Saturday, July 27, 2024
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पीएसी पिकेट बमकांड से पहली बार बेनकाब हुए थे आईएसआई एजेंट

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  • साल 1992 में सलीम पतला की मार्फत वेस्ट यूपी में शुरू किया गया था जडेÞ जमाने का काम
  • लंबी है मेरठ में सक्रिय रहे पाकिस्तानी एजेंटों की लिस्ट, महिलाएं भी रहीं शामिल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एसटीएफ की मेरठ यूनिट की कार्रवाई के बाद एक बार फिर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट चर्चा में हैं। हालांकि इनकी यदि बात की जाए तो पहली बार मेरठ में आईएसआई के लिए काम करने वाले एजेंटों का खुलासा साल 1992 शहर के हापुड़ रोड पर कोतवाली के इमलियान इलाके पर लगायी गयी पीएसी की पिकेट पर बम फेंकने की घटना के बाद हुआ था।

उस घटना में जांच एजेंसियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाले सलीम पतला का नाम पता चला था। हालांकि उस वक्त सलीम पतला के अलावा सलीम मोटा, अब्दुल करीम टूंटा व सुरैय्या आदि के नाम सामने आए थे। ये वो नाम थे जिन्हें वेस्ट यूपी में आईएसआई की जडेÞ जमाने के लिए जाना जाता है।

पाक गुर्गों का ठिकाना था मेरठ

पीएसी बमकांड के बाद हुए हाशिमपुराकांड ने मेरठ में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की जड़ें मजबूत कीं। इसके बाद मेरठ आइएसआई के लिए ऐसा ठिकाना बन गया कि कहीं भी आतंकी वारदात हो या गिरफ्तारी, मेरठ का नाम आ ही जाता है। यहां तक की अमेरिका में पकड़े गए पाक आतंकवादी डेविड हेडली और तहस्सुर राणा के तार भी मेरठ से जुड़े और अलकायदा आतंकी इलियास कश्मीरी भी मेरठ में अपना ठिकाना बना गया। इसके पीछे ठोस वजह भी थी। उसके बाद आईएसआई के लिए काम करने वाले जितने भी एजेंट पकडेÞ गए, उनका किसी न किसी तरह से मेरठ से कनेक्शन रहा।

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  • 26 जनवरी 2010: रुड़की में पकड़ा गया असद। मेरठ में रहकर हासिल की भारतीय नागरिकता व पासपोर्ट।
  • 11 जनवरी 2010: आबूलेन में आइएसआइ एजेंट नासिर गिरफ्तार।
  • 13 जनवरी 2010: नासिर का साथी और नजीबाबाद निवासी आइएसआइ एजेंट मुकीम गुड़गांव से गिरफ्तार।
  • 3 अक्टूबर 2009: आगरा निवासी मेहरुन्निशा उर्फ ज्योति कोलकाता में गिरफ्तार। पूछताछ में कबूला, मेरठ में बनाए एक दर्जन एजेंट।
  • 12 सितंबर 2009: कानपुर में पकड़ा गया आइएसआइ एजेंट इम्तियाज। पूछताछ में मेरठी कनेक्शन कबूला।
  • 20 जनवरी 2009: बिना वीजा रह रही पाकिस्तानी नागरिक सोफिया गिरफ्तार।
  • 10 जनवरी 2009: कैंट में पकड़ा गया आइएसआइ एजेंट अमीर अहमद।
  • 1 नवंबर 2014 को एसटीएफ ने 20 साल से फरार इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के इस्लामाबाद निवासी सलीम उर्फ पतला पुत्र अब्दुल रहमान को दबोच लिया था। साल 1992 और 1993 में पीएसी के दो कैंपों में हुए बम धमाकों के बाद से फरार चल रहा था।

दिल्ली पुलिस को गच्चा

सलीम उर्फ पतला को दिल्ली पुलिस ने वर्ष-2002 में गिरफ्तार किया था। उसके खिलाफ दिल्ली के अशोक विहार थाने में लग्जरी कार चुराने और उसे ले जाकर जम्मू-कश्मीर में बेचने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। तब सलीम पतला ने अपना नाम तो सही बताया, मगर घर का पता गलत बता दिया था। इस वजह से दिल्ली पुलिस मेरठ में उसका आपराधिक रिकॉर्ड खंगालने में नाकाम रही। इसके बाद गुपचुप ढंग से सलीम ने दिल्ली स्थित कोर्ट से अपनी जमानत करा ली और जेल से बाहर निकल आया था।

लग्जरी गाड़ी चोरी कर भेजी थीं

पीएसी कैंपों में बम धमाकों के बाद से सलीम पतला फरार हो गया था। उसके बाद उसने लग्जरी गाड़ियों चोरी करने वालों का गिरोह तैयार किया। देश के तमाम हिस्सों से इन्होंने ओडी, डस्टर, फॉर्च्यूनर, इनोवा आदि गाड़ियां चोरी कर कश्मीर भेजीं चुका है। इन गाड़ियों के के नकली कागजात तैयार कर कश्मीर ले जाकर बेच दिया जाता था। लग्जरी गाड़ियां किसके लिए कश्मीर ले जाई जाती थीं। सलीम पतला के बारे में यह बात भी कम लोग ही जानते होंगे कि वो पहले कार मैकेनिक था, कार ठीक करते करते कब वह बम फेंकना सीख गया यह किसी को नहीं पता।

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