Friday, March 29, 2024
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आठ साल से पार्क बदहाल, शराबियों का अड्डा बना

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  • गंगानगर के एम ब्लॉक के पार्क से चोरों की चांदी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: इसे पार्क मत कहिये, यह तो रोज शाम को शराबियों का अड्डा बन जाता है। आठ साल से इस पार्क की सुध न तो नगर निगम और न ही एमडीए ने ली है। इस पार्क में कोई घुसने का नाम नहीं लेता है। दिन में जानवर और रात में असामाजिक तत्व इसमें बैठे नजर आते हैं।

जब आसपास के लोग इनका विरोध करते हैं शराबी अभद्रता पर उतर आते है। इस पार्क की बाउंड्री पर लगी लोहे की रेलिंग चोरों के लिये चांदी बनी हुई है। गंगानगर में एमडीए के द्वारा बनाए गए पार्कों की हालत काफी अच्छी है, लेकिन बस एम ब्लॉक का यह पार्क अभिशाप बना हुआ है और इसकी सुध लेने के लिये इन दोनों विभागों के पास कोई योजना तक नहीं है।

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पार्क के गेट एमडीए का बोर्ड लगा हुआ है। जिसमें लिखा है कि प्राधिकरण का उद्यान विभाग इसकी देखरेख करता है। पार्क का लोहे का गेट जंग लगने के कारण बंद पड़ा हुआ है, लेकिन पार्क के बगल समेत पांच जगहों पर लोगों ने बाउंड्री वॉल को तोड़कर रास्ते बना लिये गए है।

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दैनिक जनवाणी छायाकार जब पार्क के अंदर घुसा तो देखा कि जगह-जगह पर शराब के पाउच और बोतलों के अलावा नमकीन के सैकड़ों पैकेट्स पड़े हुए थे। एक बुजुर्ग हरि सिंह ने बताया कि भैया तीन साल तो मुझे देखते हुए हो गए, आज तक एक भी माली यहां झांकने नहीं आया।

अगर माली आते तो हरियाली की जगह बंजर जमीन न होती। उन्होंने कहा कि एनजीटी पराली जलाने पर दंडित कर रही है, लेकिन यहां पर आने वाले असामाजिक तत्व कूड़ा और घास फूस जलाकर प्रदूषण फैलाते है। पार्क की दीवार बदहाल हो गई है।

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कुछ दिन पहले बाइक सवार दो युवक आए और पार्क में लगी लोहे की रेलिंग को तोड़कर ले जाने लगे, जब पास में रहने वाले एक फौजी की पत्नी ने उनको टोका तो चोर बोले कि नगर निगम से आए हैं। महिला ने बाइक का नंबर गंगानगर चौकी और नगर निगम को दे दिया, लेकिन किसी ने भी चोरों को पकड़ने की जेहमत नहीं की।

विवि में पढ़ने वाले दो छात्रों हिमांशु और अभिषेक ने बताया कि पार्क को अगर मेंटेन किया जाए तो बुरा नहीं है, लेकिन जिस तरह से इसकी उपेक्षा की जा रही है वो दयनीय है। स्थानीय पार्षद गुलबीर से बार-बार कहने के बाद पार्क की बदहाली दूर नहीं हो रही है।

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सूखी घास, सूखे पेड़, टूटी दीवारों की शिकायत करने जब भी स्थानीय लोग जाते हैं तो उनको एमडीए और नगर निगम एक-दूसरे पर टरका देते हैं। एम ब्लॉक वालों का दर्द जायज है, क्योंकि आसपास के ब्लॉकों के पार्क उनको मुंह चिढ़ा रहे हैं।

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