- क्लर्क डीएम आफिस में अटैच, जांच के लिए टीम गठित, तीन दिन में मांगी जांच रिपोर्ट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तहसील में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद डीएम दीपक मीणा के तेवर सख्त दिखाई दिये। डीएम के आदेश पर जिस क्लर्क की वीडियो वायरल हुई हैं, उसे तत्काल प्रभाव से डीएम आॅफिस में अटैच कर दिया गया है। एसडीएम ने भ्रष्टाचार के प्रकरण की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी हैं, जिससे तीन दिन के भीतर इसकी रिपोर्ट मांगी गई हैं। प्रशासनिक अफसरों की इस कार्रवाई से सोमवार को तहसील में हड़कंप मच गया।
‘जनवाणी’ ने तहसील में किस तरह से फाइलों को लेकर लेन-देन चलता हैं, इसके बाद ही फाइल आगे बढ़ पाती हैं। इसकी शिकायत तो पहले भी मिली थी, मगर प्रमाण नहीं। इसी वजह से क्लर्क स्तर के कर्मचारी बचते रहते थे। इस बार तहसील के वरिष्ठ क्लर्क गजेन्द्र भास्कर ने एक फाइल को आगे बढ़ाने के नाम पर एक सरकारी कर्मचारी से ही रिश्वत ली। इसकी खबर को ‘जनवाणी’ ने प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया हैं, जिसके बाद ही डीएम ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की हैं।
बताया गया कि जिस फाइल को लेकर भ्रष्टाचार हुआ हैं, उस फाइल को लंबे समय तक पेंडिंग रखा गया। रिश्वत मिलने के बाद ही इस फाइल को आगे बढ़ाया गया। यह पहला मामला नहीं हैं, बल्कि इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। जिस क्लर्क का यह भ्रष्टाचार सामने आया है, इस क्लर्क और तहसीलदार के बीच तनातनी हो गई थी। तब भी तहसीलदार ने आरोप लगाया था कि क्लर्क के स्तर पर फाइल पेंडिंग रखी जाती हैं, जिससे लोगों को बेवजह परेशान किया जाता हैं।
इसके बाद ये पूरा प्रकरण एसडीएम तक पहुंच गया था। फाइलों के इस खेल की इस बात वीडिया वायरल हो गई, जिसमें क्लर्क फाइल को आगे बढ़ाने के नाम पर रिश्वत ले रहा हैं, जो कैमरे में कैद हो गया। वायरल हुई वीडियो का सोमवार को डीएम दीपक मीणा ने संज्ञान लिया, जिसके बाद तहसील प्रशासन अलर्ट हो गया। डीएम के कड़े रुख के बाद एसडीएम सूरज पटेल ने तहसीलदार राजेश्वर प्रसाद को बुलाकर पूरे मामले की जानकारी ली तथा कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों को गंभीरता से लेने की हिदायत दी।
प्रारंभिक जांच पड़ताल में क्लर्क गजेन्द्र भास्कर को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए क्लर्क गजेन्द्र भास्कर को तत्काल प्रभाव से तहसील से हटाकर डीएम आॅफिस में अटैच करने के आदेश दिये। साथ ही एक टीम जांच करने के लिए गठित कर दी। यह टीम दिन दिन के भीतर इसकी जांच कर रिपोर्ट एसडीएम को सौंपेगी, जो डीएम को भेजी जाएगी। इसके बाद ही भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे क्लर्क गजेन्द्र भास्कर पर निलंबन की गाज गिर सकती हैं। भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से अंकुश लगाने के लिए तहसीलदार को हिदायत दी गई हैं।