रजवाहे पर जबरन किया कब्जा, ग्रीन बेल्ट की हरियाली पर जमाया अधिकार
करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीन पर गुंडों की बदौलत जमाया आधिपत्य
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 पर स्थित होटल वन फेरर का मालिक भू-माफिया बन गया है। साथ ही सरकारी जमीन पर लगातार जबरन तथाकथित गुंडो की बदौलत कब्जा करता जा रहा है। बदमाशी और गुंडई के दम पर होटल मालिक अपने होटल वन फेरर के इर्द गिर्द स्थित सिंचाई विभाग के रजवाहे और ग्रीनबेल्ट की जमीनों को जबरन कब्जा कर अपना मालिकाना हक जमा रहा है। हैरानी की बात तो ये है कि सिंचाई विभाग भी सख्त कदम उठाने से घबरा रहा है। सूत्रों पर यकीन करें तो होटल मालिक और सिंचाई विभाग के कुछ बड़े अफसरों की अंदरखाने सेटिंग हो रखी है, बात यहां तक बताई जा रही है कि फार्मेलिटी के तौर सिंचाई महकमा विरोध दर्ज कराता रहेगा।
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आपको बता दें कि एनएच-58 पर होटल वन फेरर के मालिक ने अपना होटल बना रखा है। इसके पीछे की कहानी यह है कि यहां सरकारी जमीन खाली पड़ी थी जिसकी लालच में आकर होटल मालिक ने यहां जमीन खरीदा था और अब धीरे धीर अपने मिशन टू पर काम करना शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा है कि इस काम को करने के लिए होटल मालिक ने कुछ दबंग और बदमाश टाइप के लोगों का सहारा लिया साथ ही जिले के कुछ आला दर्जे के अफसरों को भी अपने साथ मिलाया। और फिर इस पूरी सेटिंग के बाद होटल मालिक ने मिशन को अंजाम पर पहुंचाना शुरू कर दिया। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर पुलिस महकमा और सिंचाई विभाग के साथ ट्रैफिक महकमें का एक कथित दागदार दरोगा भी शामिल है।
बताया जा रहा है कि धीरे धीरे होटल मालिक सिंचाई विभाग के रजवाहे को कब्जा कर वहां आने-जाने का रास्ता बना लिया है। होटल ने रजवाहे पर कब्जा ही नहीं किया, बल्कि हाईवे से जिस जमीन को एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट के लिए छोड़ा, उस पर भी कब्जा कर अवैध पार्किंग बना ली गयी। इतना सब होने के बावजूद होटल वन फेरर पर आजतक कार्रवाई करना गंवारा नहीं किया गया। सिंचाई विभाग ने रजवाहे की जगह कब्जाने पर सिर्फ नोटिस थमाकर इतिश्री कर ली।
दैनिक जनवाणी इस खबर को पहले भी प्रकाशित कर चुका है। बताया गया है कि दैनिक जनवाणी में खबर प्रकाशित होने के बाद सिंचाई महकमें में हड़कंप मच गया और आनन फानन में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता प्रमोद कुमार ने होटल वन फेरर को नोटिस भेजकर अपनी जिम्मेदारी की फार्मेलिटी पूरी कर ली।
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आश्चर्य तब होता है जब तत्कालीन जिलाधिकारी ने पूर्व में सीडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में एसडीएम और सिंचाई विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं। साथ ही बताया गया है कि एक बार सिंचाई विभाग होटल वन फेरर के अवैध कब्जों को लेकर पुलिस फोर्स के लिए जिलाधिकारी को पत्र भी लिखकर अपनी ड्यूटी भी पूरी कर चुका है। पत्रोत्तर में बताया गया कि पुलिस फोर्स अभी व्यस्त है। इन सभी तथ्यों से यह बात साबित होती है कि पूरा का पूरा जिला प्रशासन मिला हुआ है।
खबर प्रकाशित होने के बाद सिंचाई विभाग के अफसरों की कुंभकर्णी नींद टूटी है। यही कारण है कि अब निद्रा से जागे अधिशासी अभियंता यह बोल रहे हैं कि पुलिस फोर्स के मिलते ही बगैर किसी देरी के रजवाहा पटरी कब्जा मुक्त करायी जाएगी। मतलब साफ है ये रिमाइंडर नहीं भेज रहे इंतजार करेंगे जब डीएम आफिस से पुलिस महकमें को लेटर जाएगा और फिर पुलिस महकमा नींद से जागेगा और सिंचाई विभाग को फोन करेगा पुलिस फोर्स भेजेगा तब साहब जाएंगे। इस सब बातों से मामला समझ में आ रहा है कि ना तो नौ मन तेल होगा और ना राधा गवने जाएगी।
यह बात समझने के लिए आपको कोई राकेट साइंस का इस्तेमाल नहीं करना है बल्कि सिंचाई विभाग के ही एक अन्य अधिकारी की बात को समझना है कि होटल वन फेरर के मालिक समेत कई लोगों करीब दर्जन भर स्थानों पर रजवाहे की जमीन को कब्जा कर रखा है। सलावा से लेकर घाट गांव तक 33 किलोमीटर के रजवाहे पर सबसे बड़ा कब्जा होटल वन फेरर के मालिक का ही है। इस होटल ने रजवाहे पर दो स्थानों पर कब्जा किया है। वहां पक्का निर्माण शुरू कराने की तैयारी चल रही है।
अफसरों की नजरें झुकीं-झुकीं कुछ ना कुछ कहती हैं…
उत्तर प्रदेश रोड कंट्रोल एक्ट 1964 में यह साफ अंकित है कि सड़क के मध्य रेखा से राष्ट्रीय राजमार्ग अथवा राज्य राजमार्ग में 75 फुट तथा मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड में 60 फुट एवं आर्डिनरी डिस्ट्रिक्ट रोड में 50 फुट अंतराल छोड़ना आवश्यक है। यह दूरी छोड़ने के पश्चात ही कोई खुला निर्माण या बाउंड्री आदि निर्माण कार्य कर सकते हैं। लेकिन, इन आदेशों के बावजूद हाईवे पर दोनों ओर होटल वन फेरर के मालिक ने बाहर हाईवे के किनारे ग्रीन बेल्ट की जमीन पर केवल कब्जा ही नहीं किया बल्कि वहां पक्का निर्माण भी करा लिया है साथ ही अवैध पार्किंग भी बना ली है।
अब सवाल उठता है कि एनएचआई के अधिकारियों को यह नजर क्यों नहीं आ रहा है। ग्रीनबेल्ट की जमीन होने के नाते एनजीटी के अफसरों को भी नजर नहीं आ रहा है। साथ ही आश्चर्य तब होता है जब अवैध पार्किंग के विरूद्ध मुहिम चलाने वाले जिले की ट्रैफिक पुलिस के भी आंखों में पट्टी बंधी है। जबकि जिले के ट्रैफिक विभाग का एक चर्चित एसआई अवैध पार्किंग के सिलसिले में हर हफ्ते होटल का चक्कर लगाते हुए देखा सकता है मगर, अवैध पार्किंग पर कार्रवाई होते किसी ने नहीं देखा।
इससे एक बात बिल्कुल आइने की तरह साफ है कि होटल वन फेरर के इस खेल में जिले के कई अफसर कर्मचारी मिले हुए हुए हैं। जिसमें जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर एसएसपी आफिस, ट्रैफिक पुलिस, सिंचाई विभाग,एनजीटी के अलावा मेरठ विकास प्राधिकरण भी सवालों के घेरे में है।
झूठ बोला मेडा, कोई नक्शा पास नहीं
एनएच-58 पर होटल वन फेरर जिसको पहले दो फेरर के नाम से जाना जाता था, बाद में कहीं अज्ञात कारणों से नाम बदलकर वन फेरर कर दिया गया। मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों की यदि बात करें तो सबसे बड़े गुनाहगार तो टाउन प्लानर विजय सिंह हैं। विजय सिंह शुरू से ही इस होटल का नक्शा पास होने का दावा करते रहे, लेकिन जब आरटीआई की मार्फत प्राधिकरण से इस होटल के मानचित्र को लेकर जानकारी मांगी गयी तो बताया गया कि होटल का कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं
किया गया।
अवैध माना फिर भी कार्रवाई नहीं
जोन सी-वन स्थिति होटल वन फेरर को आरटीआई में प्राधिकरण प्रशासन ने अवैध माना, लेकिन हरियाली का कत्ल कर बनाए गए इस होटल पर कार्रवाई के बजाय चुप्पी साधे रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि मेडा के अफसरों ने होटल बनवाने के लिए भारी भरकम सेटिंग की। यही कारण है कि अफसर अब भी आंखें मूंदे बैठे हैं।
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