- दो साल पुराना है मामला, पहले छात्रों की राइटिंग की हो चुकी है जांच
- एसआईटी ने इस संबंध में विवि को लिखा है पत्र
- एमबीबीएस प्रकरण में दो साल से चल रही है जांच
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में दो साल पहले हुए एमबीबीएस कॉपी घोटाले की जांच एसआईटी की ओर से अभी तक की जा रही हैं,लेकिन लंबे समय के बाद भी इसमें कोई अहम सबूत अभी तक किसी के भी हाथ नहीं लग सका है। वहीं जांच के दौरान एसआईटी की ओर से जहां विवि के 31 कर्मचारियों को इस संबंध में बयान दर्ज कराने के लिए जुलाई में नोटिस जारी किया गया था।
उसी के बाद विवि स्तर पर चल रही जांच में 5 कर्मचारियों को मामले में सम्मलित पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था। मगर अब एक बार फिर से जांच में तेजी आ गई है और एसआईटी ने जहां प्रकरण से संबंधित छात्रों की हैड राइटिंग की जांच के लिए विवि को पत्र लिखा था वहीं अब एसआईटी ने एक ओर पत्र लिखकर प्रकरण में सम्मलित कर्मचारियों की हैड राइटिंग की जांच करवाने की बात कही है। जिसके बाद विवि ने दस कर्मचारियों की हैडराइटिंग की ले अब एसआईटी को भेजने की तैयारी कर ली है।
बता दें कि 17 मार्च 2018 को एसटीएफ ने छात्र कविराज और विवि के तीन कर्मचारियों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार करने के बाद खुलासा किया था कि विवि छात्र नेता कवि राज विवि कर्मचारियों की मदद से एमबीबीएस कॉपियों को बदलवा देता था। एमबीबीएस के अलावा स्नातक और परास्नातक की कॉपी बदलने की बात भी सामने आई थी। मेडिकल थाने में रिर्पोट दर्ज होने के बाद शासन के निर्देश पर जांच एसआईटी लखनऊ को सौप दी गई थी।
इस मामले में एसआईटी ने जुलाई माह में 2015 से 2018 तक उत्तर पुस्तिका सेक्शन विभाग में तैनात रहे 31 कर्मचारियों के बयान दर्ज कराने के लिए लखनऊ बुलाया था, लेकिन कोविड-19 के चलते कर्मचारियों ने बयान दर्ज कराने के लिए समय मांगा था, जिसके बाद एसआईटी टीम अगस्त माह में अचानक से बयान दर्ज करने और गोपनीय विभाग की जांच करने पहुंच गई थी।
अब कॉपी अदला-बदली प्रकरण में सम्मलित कर्मचारियों की राइटिंग मैच करने की बात कही गई है। ऐसे में कर्मचारियों में अफरा-तफरी का माहौल है। प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला का कहना है कि इस प्रकरण में अभी भी जांच चल रही है। जांच के बाद ही कुछ पता चलेगा।