भारत हमेशा से अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंधों का हामी रहा है। उनके सुख-दु:ख में भागीदार रहता आया है। उनके लिए हमारे आम बजट में भी प्रावधान रखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि यह आर्थिक जुड़ाव लंबे समय के लिए किए जाने वाले निवेश जैसा है। किसी देश को जब हम मदद करते हैं तो वो वहां के लोगों तक पहुंचती है और उस देश में भारत की छवि बहुत हद तक बदलती है। दूसरे देशों को मदद देने से हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती भी नजर आती है कि हमारे पास इतनी पावर है कि हम मदद देते हैं। सरकार दूसरे देशों को सहायता बजट में बढ़ोतरी या कटौती कर यह संकेत देने की कोशिश भी करती नजर आती है कि दोनों देशों के रिश्ते किस और जा रहे हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5 हजार 806 करोड़ रुपये था। इस साल यह 5 हजार 483 करोड़ रुपये रहा है। इसके बावजूद भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को फायदा हुआ है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है। इसी प्रकार बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है। आइए जानते हैं 2025-26 के बजट में भारत ने अपने पड़ोसी देशों में से किसके लिए कितनी राशि का प्रावधान किया है और इसकी क्या वजह रही है। मालदीव को 2024 के अंतरिम बजट में 600 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का झुकाव चीन की ओर होने की वजह से भारत से मालदीव के रिश्ते खराब होने से जुलाई में पेश हुए पूर्ण बजट में मालदीव के लिए आवंटन घटाकर 400 करोड़ रुपए कर दिया गया। बाद में आवंटन को संशोधित कर 470 करोड़ रुपए कर दिया गया। इसे उस समय दोनों देशों के बीच बढ़ी तनातनी से जोड़ा गया था। लेकिन उसके बाद के 12 महीनों में दोनों देशों ने पहल कर रिश्ते सुधारने की कोशिश की है। बीते साल मुइज्जू 6 से 10 अक्तूबर तक भारत के आधिकारिक दौरे पर आए थे। इसका असर मालदीव को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में दिख रहा है। वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में 28 प्रतिशत की वृद्धि कर इसको बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया है।
बांग्लादेश में बीते साल पांच अगस्त को शेख हसीना की सरकार का पतन हुआ और वो भागकर भारत आईं। इसके बाद वहां मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बनी अंतरिम सरकार लगातार भारत के प्रति कड़ा रुख अपनाती दिखी है। लेकिन भारत चूंकि बड़ा देश है इसलिए वो ये देखता है कि पांच या 10 साल बाद ये जरूरी नहीं कि बांग्लादेश में भारत के खिलाफ ऐसा ही रुख रहेगा। समाज बहुत हद तक निवेश से ही चलता है। ऐसे में पिछले साल बांग्लादेश के लिए संशोधित बजट में 120 करोड़ रुपये की राशि आवंटित हुई थी जो इस बार भी यह 120 करोड़ ही रखी गई है। भूटान और भारत के बीच पिछले कुछ सालों में करीबी बढ़ी है। भारत सबसे ज्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है। भारत ने म्यांमार के लिए सहायता राशि को 400 करोड़ से घटाकर 350 करोड़ रुपये कर दिया है। यह कटौती ऐसे समय में की गई है जब म्यांमार में सैनिक शासन और विद्रोहियों में संघर्ष चल रहा है। हालांकि म्यांमार में सशस्त्र संघर्ष की वजह से पूर्वोत्तर में अशांति फैलने की आशंका को लेकर भारत सतर्क है। हाल में भारत ने भारत-म्यांमार सीमा पर आवाजाही को सीमित करने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। नेपाल पर हाल के दिनों में चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है। श्रीलंका को दी जाने वाली सहायता राशि 300 करोड़ रुपये को बरकरार रखा गया है। इस बार इस राशि में कोई कटौती नहीं की गई है। हाल के दिनों में श्रीलंका ने भारत से अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश की है। श्रीलंका के राष्ट्रपति हाल में भारत दौरे पर आए थे। इसके साथ ही अफ्रीकी देशों के लिए सहायता राशि बढ़ाकर 225 करोड़ रुपये कर दी गई है जो पहले 200 करोड़ रुपये थी।
अफगानिस्तान के लिए भारत ने पिछले साल (2024-25) के बजट में पहले 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था लेकिन संशोधित बजट में ये राशि घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दी गई थी। अब वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में इसे बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हाल ही में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में तालिबान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी। माना जा है कि ये भारत ने अफगानिस्तान से ऐसे समय में दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, जब पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं। हालांकि लेटिन अमेरिकी देशों के लिए सहायता राशि 90 करोड़ रुपये से घटाकर 60 करोड़ रुपये कर दी गई है। ईरान के चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये और मॉरिशस के लिए भी 500 करोड़ की राशि तय की गई है।