- वन विभाग अधिकारियों के पलायन के दावों के बीच फिर से दस्तक
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: वनाधिकारियों के पलायन के दावों के बीच तेंदुआ परिवार ने फिर दस्तक दी है। पिछले तीन दिन से तेंदुआ खौफनाक अंदाज में पुराने ठिकाने पर नजर आ रहा है। जिससे लोगों दहशत और रोष व्याप्त है।
गत फरवरी में किठौर के फतेहपुर-भड़ौली के जंगल में चरवाहों को एक अद्भुत जानवर दिखा था। एक चरवाहे ने उसको तेंदुआ बताया। जिसके बाद चरवाहों ने गांव में जिक्र किया तो कई ग्रामीणों ने तेंदुआ दिखने की बात कही। इससे ग्रामींणों में दहशत फैल गई।
मामला वनाधिकारियों तक पहुंचा और वन विभाग ने उसकी धरपकड़ के लिए अभियान चला दिया। इस मुहिम में वनाधिकारियों ने तेंदुए की लोकेशन ट्रेस कर न सिर्फ जाल और पिंजरे लगाए बल्कि उसकी गतिविधियां देखने के लिए कैमरे तक फिट कर दिए। लेकिन तेंदुए की चतुराई के आगे वन विभाग के कारिंदे और संसाधन बौने पड़ते गए। विभागीय अफसरों की तैयारियों के साथ तेंदुआ ठिकाने बदलता गया।
यहां तक कि दिल्ली से बुलाई गई वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम भी उसकी परछाई तक नहीं छू पाई। बहरहाल करीब 15 दिन चले धरपकड़ अभियान को धता बताते हुए तेंदुआ बचकर निकल गया। उस वक्त डीएफओ राजेश कुमार से लेकर वन संरक्षण अधिकारी तक ने दावा किया कि तेंदुआ वनाधिकारियों की मंशा को भांप अपने तीनों ठिकानों से पलायन कर गया है, लेकिन मंगलवार को तेंदुआ परिवार फिर से अपने पुराने ठिकाने भड़ौली-जड़ौदा के जंगल में बीच सड़क पर असीलपुर के निवर्तमान प्रधान शकील और उसके साथी साजिद को दिखा। प्रधान ने अपनी कार से उसका पीछा करने की कोशिश की तो तेंदुआ कूदकर गन्ने के खेत में छुप गया।
शुक्रवार शाम लगभग 5:30 बजे तेंदुआ परिवार सालौर निवासी बोबी और सोनू को भड़ौली के जंगल में दिखा। दोनों भाइयों को बाइक पर देख वह ठहरकर गुर्राया। हालांकि बोबी ने हालात देख बाइक रोक ली और तेंदुआ रास्ता पार कर दूसरे खेत में उतर गया।
शनिवार तड़के भड़ौली निवासी ओमकार को तेंदुआ उसके ट्यूबवेल की नाली में खड़ा मिला। ओमकार ने बताया कि वह ईख की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल पर पहुंचा तो तेंदुआ उसे देख गुरार्ने लगा। दहशतजदा किसान उलटे पांव घर लौट गया और ग्रामीणों को पुन: तेंदुआ दिखने की सूचना दी। जिस पर दर्जनों ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जहां ग्रामीणों को पदचिह्न तो दिखे, लेकिन तेंदुआ नहीं।
जंगल में लगातार तेंदुआ दिखाई देने से ग्रामीणों में दहशत और रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग तेंदुए को पकड़ना नही चाहता। पिछले महीने 15 दिन खानापूर्ति अभियान चलाकर विभाग भी तेंदुए की तरह चुपके से पिंजरे और जाल उठाकर निकल गया।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग को शायद किसी अप्रिय घटना का इंतजार है। वहीं, इस बाबत डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि उन्हें सूचना नहीं मिली है। अगर सूचना मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।