Wednesday, June 7, 2023
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समस्या बढ़ा रहीं दिल की बीमारियां

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आज यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि देश में दिल की बीमारियां महामारी का रूप लेती जा रही हैं। हाल ही में जारी आईसीएमआर की एक रिपोर्ट में दिल की बीमारियों को लेकर बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आईसीएमआर ने ‘इंडिया हेल्थ ऑफ द नेंशनस स्टेट’ नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में होने वाली कुल मौतों में से 28 फीसदी मौतों की वजह दिल की बीमारी होती है। देश में पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक के मरीजों की तादाद में भारी बढ़ोतरी हुई हैं। जानकार यह भी बताते हैं कि पूरी दुनिया में भारत में आंकड़े बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि बुजुर्गों से कहीं ज्यादा युवा वर्ग चपेट में आ रहा है। युवा वर्ग का इसके चपेट में आने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। यदि हम मुख्य कारणों की बात करें तो इसमें तनाव और आराम तलब जीवन शैली के साथ-साथ अनियमित नींद हार्ट अटैक जैसी बीमारी के पीछे बड़ी वजह बनकर उभरी हैं। इसके अलावा युवा पीढ़ी में बढ़ता धुम्रपान का जूनून भी जिम्मेवार है। आजकल की युवा पीढ़ी खान-पान के उचित ढंग का ख्याल नहीं करती है, जिससे खाने की गलत आदत का जल्दी शिकार हो जाती है। युवाओं में बढ़ती शराब की लत और वायु प्रदूषण भी जिम्मेवार कारक हैं।

अक्सर हार्ट अटैक को बुढ़ापे और बुजुर्गों से जोड़कर देखा जाता था। क्योंकि इसकी चपेट में आने का अनुपात युवा पीढ़ी से कहीं ज्यादा बुजुर्गों का था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों के भीतर आंकड़ों में भारी फेरबदल हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि हार्ट अटैक के कुल आंकड़ों में से आधे आंकड़े युवा पीढ़ी के हैं। ऐसे में यदि युवाओं में बढ़ते आंकड़ों में कोई कमी नहीं आती है तो यह महामारी का रूप अख्तियार कर सकती है।

वहीं हृदय रोग विशेषज्ञ मानते कहते हैं कि भारत में हृदय रोग की महामारी को रोकने का एकमात्र तरीका लोगों को शिक्षित करना है, अन्यथा देश में आने वाले समय में सबसे अधिक मौतें हृदय रोग के कारण ही होंगी। जैसा कि हृदय में खून की आपूर्ति न होने, हृदय की मांसपेशियों के खराब होने, हृदय की धमनियों में खून का थक्का जमने से हार्ट अटैक आता है। यदि समय रहते पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाया जाए, तो बहुत हद तक संभव है कि उसे मौत से बचाया जा सकता है।

ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हमें हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानकारी हो ताकि हम पीड़ित व्यक्ति को अतिशीघ्रता से अस्पताल पहुंचाए। हम हार्ट अटैक के लक्षणों की बात करें तो इसमें अचानक छाती में बाई तरफ दर्द महसूस होने लगता है, इसके साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। घबराहट, चक्कर का आना, कमजोरी, बेचैनी और खांसी के दौरे पड़ने लगते हैं। हार्ट अटैक आने पर पूरा शरीर पसीने से तर-बतर हो जाता है।

इससे तनाव, मन अशांत और थकान महसूस होती है। डॉक्टर और विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि दिल का दौरा पड़ने पर अक्सर सीने में तेज दर्द होता है, लेकिन कुछ व्यक्तियों को हल्का दर्द भी होता है। और कई बार ऐसा भी होता है कि महिलाओं, बुजुर्गों और डायबिटीज रोग से पीड़ित व्यक्तियों को इस दर्द का एहसास तक नहीं होता है। वहीं मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि सभी हृदय रोगियों में समान लक्षण नहीं होते हैं, छाती का दर्द इसका सबसे आम लक्षण नहीं है।

कुछ लोगों को अपच की तरह असहज महसूस हो सकता है और कुछ मामलों में गंभीर दर्द, भारीपन या जकड़न हो सकता है। आमतौर पर दर्द छाती के बीच में महसूस होता है, जो बाहों, गर्दन, जबड़े और यहां तक कि पेट तक फैलता है। इससे धड़कन का बढ़ना और सांस लेने में तकलीफ होती है। वे कहते हैं कि धमनियां पूरी तरह से बाधित हो जाती हैं, तो दिल का दौरा पड़ सकता है। जो हृदय की मांसपेशियों को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है। दिल के दौरे में होने वाले दर्द में पसीना आना, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, हृदय रोग अक्सर बिना किसी पूर्व चेतावनी या संकेत के हमला करता है। आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में कोरोनरी हार्ट डिजीज विकसित होने का खतरा रहता है। पिछले दो दशकों में लोगों की जीवन शैली में एक बड़ा बदलाव आया है, जो हृदय रोग (सीवीडी) के बढ़ते मामलों का एक कारण बना है। युवा भारतीयों में सीवीडी के बढ़ते मामलों के लिए मौजूदा पर्यावरण के साथ विरासत में मिले जीन सहित कई रिस्क फैक्टर जिम्मेदार हैं।

हालांकि समय के साथ इन पर्यावरण से जुड़े कारकों ने खतरे को और बढ़ा दिया है। माना जाता है कि पारंपरिक रिस्क फैक्टर जैसे कि डिस्लिपिडेमिया, उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन, मोटापा, डायबिटीज मेलिटस और धूम्रपान भारतीयों में कोरोनरी धमनी की बीमारी के बढ़ते मामलों से जुड़े हैं। दूसरे कारण, जैसे लंबे समय तक काम करना, सोने का कम समय और तनाव आज हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। इसके अलावा ज्यादा देर तक बैठकर स्क्रीन पर काम करने और एक्सरसाइज न करने की वजह से भी हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसे में दिल से जुड़ी बीमारियों से बचने के यथासंभव प्रयास करने चाहिए। इसके लिए हम भरपूर नींद ले सकते हैं, शरीर को अधिक आराम दे सकते हैं, ध्वनि प्रदूषण स्थलों से उचित दूरी बनाए रखें, तनाव लेने से जितना हो सके उतना बचा जाए, घरेलू और शुद्ध खानपान को बढ़ावा दें, जंक फूड कम से कम उपयोग में लें, संतुलित आहार, धूम्रपान न करने जैसी आदतें विकसित करें। ऐसी अच्छी आदतें हमें स्वस्थ जीवन और सुखद भविष्य दे सकती है।


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