- ग्राम प्रधान, सचिव व एडीओ पर लग रहे संगीन आरोप
- जांच कमेटी कर रही जांच, शिकायतकर्ता नहीं संतुष्ट
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: सदर ब्लॉक के गांव रई में ग्राम प्रधान समेत सचिव व एडीओ पर सचिवालय निर्माण में भारी घोटाला किये जाने का आरोप लग रहे हैं। इस मामले में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत की है, जिसके बाद मामले की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है।
सदर ब्लॉक के गांव रेई में सचिवालय निर्माण के लिए योजना के तहत पैसा भेजा गया था। सचिवालय का निर्माण पूर्व प्रधान के कार्यकाल में शुरू हो गया था, परन्तु उनके प्रधानी का कार्य पूरा हो जाने के बाद एडीओ को गांव का प्रशासक बना दिया गया, जिसके बाद चुनाव हुए और गांव का दूसरा प्रधान निर्वाचित हो गया था। आरोप है कि इस भवन के निर्माण के लिए 18 लाख रुपए का बजट आवंटित हुआ था। पहली किस्त के 10 लाख अस्सी हजार रुपए पूर्व प्रधान के कार्यकाल में इस सचिवालय के निर्माण में लग गये थे, परन्तु दूसरी किस्त आने में देरी हो गयी और कार्य रूक गया था। इस बीच ग्राम प्रधान का कार्यकाल पूरा हो गया था, जिसके बाद एडीओ को प्रशासक बना दिया गया था।
प्रशासक कार्यकाल में ग्राम प्रधान निधि से 1 लाख बीस हजार रुपए प्रशासक व सचिव द्वारा निकाले गये, इस पैसे से कोई कार्य नहीं कराया गया। इसके बाद दूसरे प्रधान निर्वाचित हो गये और उसके बाद दूसरी किस्त दूसरी किस्त 7 लाख 20 हजार रुपए इसके निर्माण के लिए आयी थी। आरोप है कि सचिव ने ठेकेदार को बुलाकर इस कार्य को पूरा करने के लिए कहा, परन्तु ठेकेदार ने इतने रुपए में यह कार्य करने से मना कर दिया, जिस पर सचिव ने उन्हें आश्वासन दिया कि 1 लाख 75 हजार रुपए ठेकेदार को मनरेगा से दिला दिया जायेगा, जिसका एक एग्रीमेंट भी तैयार हुआ। इसके बाद एक लाख रुपए सौन्दर्यकरण के नाम से निकाले गये, इन रूपयों से भी कोई कार्य नहीं कराया गया।
ग्रामीण सगवा सिंह द्वारा उक्त प्रकरण को लेकर लगातार शिकायत की जा रही है और जांच करने वाली कमेटी पर सवाल उठाये जा रहे हैं। सगवा सिंह का कहना है कि जब इस मामले की जांच हुई, तो एडीओ द्वारा अपनी रिपोर्ट में दावा किया गया कि सचिवालय का निर्माण पूरा हो गया है, परन्तु वास्तविकता कुछ ओर ही है, जिसे मौके पर जाकर कोई भी देख सकता है।
जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट पर उठ रहे सवाल
रई ग्राम पंचायत में सचिवालय के निर्माण में जब शिकायत का सिलसिला शुरू हुआ, तो इस मामले में एक जांच कमेटी बैठा दी गयी, जिसके द्वारा मामले की जांच की गयी। कमेटी द्वारा की गयी शिकायत से शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं, जिसमें शिकायतकर्ता का तर्क भी है। शिकायतकतार्ओं के अनुसार उनके द्वारा 7 फरवरी 2023 को अपने ग्राम रई के प्रधान के विरुद्ध ग्राम निधि में किए गए भ्रष्टाचार की शिकायत की गयी थी, जिसकी जांच डीएम द्वारा डॉक्टर दिनेश कुमार मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एवं नीरज मीना जे ई आर ई एस मोरना को सौंपी गयी थी।
आरोप है कि जांच कमेटी ने प्रधान से सुविधा शुल्क लेकर 7 माह 20 दिन लटकाने के बाद 25 सितम्बर 2023 को जिला पंचायत राज अधिकारी के कार्यालय में अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की, जिसमे सही तथ्यों को छिपाया गया था। जब वह जांच आख्या जिला पंचायत राज अधिकारी के द्वारा अवलोकनार्थ पत्रावली तैयार करके मुख्य विकास अधिकारी के सामने प्रस्तुत की गई तो उन्होंने जांच आख्या से सन्तुष्ट न होकर पत्रावली को इस निर्देश के साथ कि प्रकरण की जांच गम्भीरता से करते हुए पत्रावली पुन: प्रस्तुत करने के आदेश दिये गये और पत्रावली को पुन: जांच के लिए 27 सितम्बर 2023 को वापिस कर दिया, परन्तु अब तक डॉक्टर दिनेश कुमार का स्थानांतरण हो गया था और उनकी जगह पर डॉक्टर चंद्रवीर सिंह मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के पद पर आ गए थे, जिन्हे उपरोक्त जांच करनी थी।
आरोप है कि दूसरे जांच अधिकारी ने गांव से बाहर राजकीय हाई स्कूल में बैठ कर प्रधान से बात करके और सुविधा शुल्क लेकर शिकायत कर्ता को न गांव में आने की सूचना दी और ना ही उसका पक्ष सुना तथा अपने स्थानांतरण से एक दिन पहले जांच आख्या जिला पंचायत राज अधिकारी को प्रेषित करके चला गया। जब वह जांच आख्या पुन: मुख्य विकास अधिकारी के सामने प्रस्तुत की गई तो जांच आख्या से सन्तुष्ट न होकर सीडीओ ने 8 नवम्बर 2023 को आदेश दिये कि अपूर्ण व गायब अभिलेखों द्वारा कराए गए समस्त कार्यों की पूरी धनराशि वसूल की जानी उचित होगी। इस आदेष के साथ पत्रावली वापिस कर दी। अब तक डॉक्टर चंद्रवीर सिंह का स्थानांतरण हो चुका था और उनके स्थान पर डॉक्टर जितेंद्र गुप्ता मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के पद पर आ गए। तीसरे जांच अधिकारी ने यह कहकर जांच वापिस कर दी कि उनके पद से यह जांच दो बार हो चुकी है अत: इस जांच को किसी अन्य अधिकारी से करा लिया जाये। अभी तक यह जांच पूरी नहीं हो सकी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार का कहना है कि इस मामले में शिकायत मिली थी, जिसकी एक कमेटी बनाकर उच्च स्तरीय जांच करायी जा रही है। जांच गंभीरता से की जा रही है, यदि कहीं भी कोई अनियमितता पाई जाती है, तो अनियमितता करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जायेगी।