- धरने पर बढ़ रही भीड़, आगे बढ़ सकते हैं टकराव के हालात
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: किसानों और व्यापारियों ने मेरठ विकास प्राधिकरण के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल रखा हैं। तीन दिन से किसान डाबका के पास एनएच-58 पर सरकारी सिस्टम के खिलाफ धरना देकर बैठे हैं। किसानों और व्यापारियों का ये धरना बेमियादी हैं। धरना कब तक चलेगा इसका कुछ भी पता नहीं हैं। धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि ग्रीन वर्ज बचाने की इतनी बड़ी चिंता प्राधिकरण को है तो इस जमीन का अधिग्रहण कर ले, पूरी जमीन किसान प्राधिकरण को देने को तैयार हैं।
प्राधिकरण की मंशा का इसी बात से पता चलता है कि वेदव्यासपुरी योजना, श्रद्धापुरी योजना, सैनिक विहार योजना, पल्लवपुरम योजना प्राधिकरण की हैं, इसमें भी ग्रीन वर्ज छोड़ा जाना चाहिए था, लेकिन प्राधिकरण अफसरों ने ऐसा नहीं किया। यहां पर ग्रीन वर्ज का नियम लागू नहीं होता। ये नियम सिर्फ किसानों पर लागू होता हैं। प्राधिकरण ने अपनी जमीन तो एक-एक इंच बेच दी और किसानों की जमीन में ग्रीन वर्ज लगा दिया। ये कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यही नहीं, प्राधिकरण अफसरों ने पन्द्रह दिन का किसानों को समय दिया था, लेकिन दो दिन बाद ही बुलडोजर किसानों के निर्माणों पर चला दिया। ये प्राधिकरण अफसरों की दबंगई हैं। किसानों और व्यापारियों को बर्बाद करने के लिए प्राधिकरण अफसर लगे हैं। धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि खड़ौली में रोड वाइडिंग और ग्रीन वर्ज लागू नहीं होता। कुंडा में भी ग्रीन वर्ज लागू नहीं होता। सड़क तक निर्माण कार्य कर दिये गए हैं, इन दोनों ही स्थलों पर जाम भी लगता हैं। ये प्राधिकरण अफसरों को नहीं दिखता।
क्योंकि पहले घूस लेकर ये बनवा दिये गए हैं, अब वहां जाते हुए हाथ कांप रहे हैं। धरनारत किसानों का कहना है कि ये लड़ाई किसानों और व्यापारियों की हो गई हैं। 2024 में चुनाव हैं। इस लड़ाई को लंबी खींचने के लिए किसानों के बड़े नेताओं से भी संपर्क किया जा रहा हैं, ताकि आंदोलन को बड़ा रूप दिया जा सके। आवश्यकता पड़ी तो किसान कढ़ाई लेकर प्राधिकरण आॅफिस पर भी चढ़ाई करने की रणनीति बना रहे हैं। किसानों के इस धरने में हर रोज संख्या बढ़ रही हैं। भीड़ जुटाने के लिए गांव-गांव इसका प्रचार भी किसानों ने आरंभ कर दिया हैं, जिसके चलते भीड़ बढ़ने लगी हैं।