- सिंचाई विभाग के अधिकारियों की नहीं टूट रही कुंभकर्णी नींद
- रजवाहों की सफाई का जायजा लेने का नहीं समय
- रजवाहों की सफाई के नाम पर हो रहा भ्रष्टाचार
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: रजवाहों की सफाई के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि आवाज उठाने के बाद भी सिस्टम की नींद नहीं टूट रही है। सिंचाई विभाग के अधिकारी कान दबाए बैठे हैं। सफाई के नाम पर हो रहे खेल की जांच करने को कोई तैयार नहीं है। अधिकारी इतनी भी जहमत नहीं उठा रहे हैं कि मौके पर पहुंच कर रजवाहों की सफाई का जायजा ले लें। यदि उन्होंने ऐसा किया तो भ्रष्टाचार की कलई खुल जाएगी। इसलिए विभाग पूरी तरह से आंखे बंद किए हुए बैठा है।
बता दें कि सिंचाई विभाग द्वारा हर साल रजवाहों व माइनर की सफाई के नाम पर मोटा पैसा खर्च किया जाता है। मगर सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है। चंद स्थानों पर रजवाहों से सिल्ट निकालकर फोटो खींच के फाइलों के पेट भर दिए जाते हैं। जिसका नतीजा यह है कि रजवाहे नालों में तब्दील हो रहे हैं। टेल तक पानी नहीं आता है और किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए परेशानी उठानी पड़ती है।
इस बार भी हर साल की तरह रजवाहों की सफाई के नाम पर खेल कर दिया गया। सरधना माइनर की सफाई की हालत देख ली तो सिर चकरा जाएगा। माइनर पूरी तरह नाले में तब्दील है। माइनर में कचरा भरा हुआ है। बड़ी घास फूंस उग आई है। रजवाहे में पानी आना तो दूर की बात है। जनवाणी किसानों की इस समस्या और सिंचाई विभाग के भ्रष्टाचार को लगातार उठा रहा है। मगर इसके बाद भी अधिकारी कान दबाए पड़े हैं। जिससे पता चल रहा है कि रजवाहों की सफाई के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
ऊपर से नीचे तक सेटिंग का आलम यह है कि सिंचाई विभाग के अधिकारी मौके पर जाकर देखना भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं कि आखिर सफाई हो भी रही है या नहीं। क्योंकि यदि इसकी जांच की तो सेटिंग के खेल से पर्दा उठ जाएगा। मगर इस खेल को ज्यादा दिन छुपाया नहीं जा सकता है।