- परिवहन मंत्रालय के आदेशों का उड़ाया जा रहा मखौल
- वाहन चालकों से दुर्व्यवहार करा सकती है बड़ा बवाल
- इन महिला कर्मियों को नहीं पता बात करने का तरीका
- टोल प्रबंधक ने नहीं दी अभी तक कोई ट्रेनिंग
- टोल प्लाजा पर आए दिन होते रहते हैं झगड़े फसाद
- लापरवाह टोल प्रबंधक सीख लेने को तैयार नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा पर टोल बूथ पर बैठी अनट्रेंड महिला कर्मचारियों द्वारा यात्रियों के साथ किए जाने वाला दुर्व्यवहार किसी दिन बड़ी वारदात को अंजाम दे सकता है। क्योंकि इन कर्मचारियों को यात्रियों से कैसे बात करनी है और कैसा व्यवहार रखना है।
इसकी कोई इन्हे अभी तक टोल प्रबंधक द्वारा ट्रेनिंग नहीं दी गई है। क्योंकि इनके व्यवहार के कारण ही आए दिन टोल प्लाजा पर वारदात होती रहती है। तमाम बार इनकी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन शिकायत के बाद भी आज तक कोई भी कार्रवाई टोल प्रबंधन ने इनके खिलाफ नहीं की है। परिवहन मंत्रालय द्वारा लगातार यात्रियों के साथ अच्छा और कुशल व्यवहार होना चाहिए।
तमाम गाइडलाइन टोल कर्मचारियों के लिए शुरू की और इसके लिए आदेश भी दिए, लेकिन परिवहन मंत्रालय के यह आदेश सिवाया टोल प्लाजा पर सिर्फ हवा हवाई ही नजर आ रहे हैं। क्योंकि इस टोल पर ऐसा कोई दिन जाता होगा। जहां आए दिन झगड़े और फसाद न होते होंगे। क्योंकि यहां के कर्मचारी टोल शुल्क वसूलने की एवज में आए दिन अभद्रता और बदसलूकी करते हैं और जिसके बाद यहां बड़ी वारदातें हो जाती है। पुलिस को भी इनकी ना समझी के कारण यहां आना पड़ता है, लेकिन उसके बाद भी टोल प्रबंधन सीख नहीं ले रहा है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में भी बड़ी परेशानी हो जाएगी।
नेता से लेकर अधिकारी तक इनकी बदसलूकी का हो चुके शिकार
सिवाया टोल प्लाजा एक ऐसा टोल प्लाजा है। न तो यहां वीआईपी लाइन है और न ही वीआईपी श्रेणी की कैटेगिरी है। क्योंकि यहां सत्ताधारी नेताओं से लेकर सांसद, विधायक और पार्टी के पदाधिकारियों तक के साथ बदसलूकी कर्मचारियों द्वारा की जा चुकी है। प्रशासनिक अधिकारी भी इनकी बदसूली का शिकार हो चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी इस प्लाजा के कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं। अब इनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी आवश्यक है।
टोल अफसर एसी में, जनता सड़क पर गर्मी में बेहाल
एनएच-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा पर अक्सर जाम लगने के कारण यहां से गुजरने वाले यात्री जोकि टोल देकर निकल रहे हैं। उन्हे चिलचिलाती गर्मी में घंटों तक सड़क पर खड़े रहना पड़ता है और खुद टोल अधिकारी एसी में बैठकर सीसीटीवी कैमरे में ही निगरानी करते हुए नजर आते हैं।
अगर यह अधिकारी खुद सड़क पर उतरकर टोल की व्यवस्था बनाए तो शायद टोल पर जाम न लग सके। परिवहन मंत्रालय को इस टोल पर लगने वाले जाम की शिकायत कई बार की जा चुकी है, लेकिन इस बार परिवहन मंत्री से स्थानीय लोगों ने मिलकर टोल अधिकारियों की शिकायत की बात कही। टोल पर बैठे अधिकारी अगर एसी का मोह छोड़ दे तो शायद इस टोल की स्थिति में सुधार आ जाए।
क्योंकि टोल प्लाजा पर प्रोजेक्टर डायरेक्टर, सीनियर प्रबंधक और टोल मैनेजर से लेकर तमाम कर्मचारी बैठते हैं, लेकिन यह कर्मचारी सिर्फ अपने कर्तव्य के स्थान पर अपनी सुविधाओं तक महरूम रह गए हैं। क्योंकि यह सुविधा के अनुरूप ही टोल पर काम कर रहे हैं। टोल प्लाजा के एक सीनियर प्रबंधक इस जिम्मेदारी के लिए सतर्क नहीं है। अगर वह जिम्मेदारी के साथ टोल पर समस्याओं को देखे तो शायद यहां खड़ी होने वाली समस्याएं दूर हो जाएगी।
टोल पर जाम और अभद्रता के नाम पर सब मौन
आखिर सिवाया टोल प्लाजा पर लगने वाले जाम और यहां होने वाली अभद्रता के बारे में जब अधिकारियों से बातचीत की जाती है तो वह सिर्फ मौन रूप धारण कर लेते हैं। क्योंकि उनका सिर्फ एक ही कहना है कि हाइवे पर ट्रैफिक बढ़ने के कारण जाम लगता है और कर्मचारी टोल शुल्क मांगते हैं तो उनके साथ यात्री अभद्रता करते हैं।
अगर यही बात टोल पर होगी तो फिर आए दिन यहां तोड़फोड़ और हादसे होंगे, लेकिन अधिकारी सिर्फ यह बात कहकर अपना पल्ला झाड़ते हैं। क्योंकि अधिकारियों को सब पता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सिवाया टोल प्लाजा ऐसा पहला प्लाजा है। जहां कर्मचारी जानबूझकर झगड़े और फसाद करते हैं। जो आए दिन छोटी-छोटी बाते पर मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं।
इसलिए बार-बार इस तरह की वारदाते होने के बाद भी आखिर इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। यह एक चिंता का विषय बना हुआ है। वहीं, इस संबंध में एनएचएआई के परियोजना निदेशक डीके चतुर्वेदी का कहना है कि टोल प्लाजा पर अक्सर इस तरह की वारदातें होना उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने पत्र भेजकर टोल कंपनी के अधिकारियों को हिदायत भी दे है। अगर फिर इस तरह की शिकायते आती है तो उसके खिलाफ टोलवे कंपनी के हेड आॅफिस को लिखा जाएगा और ऐसे अधिकारियों को तुरंत हटाने की बात कही जाएगी।