Friday, March 29, 2024
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चुनाव से पहले कांग्रेस अधिवेशन के मायने

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DR LALIT KUMARभारत के तीन राज्यों में होने वाले चुनावों (त्रिपुरा, मेघालय, ओर नागालैंड) से इतर जब हम देश के बाकी छह राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों पर अगर नजर दौड़ाते हैं, तो लगता है कि इन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ सकती है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 फरवरी को तीन दिवसीय कांग्रेस के 85वें अधिवेशन का आगाज हो गया है। इस अधिवेशन को लेकर कांग्रेस पार्टी जिस शतरंज की चाल के आसरे बीजेपी को घेरने में लगी है उसे यही कयास लगाए जा रहे है कि कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में फिर से मजबूत पार्टी बनकर उभर सकती है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए कांग्रेस ने अपनी धूमिल होती छवि को काफी हद तक साफ किया है, साथ ही राहुल गांधी के प्रति लोगों का नजरिया भी बदला है। जनता में कांग्रेस की रणनीति को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते है कि आखिर कांग्रेस लगातार इतने अज्ञातवास में क्यों होती चली जा रही है और उसका जनाधार बीजेपी में क्यों शिफ्ट होता जा रहा है? इसकी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी लगातार मंथन करने में लगी है। लेकिन ‘भारत जोड़ो यात्रा’ द्वारा मिले अपार जनसमर्थन से पार्टी का मनोबल बढ़ा है।

इसलिए कांग्रेस का यह अधिवेशन कई मायनों में खास माना जा रहा है और वह भी ऐसे समय में जब पार्टी ने कन्याकुमारी से जम्मू तक की पैदल यात्रा करके देश को बड़ा संदेश देने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी भारत के हर मजहब को एक साथ लेकर चलने वाली पार्टी रही है।

राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के बाद से एक नई भूमिका में नजर आ रहे हैं। सत्ता पक्ष पर करते तीखे हमलों की वजह से लगता है कि राहुल गांधी ने इस बार ऊपर काफी वर्कआउट किया है। यही कारण है कि राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ धीरे-धीरे जनता के बीच बढ़ता जा रहा है। यानी इससे साफ होता है कि कांग्रेस फिर से अपने पैरों पर खड़े होने के लिए तैयार है और साथ ही एक नई भूमिका में नजर आ सकती है।

रायपुर में होने वाले कांग्रेस अधिवेशन को लेकर हर किसी की नजर इस पर टिकी हुई है कि कांग्रेस पार्टी इस बार छत्तीसगढ़ से देश को क्या संदेश देना चाहती है? इससे पहले भी कांग्रेस पार्टी ने रायपुर में 1960 के दशक में अधिवेशन किया था जो साइंस कॉलेज के खेल मैदान पर हुआ था और उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। उस समय छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। देश का दक्षिण-पूर्वी भारत का यह क्षेत्र अधिक पिछड़ा क्षेत्र माना जाता था।

लेकिन उस दौर में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भिलाई में सोवियत संघ की मदद से एशिया के सबसे बड़े इस्पात कारखाने की स्थापना (1955) की थी। जिसे आज एशिया का सबसे बड़ा रेल उत्पादन संयंत्र माना जाता है। इस प्लांट की स्थापना करके पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया को यह संदेश दे दिया था कि कांग्रेस पार्टी आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेती है। उस वक्त कांग्रेस ने कई बड़ी उपलब्धियों को हासिल किया।

जिसमें देश के किसानों, बेरोजगारों युवाओं और मजदूरों के रोजगार के मुद्दों से जुड़े हितों को ध्यान में रखते हुए इस तरह के कारखानों की स्थापना करना कांग्रेस की बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह था कि कांग्रेस लगातार गरीबों के हक की आवाज बनती चली गई लेकिन वर्तमान में अब परिस्थितियां बदल चुकी है।

भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने को और ज्यादा मजबूत करना चाहती है। रायपुर का कांग्रेस अधिवेशन कई मायनों में इसलिए भी खास होने वाला है कि पार्टी आगामी चुनावों की रणनीति को ध्यान में रखकर क्षेत्रीय दलों को एक साथ लेकर पार्टी को मजबूती देना चाहती है।

इसलिए कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मोर्चा संभालने की स्थिति में नजर आती हुई दिख रही है और इसी अधिवेशन के जरिए बीजेपी को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती है। अखिल भारतीय कांग्रेस परिषद (एआईसीसी) का मानना है कि इस अधिवेशन की थीम ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ होगी जो भारत जोड़ो यात्रा की ही तरह होगी।

कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर हाथ जोड़कर जनता से पार्टी के हाथ को मजबूती दिलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे। अगर भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर हाथ से हाथ जोड़ो अभियान सफल हो जाता है तो माना जा सकता है कि कांग्रेस को फिर से जीवनदान मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस पार्टी हमेशा से आपसी वैमनस्यता को साइडलाइन करके टूटे हुए समाज को फिर से जोड़कर राष्ट्र की उन्नति के लिए दुनिया को आपसी भाईचारे के संदेश देना चाहती है।

कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल का मानना है कि यह अधिवेशन कांग्रेस में एक नई जान डालने का काम करेगा साथ ही 2024 के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है, जिससे कांग्रेस को मजबूती मिलेगी और विपक्षी दलों के एक साथ आने से पार्टी को मजबूती मिल सकती है।

इसलिए इसी अधिवेशन में काफी विचार मंथन होगा। छत्तीसगढ़ में नफरती ताकतों को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी अलर्ट मोड़ पर आने के लिए तैयार हैं। क्योंकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में नौ महीने बाद चुनाव होने है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी इन राज्यों को ध्यान में रखते हुए एक गेम चेंजर की भूमिका में आ सकती है।


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