- आवास विकास परिषद में एक वर्ष के दौरान हुआ बड़ा खेल
- पांच लोगों के किए बैनामे, आए पकड़ में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आवास विकास परिषद में एक वर्ष के दौरान जो प्लॉटों का आवंटन हुआ है तथा उसके बाद आवंटन के प्लॉटों को निरस्त करने का भ्रष्टाचार का ‘महाखेल’ आवास विकास परिषद में खेला गया। ये भ्रष्टाचार का खेल पूरे एक साल चला, जिसमें करीब पांच लोगों के बैनामा कर दिए, जो पकड़ में आए हैं। यही नहीं, गाजियाबाद में 13 और आगरा में भी इसी तरह का घपला मिला है।
दरअसल, महत्वपूर्ण बात यह है कि आवास विकास परिषद लोगों को जमीन लेकर प्लाट उपलब्ध कराने का काम करता है। प्लॉट का आवंटन लाटरी के माध्यम से होता है, जिस व्यक्ति की लॉटरी निकल गई उसी के नाम पर प्लॉट का आवंटन किया जाता है। इसके बाद आवास विकास परिषद के भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो जाता है, जिसमें आवास विकास परिषद के कर्मचारी और अधिकारी मिलकर आवंटी को किसी तरह से डिफाल्टर घोषित कर देते हैं और चुपके से प्लॉट का आवंटन भी दस्तावेज में निरस्त कर दिया जाता है।
इसके बाद चुपचाप उस प्लॉट का आवंटन ही नहीं, बल्कि दूसरी पार्टी को बैनामा भी कर दिया जाता है। प्रथम पार्टी को इसकी भनक तक नहीं लगती। कोई उसे नोटिस भी नहीं दिया जाता हैं। इस तरह के पांच मामले आवास विकास परिषद मेरठ में सामने आए हैं। इन मामलों को दबाने का प्रयास किया जा रहा हैं। ऐसा आरोप भाजपा नेता राहुल ठाकुर ने लगाया हैं तथा इसकी शिकायत भी की हैं।
उनका कहना है कि मेरठ में आवास विकास परिषद में एक वर्ष के भीतर जो भी बैनामे हुए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। जब पांच मामले फर्जी बैनामा के पकड़ में आए हैं तो पूरे एक वर्ष में व्यापक स्तर पर बैनामों का खेल पकड़ में आ सकता हैं। इसलिए इन तमाम बैनामों की जांच कराने की मांग की गई है। बैनामा के भ्रष्टाचार का खेल तब खुला जब लखनऊ में इसकी शिकायत हुई ।
शासन स्तर से इसकी जांच की मांग की गई है। बताया गया कि मेरठ में पांच, गाजियाबाद में 13 बैनामे मूल आवंटी के बजाय किसी अन्य के नाम कर दिए गए। आंवटी अपना प्लॉट लेने के लिए आवास विकास परिषद के चक्कर लगा रहे हैं। आवास विकास परिषद में ही नहीं, बल्कि इस तरह का मामला 17 प्लाटों का मेरठ विकास प्राधिकरण में भी तीन साल पहले पकड़ा गया था, जिसमें मेरठ विकास प्राधिकरण की महिला क्लर्क समेत तीन लोगों की भूमिका सामने आई थी।
इनके खिलाफ सिविल लाइन थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। आवास विकास परिषद और मेरठ विकास प्राधिकरण में इस तरह के मामले सामने आए हैं, जो बेहद गंभीर है। अब यह देखना बाकी है कि आवास विकास परिषद के अधिकारी फर्जी बैनामा के मामलों में विभाग के कितने अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं या फिर इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।
बैनामे पर किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं? उस अधिकारी ने बिना जांच पड़ताल के कैसे बैनामा कर दिया? एक सीट पर नहीं, बल्कि कई सीट पर इसकी स्क्रीनिंग होती हैं, फिर फर्जी तरीके से बैनामे कैसे कर दिये गए? यह बड़ा सवाल हैं। इसमें लिप्त अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए कार्रवाई होनी चाहिए, जिसके बाद ही भ्रष्टाचार रूक सकता हैं।
सीलिंग की जमीन को लेकर शासन सख्त
सीलिंग की जमीन की फाइलें जो बंद थी, वो फिर से खुलेगी। शासन ने सीलिंग की जमीन को लेकर गंभीरता दिखाई हैं। हाल ही में शासन स्तर से एक पत्र कमिश्नर और डीएम को प्राप्त हुआ है। इस पत्र में स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि सीलिंग की जमीन को यदि उस पर अवैध कब्जे हैं तो तत्काल फोर्स लेकर खाली कराया जाए और जमीन को सरकारी कब्जे में लिया जाए।
शासन के इस पत्र ने मेरठ विकास प्राधिकरण की नींद उड़ा दी है। अब शासन के आदेश पर मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारी सीलिंग की जमीन को खोजने में जुट गए हैं। एई मनोज तिवारी और कई इंजीनियरों की टीम सीलिंग की जमीन को कब्जा मुक्त करने और कब्जा लेने के लिए विशेष तौर पर लगाई गई है।
हालांकि तीन माह पहले कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने भी सीलिंग की जमीन को कब्जा मुक्त कराने का अभियान चलाया था। व्यापक स्तर पर जमीन को कब्जा मुक्त कराया भी गया। उस जमीन पर पौधरोपण भी कर दिया गया है। अब फिर से प्रशासन ने शहर में जो सीलिंग की जमीन है, उस पर कब्जे की शिकायत मिलने पर कब्जा मुक्त सीलिंग भूमि को करने का आदेश दिया है।
इसी परिपेक्ष्य में गुरुवार को मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों की एक बैठक हुई, जिसमें सीलिंग की जमीन को हर सूरत में कब्जा मुक्त कराने के लिए कहा गया। इसके लिए फोर्स की मांग भी की गई। कहा गया कि कुछ ऐसे स्थान भी है, जहां पर कब्जा लेने जाएंगे तो बवाल हो सकता है।
इसको दृष्टिगत रखते हुए फोर्स की मांग की गई है। मेरठ विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने सीलिंग की जमीन को कब्जा मुक्त करने का के लिए कमर कस ली है। सीलिंग की जमीन को चिन्हित करने का काम प्रारंभिक चरण में किया जाएगा, जिसके बाद दूसरे चरण में कब्जा मुक्त करने की प्रक्रिया चलेगी तथा तीसरे चरण में कब्जा लेने का काम होगा।