जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में हवाई उड़ान का सफर सिर्फ 23 करोड़ रुपये के लिए अटका हुआ है। अगर शासन से 23 करोड़ रुपये मिल जाए, तो मेरठ से हवाई उड़ाने शुरू हो सकती है। मेरठ के कई दिग्गज भाजपा नेता, सांसद व मंत्री मुख्यमंत्री से मिलकर हवाई उड़ान के लिए 23 करोड़ की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पिछले बजट में भी प्रदेश सरकार से आशंका जताई जा रही थी कि वह बजट में मेरठ हवाई उड़ान के लिए 23 करोड़ रुपये जारी कर देगी, लेकिन प्रदेश सरकार ने कोई रुपये जारी नहीं किए। मेरठ के लाखों लोगों को हवाई उड़ान के लिए दिल्ली जाना पड़ता है। जबकि मेरठ में हवाई उड़ान के लिए सभी प्रकिया पूरी हो चुकी है।
प्रयागराज की तर्ज पर मेरठ को बदलने का दावा किया जा रहा है। इसके लिए 18 हजार करोड़ रुपये मिलने की आशंका जताई जा रही है। मेरठ के हवाई उड़ान के लिए 23 करोड़ रुपये नहीं मिल पा रहे हैं। आठ साल से ज्यादा समय से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। पिछले बजट के दौरान भाजपा के विधायक, मंत्री और सांसद भी दावा कर रहे थे कि मेरठ से हवाई यात्रा शुरू कराने के लिए प्रदेश सरकार बजट में 23 करोड़ रुपये तो दे ही देगी, ताकि 72 सीटर विमान उड़ाया जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने तमाम शहरों को राशि आवंटित की, लेकिन मेरठ का नाम तक नहीं लिया। जबकि मेरठ में पिछले 11 साल से जमीन अधिग्रहण पर ही सरकार की सुईं अटकी हुई है। इसमें कोई संशय नहीं है कि यात्रियों की उपलब्धता, ऐतिहासिकता, पौराणिकता की कसौटी पर मेरठ इन शहरों से काफी ऊपर का स्थान रखता है।
एएआइ तैयार, बस जमीन की दरकार
एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) मेरठ में हर श्रेणी का हवाई अड्डा तैयार करने के लिए तैयार है। उसका कहना है कि अनुबंध के मुताबिक प्रदेश सरकार उसे निशुल्क जमीन उपलब्ध कराएगी। इसके बाद पूरा खर्च एएआइ वहन करेगी। प्रदेश सरकार की ओर से जमीन उपलब्ध कराने में विलंब किया जा रहा है। मौजूदा हवाई पट्टी एएआइ को वर्ष 2014 में ही हैंडओवर की जा चुकी है। उड़ान के लिए केवल 23 करोड़ रुपये चाहिए। मेरठ से उड़ान की योजना तीन चरणों में तैयार की गई है। प्रथम चरण में वर्तमान हवाई पट्टी का विस्तार करके 72 सीटर विमान उड़ाने के लिए 11 किसानों से 4 हेक्टेयर भूमि की खरीद की जानी है।
ये है डीजीसीए का नियम
डीजीसीए के अनुसार यदि 210 मीटर चौड़ी तथा 2280 मीटर लंबी पट्टी है, तो एटीआर 72 सीटर उड़ सकता है। मेरठ की वर्तमान हवाई पट्टी 80 मीटर गुणा 1800 मीटर है। इसको लंबाई चौड़ाई में बढ़ाकर 210 मीटर गुणा 2280 मीटर करने की भूमि उपलब्ध है। प्रस्तावित उपलब्ध भूमि में छह लोगों की जमीन कम है। जिसका मूल्य 23 करोड़ है। इसका भुगतान कर उड़ान विभाग के नाम कागज पर दर्ज हो जाने से यह हवाई पट्टी एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया बना देगा। उन्होंने कहा कि यह उल्लेख वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार व एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया के बीच हुए समझौते में हुआ था। तत्काल आधार पर एक पत्र की आवश्यकता है।यदि 2280 मीटर गुणा 200 मीटर (वर्तमान पट्टी) को मिलाकर भूमि उपलब्धता हो जाए तो एयरपोर्ट अथारिटी आॅफ इंडिया हवाई पट्टी को विकसित कर एटीआर 72 उड़ाने की व्यवस्था कर देगा।