजबूत किया जा सकता है?

सुप्रीमकोर्ट ने सेबी से पूछा था कि मौजूदा नियामक ढांचा क्या है?

सुप्रीमकोर्ट ने सेबी से पूछा था कि मौजूदा नियामक ढांचा क्या है और क्या निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है? उच्चतम न्यायालय ने वित्त मंत्रालय और सेबी से 13 फरवरी तक जवाब मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए? कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया था।

उससे पहले गुरुवार सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष वकील विशाल तिवारी ने मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि मामले में दर्ज अन्य याचिकाओं के साथ उनकी अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए। तिवारी ने जनहित याचिका में बड़े कारोबारी घरानों को दिए गए 500 करोड़ रुपये से अधिक ऋण की मंजूरी नीति की निगरानी को लेकर एक विशेष समिति गठित करने की भी मांग की थी। कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी।

उससे पहले पिछले हफ्ते वकील एमएल शर्मा ने शीर्ष अदालत में एक और जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के शॉर्ट सेलर नाथन एंडरसन और भारत और अमेरिका में उनके सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से निर्दोष निवेशकों का शोषण करने और अदाणी समूह के शेयर के मूल्य को कृत्रिम तरीके से गिराने के लिए मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।

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