Sunday, September 8, 2024
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अनुराधा की जीत की सुनामी में डूबती रही हर ‘लहर’

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  • 2004 में 3 लाख, 42 हजार से अधिक मतों से दर्ज की थी जीत
  • 1984 इंदिरा सहानुभूति लहर के बाद मंडल-कमंडल लहर फीकी

राजपाल पारवा |

शामली: पूर्व पीएम चौ. चरणसिंह की पत्नी ने आधी आबादी की ओर से पहली बार 1980 में जहां कैराना लोस सीट का संसद में प्रतिनिधित्व किया था। वहीं 2004 में अनुराधा चौधरी द्वारा सर्वाधिक 3 लाख, 42 हजार, 414 मतों से जीत हासिल करने का रिकार्ड दो दशक बाद भी कोई नहीं तोड़ पाया है। इससे पूर्व की 1984 की इंदिरा गांधी सहानुभूति लहर हो या फिर 1989 की मंडल कमीशन या फिर 1996 की कमंडल लहर, अनुराधा की जीत के सामने सब फीकी पड़ गई।

मुजफ्फरनगर लोस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरणसिंह 1971 में चुनाव हार गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में इमरजेंसी लगा दी गई थी। फिर, 1977 में आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी पराजय झेलनी पड़ी थी। क्षेत्र में कांग्रेस के प्रति जनाक्रोश तीन साल बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था। एक ओर जहां मुजफ्फरनगर सीट पर जनता सोशलिस्ट पार्टी के गय्यूर अली जलालाबाद ने परचम फहराया था, वहीं कैराना लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी ने कांग्रेस के नारायण सिंह को 39,777 मतों से हराकर जीत दर्ज की थी।

इस तरह पहली बार कैराना सीट से कोई महिला जीतकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचीं। इसके 24 साल बाद 2004 में राष्ट्रीय लोकदल की अनुराधा चौधरी ने रालोद के सिंबल पर सबसे बड़ी जीत हासिल की। उस समय सपा-रालोद का जहां गठबंधन था, वहीं प्रदेश में सपा-रालोद गठबंधन की सरकार थी। अनुराधा चौधरी को उस समय 5 लाख, 23 हजार, 923 मत प्राप्त हुए थे। इस तरह वें 64.15 फीसदी मतदाताओं की पहली पसंद बनी थीं जबकि बसपा के शाहनवाज राणा ने 22.22 मतों के साथ 1 लाख, 81 हजार, 501 मत प्राप्त किए और दूसरे पायदान पर रहे थे। अनुराधा चौधरी ने इस चुनाव में आज तक की सबसे बड़ी 3 लाख, 42 हजार, 414 मतों की लीड से कैराना लोकसभा सीट जीती थी।

अनुराधा चौधरी की करीब ढ़ाई दशक पहले की इस जीत को आज भी मतदाता याद ही नहीं करते बल्कि उसकी मिसाल भी देते हैं। पुरुष प्रधान समाज के नेताओं के लिए भी अनुराधा चौधरी की जीत का यह रिकार्ड आज तक अनछुआ ही है। दूसरी ओर, अनुराधा चौधरी के जीत के रिकार्ड को छूने की कोशिश 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बाबू हुकुम सिह ने की थी। तब भाजपा के बाबजूी ने सपा के नाहिद हसन को 2 लाख, 36 हजार, 628 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में हुुकुम सिंह ने 50.65 प्रतिशत मत के साथ 5, 65 हजार, 909 मत प्राप्त किए थे। नाहिद हसन को महज 29.49 फीसदी मत ही प्राप्त हुए थे। इसके पांच साल बाद बसपा की तबस्सुम हसन ने कैराना सीट पर जीत का परचम फहराया।

तबस्सुम हसन ने कद्दावर गुर्जर क्षत्रप बाबू हुकुम सिंह को 22,463 मतों से पराजित किया था। बाबूजी के देहात के बाद 2018 के उप चुनाव में तबस्सुम हसन ने रालोद के सिंबल पर बाबू हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को 44,618 मतों से हराया था। इस चुनाव में तबस्सुम हसन को 51.26 फीसदी मत प्राप्त हुए थे। हालांकि भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में एक बार फिर से कैराना सीट पर कब्जा कर लिया था। भाजपा के प्रदीप चौधरी ने रालोद की तबस्सुम हसन को 50.44 फीसदी के साथ 5 लाख, 66 हजार, 961 मत प्राप्त किए थे जबकि तबस्सुम हसन को 42.24 प्रतिशत के साथ 4 लाख, 74 हजार, 801 मत मिले थे।

इस तरह से 1962 में सृजित कैराना सीट पर अनुराधा द्वारा 2004 में सर्वाधिक मतों से जीत के रिकार्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है। 1984 की इंदिरा की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति के दौरान हुए लोस चुनाव हो या फिर 1989 में मंडल कमीशन तथा 1996 में राम लहर के दौरान हुए चुनाव हों। यहां तक की 2014 व 2019 की मोदी लहर 2004 के सपा-रालोद गठबंधन की अनुराधा चौधरी के रिकार्ड तक पहुंच पाई।

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