- गंगा के जलस्तर में लगातार होने लगी वृद्धि, बिजनौर बैराज से छोड़ा जा रहा दो लाख क्यूसेक पानी
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में हो रही बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है। मैदानी इलाकों में गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। वन आरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरने वाली गंगा की धारा अपने उच्चतम स्तर पर बह रही है। पहाड़ी इलाकों से बहकर गंगा में आने वाले बारिश के पानी का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
इस दबाव के चलते हरिद्वार बैराज और बिजनौर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। गंगा के मौजूदा जलस्तर को देखते हुए इस बात की आशंका गहराने लगी है कि अगर मौजूदा जलस्तर में इसी प्रकार वृद्धि होती रही तो किसी भी वक्त गंगा के तटवर्ती गांव में पानी घुसने के साथ गंगा नदी पर बने पुल के लिए भी संकट बन सकता है।
पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश का पानी खादर क्षेत्र में आफत बन रहा है। बीते कई दिन से गंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। गंगा नदी उफान पर है। शनिवार को बिजनौर बैराज से पानी छोड़ने के बाद गंगा का जलस्तर 40 से 50 सेमी और बढ़ गया। ऐसे में खेतों में बाढ़ के हालात बने हैं।
खादर क्षेत्र के कई गांवों में पानी भरा है। ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार को बिजनौर बैराज से गंगा नदी में दो लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद गंगा नदी में भारी वृद्वि दर्ज की गई। जिसके चलते गंगा किनारे बसे गांवों में भी पानी भर गया है।
गंगा जलस्तर में वृद्वि के बाद फतेहपुर प्रेम, शिरजेपुर, खेड़ीकलां, मनोहरपुर, बधुवा आदि सहित दर्जनों गांव में बाढ़ के हालत पैदा हो गये हैं। ग्रामीणों के एक-दूसरे गांवों से सम्पर्क करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे ग्रामीणों को चारा काटने में भी परेशानी हो रही है। फसलों पर संकट गहराया हुआ है।
इस संबध में एसडीएम अखिलेश यादव का कहना है कि गंगा जल स्तर में वृद्धि को देखते हुए गंगा किनारे बसे गांवों और बाढ़ चौकियों पर अलर्ट जारी किया गया है। पहाड़ी क्षेत्र में बरसात के बाद गंगा जलस्तर में वृद्धि हुई है, लेकिन अभी खादर में बाढ़ जैसे हालात नहीं है।
तटबंध पर गहराया कटान का संकट
सालों पूर्व गंगा किनारे फतेहपुर प्रेम के समीप ग्रामीणों द्वारा बनाये गये तटबंध पर गंगा जलस्तर में वृद्धि के बाद कटान के चलते धराशायी होने का संकट मंडराने लगा है। जलस्तर में वृद्धि के बाद तटबंध के धराशायी होने से पूर्व ही ग्रामीण तटबंध को दुरुस्त करने में जुटे हैं ग्रामीणों को कहना है कि प्रशासन का इस और कोई ध्यान नहीं है बाढ़ से पूर्व तटबंध को दुरुस्त करने की मांग कई बार आलाधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।