Friday, April 25, 2025
- Advertisement -

नर्तकी और साधु

Amritvani 20


किसी गांव में एक साधु रहता था जो दिन भर लोगों को उपदेश दिया करता था। उसी गांव में एक नर्तकी थी, जो लोगों के सामने नाचकर उनका मन बहलाया करती थी। एक दिन गांव में बाढ़ आ गयी और दोनों एक साथ ही मर गए। मरने के बाद जब ये दोनों यमलोक पहुंचे तो इनके कर्मों और उनके पीछे छिपी भावनाओं के आधार पर इन्हें स्वर्ग या नरक दिये जाने की बात कही गई। साधु खुद को स्वर्ग मिलने को लेकर पुरा आश्वस्त था। वहीं नर्तकी अपने मन में ऐसा कुछ भी विचार नहीं कर रही थी।

नर्तकी को सिर्फ फैसले का इंतजार था। तभी घोषणा हूई कि साधु को नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है। इस फैसले को सुनकर साधु गुस्से से यमराज पर चिल्लाया और क्रोधित होकर पूछा , यह कैसा न्याय है महाराज, मैं जीवन भर लोगों को उपदेश देता रहा और मुझे नरक नसीब हुआ! जबकि यह स्त्री जीवन भर लोगों को रिझाने के लिए नाचती रही और इसे स्वर्ग दिया जा रहा है। ऐसा क्यों? यमराज नेँ शांत भाव से उत्तर दिया, यह नर्तकी अपना पेट भरने के लिए नाचती थी, लेकिन इसके मन में यही भावना थी कि मैं अपनी कला को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर रही हंू। जबकि तुम उपदेश देते हुए भी यह सोचते थे कि कि काश तुम्हें भी नर्तकी का नाच देखने को मिल जाता! हे साधु! लगता है तुम इस ईश्वर के इस महत्वपूर्ण संदेश को भूल गए कि इंसान के कर्म से अधिक कर्म करने के पीछे की भावनाएं मायने रखती हैं। अत: तुम्हे नरक और नर्तकी को स्वर्ग दिया जाता है। मित्रों, हम कोई भी काम करें, उसे करने के पीछे की नियत साफ होनी चाहिए, अन्यथा दिखने में भले लगने वाले काम भी हमें पुण्य की जगह पाप का ही भागी बना देंगे।


janwani address 7

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Badshah: पहलगाम हमले से आहत बादशाह ने रोकी म्यूजिक लॉन्च, जताई संवेदना

नमस्कार दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img