नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। शारदीय नवरात्रि के पर्व की शुरूआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, आज नवरात्रि का सातवां दिन है और इस दिन मां कालरात्रि की पूजा अराधना की जाती है। माता कालरात्रि की विधिवत पूजा और व्रत करने से मां अपने भक्तों की सभी बुरी शक्तियों और अनिष्टों से रक्षा करती हैं। साथ ही तंत्र-मंत्र साधनों से मां कालरात्रि की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं मां कालरात्रि का स्वरूप, पूजा, मंत्र, पूजा विधि और आरती।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि के स्वरूप की बात करें तो माता का काले रंग का स्वरूप है। साथ ही माता की चार भुजाएं हैं। विशाल केशा हैं। वहीं कालरात्रि अपने विशाल रूप में मां के एक हाथ में शत्रु की गर्दन का नाश करती हुई और दूसरे हाथ में तेज तलवार लिए नजर आती हैं। मां कालरात्रि पूजा विधि इस दिन सुबह जल्दी उठें और फिर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद लाल कंबल के आसन पर बैठकर मां की पूजा करें। साथ ही स्थापित मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र के चारों ओर गंगा जल छिड़कें। यदि कालरात्रि की कोई प्रतिमा या तस्वीर नहीं है तो आप मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रख सकते हैं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं। साथ ही मां को गुड़हल का फूल भी चढ़ाएं। वहां गुड़ खायें। अंत में आरती के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें।
माँ कालरात्रि भोग
मां कालरात्रि के भोग की बात करें तो मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से वह जल्द प्रसन्न होती हैं। साथ ही आप मां कालरात्रि पर मालपुए का आनंद भी ले सकते हैं। ऐसा करने से आप नकारात्मक शक्तियों से बचे रहेंगे। साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी।
माँ कालरात्रि स्तोत्र पाठ
हां कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
काम्बिजपण्डा काम्बिजस्वरुपिणी।
कुम्तिघ्नी कुलिनर्तिनाशिनी कुल कामिनी।
कली ह्रीं श्रीं मंत्रवर्णेन कालकान्तकगतिनी।
कृपामयी कृपारा कृपापा कृपागमा ॥
कालरात्रि कवच ॐ कालीमें हद्यमपतुपादुश्रिंकलारात्र।
रसानामपतुकौमारि भैरवी चक्षुनोर्ममखाउपजहेमेशानीकर्णोशंकरभामिनी।
वत्तानितुस्थानभियानिचकावचेनहि।
तानिसर्वनिमे देवि समन्तमपतुस्तंभिनी।
कालरात्रि स्तुति मंत्र या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
कालरात्रि प्रार्थना मंत्र एकवेणी जपाकर्णपुरा नग्न खरास्थिता।
वम्पादोल्लसलो लताकंटकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वज कृष्ण कालरात्रिभयंकरि।
कालरात्रि आरती
कालरात्रि जय-जय महाकाली। काल के मुख से बचाने वाला। महाचंडी आपका अवतार है। महाकाली है तेरा पसरा..वह जो कपाल धारण करती है। दुष्टों का खून चखो कलकत्ता स्थान तुम्हारा है। मैं सर्वत्र आपका ही दर्शन देखता हूँ.. सभी देवता, सभी नर-नारी। ग्राम गुणगान तुम्हारा सब.. रक्तदंत और अन्नपूर्णा। कृपया कोई दर्द, कोई चिंता, कोई बीमारी न हो। न दुःख न संकट भारी। तुम्हें बचाने वाली महाकाली माँ। कालरात्रि माँ तेरी जय।