नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। लगातार तीसरे दिन भूकंप के झटके आने का मतलब प्रकृति कुछ खतरनाक संकेत दे रही है। बावजूद इसके इंसान प्रकृति से छेड़छाड़ बंद नहीं कर रहा है। आइए जानते हैं कि भूकंप क्यों आते हैं…
नेपाल से लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक धरती को हिलाकर रख देने वाले भूकंप के झटके ने थोड़ी देर के लिए ही सही मगर सांसें रोक दी थीं। हालांकि अभी तक किसी प्रकार के जान वो माल के नुकसान की खबर नहीं मिली है। भूकंप का केंद्र नेपाल में जमीन में 10 किमी नीचे था, जहां भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 नापी गई है।
जानकारी के मुताबिक, आज मंगलवार को दोपहर 2.51 बजे भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तराखंड के कई वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किए हैं।
#WATCH | Earthquake tremors felt across Delhi-NCR. Visuals from Noida Sector 75 in Uttar Pradesh. pic.twitter.com/dABzrVoyVw
— ANI (@ANI) October 3, 2023
इन वीडियो में घरों और दफ्तरों में लगे पंखे हिलते हुए देखे जा सकते हैं। उधर, एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग अपने घरों और दफ्तरों से भाग खड़े हुए। बता दें कि पिछले 36 घंटे में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं।
UP-Delhi NCR Earthquake: भूकंप के तेज झटके से कांपी धरती, 6.2 रही तीव्रता
36 घंटे में दूसरा बड़ा भूकंप
आपको बता दें कि सोमवार सुबह 6.15 बजे को देश के उत्तर पूर्वी राज्य मेघायल में भी भूकंप के तेज झटके महसूस हुए थे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.2 नापी गई थी। भूकंप का केंद्र नार्थ गारो पहाड़ में करीब 10 किमी अंदर था। हालांकि यहां भूकंप के कारण किसी भी प्रकार के नुकसान की कोई खबर सामने नहीं आई थी।
इससे पहले रविवार (1 अक्टूबर) को हरियाणा के रोहतक जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यहां भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.6 नापी गई थी। ये हल्की तीव्रता का भूकंप था। इस भूकंप का केंद्र रोहतक से सात किमी दूर खेड़ी गांव में था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 48 घंटे ये तीसरा भूकंप है।
क्यों आते हैं भूकंप के झटके…
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब क्या होता है?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
कैसे मापा जाता है भूकंप की तीव्रता…
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।