Tuesday, June 24, 2025
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मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने को हो रहे ठोस उपाय

  • उच्च जोखिम गर्भावस्था की समय से पहचान जरूरी : डा.प्रतिभा रमन

जनवाणी संवाददाता | 

सहारनपुर:  मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने को सरकार व स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है, क्योंकि मातृत्व स्वास्थ्य से संतति पर बेहतर असर होता है। ऐसे में सरकार हर जरूरी बिंदुओं का खास ख्याल रखते हुए जज्जा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके।

जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. प्रतिभा रमन का कहना है कि विभाग मातृत्व स्वास्थ्य के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। गर्भवती की मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थय केंद्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहां गर्भवती महिलाओं की संपूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है,ताकि जज्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाया जा सके। इस बाबत जिला प्रोग्राम अधिकारी खालिद ने बताया – पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए पांच हजार रुपये दिए जाते हैं।

इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है,जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये दिए जाते हैं। सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुंचाने और अस्तपाल से घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है। मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए। ताकि किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान किया जा सके। इसके साथ ही गर्भवती के खानपान का खास ख्याल रखें।

खाने में हरा साग सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करें। आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन करें। जटिलता वाली गर्भवती (एचआरपी) की पहचान चिकित्सक के अनुसार पहले प्रसव में बच्चे की पेट में मृत्यु हो गई हो या पैदा होने पर मृत्यु हो, कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो, प्रसव के दौरान या बाद में अत्याधिक रक्तस्राव हुआ हो, पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो, गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) या मधुमेह (डायबिटीज) या गुर्दे की बीमारी,टीबी या मिर्गी की बीमारी, पीलिया, लिवर की बीमारी, थायराइड आदि वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं, गंभीर एनीमिया सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर अधिक, गर्भ में आड़ा-तिरछा या उल्टा बच्चा, चौथे महीने के बाद खून जाना गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना, एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना आदि जटिलता वाली गर्भावस्था कहलाती है।
आशा बनी सच्ची सहेली

डा. प्रतिभा रमन का कहना है कि आशा कार्यकर्ता गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करने में सच्ची सहेली की भूमिका अदा करती है। इसके साथ ही प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराने में मदद करती है। संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करती है और प्रसव के लिए साथ में अस्पताल तक महिला का साथ निभाती है।

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