Saturday, April 20, 2024
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शहर के साथ गांवों में भी मौत का तांडव

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  • सरधना के खेड़ा और रोहटा के जंगेठी गांव में कोरोना का कहर, 20 दिन के अंदर 50 मौत

रामबोल तोमर |

मेरठ: कोरोना की दूसरी लहर का भयावह रूप देखना है तो गांव में जाना होगा। प्रशासन ने पूरी ताकत शहर में झोंक रखी है, लेकिन गांवों से मुंह मोड रखा है। स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर अब यह कहकर अपना पीछा छुड़ा रहे है कि गांव में फ्लू हैं और शहर में कोरोना? यह कहकर जिम्मेदारी से कैसे पीछा छुड़ाया जा सकता है।

सरधना क्षेत्र के छुर, ईकड़ी, खेड़ा, जुल्हैड़ा में मौत का आंकड़ा 100 को पार कर गया है। इसके साथ ही जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर है खेड़ा गांव। यह सरधना की चौबीसी का एक गांव है। यहां हो रही मौत का आंकड़ा 20 दिन के भीतर 35 पार कर गया है।

छोटी-सी आबादी वाले इस गांव की यह कोरोना की भयावह तस्वीर है। हर घर में कम से कम दो सदस्य वर्तमान में कोरोना से संक्रमित चल रहे हैं। उनकी लाचारी देखिये कि कोई गांव के लोगों की सुनने वाला नहीं है। अपनों की सांसों की डोर हर रोज टूट रही है, लेकिन परिजन लाचार व हताश है।

आखिर वो कर भी क्या सकते हैं? जनप्रतिनिधि सुनने को तैयार नहीं है। गांव के लोगों की बातों पर विश्वास किया जाए तो जनप्रतिनिधि फोन तक नहीं उठा रहे हैं, हालात इतने विस्फोटक हो सकते हैं यह कभी गांव के लोगों ने सोचा भी नहीं था। छोटी सी आबादी वाले खेड़ा गांव में कोरोना संक्रमण का आक्रमण इतना भीषण होगा, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता।

जिस घर में पूछा गया, वहीं पर दो से तीन लोग बुखार से पीड़ित चल रहे हैं। ऐसा नहीं है कोरोना की भयावह तस्वीर की जानकारी स्वास्थ्य विभाग व जनप्रतिनिधियों को नहीं थी। बाकायदा फोन से सूचना बार-बार दी गई, मगर कोई कार्रवाई नहीं दी। यही वजह है कि आरंभिक दिनों में कोरोना का संक्रमण कम था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते हालात विस्फोटक हो गए।

प्रधानी का चुनाव लड़ चुकी बिमलेश, सुनहरी, अजित सिंह, सतीश, जसवीर, धारा सिंह, हरिओम, देविन्द्र और सोनू समेत 35 लोगों की खेड़ा में कोरोना से मृत्यु हो चुकी हैं, लेकिन सरकारी आंकड़े में खेड़ा के लोगा पूरी तरह से स्वस्थ्य है। दूसरी तस्वीर का सच यह है कि लचर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते गांवों में कोरोना संक्रमण ने पांव पसारे। यदि समय रहते स्वास्थ्य विभाग की टीम गांवों में जुट गई होती तो शायद इस भयावह से बचा जा सकता था। ग्रामीणों को सरधना में ट्रीटमेंट नहीं मिला।

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने हाथ खड़े कर दिये। इसके बाद यहां के ग्रामीणों को मेरठ में बेड नहीं मिले। बेड मिल गए तो वेंटिलेटर नहीं मिले। इस तरह लचर स्वास्थ्य सेवाओं को चलते 35 लोग दम तोड़ गए। रोहटा ब्लॉक के जंगठी गांव की हालत भी खराब है। भाकियू नेता सत्यवीर सिंह सिरोही के अनुसार 20 दिन के अंदर यहां 20 मौत हो चुकी हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नींद नहीं टूटी। कोई कोरोना की जांच भी नहीं कराई गई। दवाई व उपचार तो दूर की बात है। ये हालत है गांव के, जहां जिंदगी रोज खत्म हो रही हैं, मगर सिस्टम यह मानने को तैयार नहीं है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना संक्रमण का आक्रमण हुआ है।

क्या है अघोषित मौतों का ‘राज’?

महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ लोगों की कोरोना से मौत तो प्रशासन घोषित कर रहा हैं, लेकिन बड़ी तादाद में जो मौत हो रही उनको अघोषित श्रेणी में रख दिया है। आखिर अघोषित मौतो का राज क्या हैं? यह बड़ा सवाल है। उनकी मृत्यु की क्या वजह हैं, इसको प्रशासन भी नहीं बता पा रहा है। आखिर यह सब मौत के कम आंकड़े दिखाने का खेल तो नहीं चल रहा है।

इसमें भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ऐसा खेल क्यों खेल रहे है, जो सच है वो सबके सामने आना चाहिए। श्मशान घाट हो या फिर कब्रिस्तान से जो जानकारी मिल रही है, उनमें हो रही बड़ी तादाद में मौत के आंकड़े प्रशासन अपने आंकड़ों के साथ नहीं जोड़ रहा है।

ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी तादाद में हर रोज कोरोना से मौत हो रही है, लेकिन इसको प्रशासन मानने को तैयार नहीं है कि मरने वालों की मौत की वजह कोरोना है। यदि कोरोना की वजह से ये लोग नहीं मरे है तो फिर किस वजह से मर रहे हैं, यह भी प्रशासन नहीं बता रहा है। आखिर इस तरह का खेल प्रशासन क्यों खेल रहा है?

पांच शिक्षकों की कोरोना से मौत

कोरोना का कहर थम नहीं रहा है। पंचायत चुनाव की ड्यूटी से लौटे चार अध्यापक लगातार कोरोना से पीड़ित चल रहे थे तथा इनका हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था, लेकिन गुरुवार को इन पांचों की मृत्यु हो गई। अजय शर्मा खरखौदा, अमरपाल सिंह सरधना, देवेन्द्र कुमार रोहटा व अजय सिसौली रजपुरा प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे। इनकी पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी।

वहीं से कोरोना संक्रमण लगा, जिसके बाद से ही इन पांचों को दिक्कत पैदा हो गई थी। इसके बाद ही पांचों अध्यापकों ने कोरोना की जांच कराई तो पॉजिटिव आये थे। इसके बाद से ही विभिन्न अस्पतालों में इनका उपचार चल रहा था, लेकिन गुरुवार को पांचों अध्यापक जिंदगी से हार गए। खरखौदा ब्लॉक के बिजौली गांव के कम्पोजिट विद्यालय की इंचार्ज जाहिदा बेगम की कोविड के चलते आगरा के मूलचंद हॉस्पिटल में मृत्यु हो गई।

जाहिदा बेगम 26 अप्रैल को सरधना में पंचायत चुनाव की ड्यूटी करने गई थी और ड्यूटी से वापस आते ही उनकी तबीयत खराब हो गई थी। हालात बिगड़ने के बाद इनको मेरठ के किसी हॉस्पिटल मे बेड नहीं मिला था, जिसके बाद ही जाहिदा को नौ मई को आगरा के मूलचंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार को उनकी मृत्यु हो गई।

दावे हवा हवाई: नहीं मिला बेड, महिला ने तोड़ा दम

यह महिला की मौत का मामला भी खेडा गांव का है। यहां प्रवीण सोम की भाभी को 30 अपै्रल को बुखार हुआ था। बुखार नहीं टूटा तो सरधना सीएचसी पर लेकर गए तथा वहां कोई ट्रीटमेंट महिला को नहीं मिला, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ने के बाद ही मेरठ में भर्ती कराने के लिए, लेकिन बेड नहीं मिला।

बकौल, प्रवीण सोम केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान, विधायक संगीत सोम व जिलाध्यक्ष अनुज राठी को फोन करके बेड दिलाने की मांग की, लेकिन कोई भाजपा नेता उनकी भाभी के लिए बेड तक नहीं दिला पाए। इस तरह से अस्पताल दर अस्पताल उनके परिजन भटकते रहे, लेकिन दुखद पहलू यह है कि प्रवीण अपनी भाभी को बचा नहीं पाए।

यह खेड़ा गांव भाजपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस गांव के लोगों में कोरोना से हो रही मौत और उसके बाद बेड व आॅक्सीजन नहीं मिलने की वजह से भाजपा नेताओं से भी नाराज हो गए है। प्रवीण ने जिस तरह से भाजपा नेताओं के खिलाफ आग उगूली है, उसका एक वीडियो भी वायरल हुआ है। वीडियो में भाजपा नेता ही नहीं, बल्कि आरआरएस को भी निशाने पर लिया गया है। इस तरह से ग्रामीणों में गुस्सा देखने को मिल रहा है।

एक हजार से कम निकले संक्रमित, 20 मौत

कोरोना का कहर अन्य दिनों की अपेक्षा थोड़ा कम दिखा। गुरुवार को जारी हुई रिपोर्ट में बताया गया कि 6116 टेस्टिंग में 993 संक्रमित निकले और 13 लोगों की मौत हुई। जबकि गैर सरकारी आंकड़े 20 मौतों को तरफ इशारा कर रहे हैं। अब तक कोरोना से 575 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 58736 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं, कोरोना को मात देकर 607 लोग घर लौट चुके हैं।

सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि जनपद में 18701 एक्टिव केस है, जिनका इलाज अस्पतालों में चल रहा है। वहीं, दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का कहर तेज होता जा रहा है। जानकारी के मुताबिक 993 संक्रमितों में 430 के करीब कस्बों और गांव में मिले हैं।

मेडिकल परिसर में कोरोना का कहर बरकरार है और गुरुवार को भी छह लोग कोरोना की चपेट में आ गए। रुड़की रोड की कालोनियों के अलावा गंगानगर, कंकरखेड़ा और जागृति विहार, बागपत रोड, सदर, आदि जगहों पर संक्रमण बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि 18701 लोग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। जबकि 8250 लोग घर में रहकर इलाज करा रहे हैं।


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