Wednesday, April 23, 2025
- Advertisement -

Asian Games 2023: मेरठ की बेटी पारूल ने जीता चांदी, ओलंपिक फतह की जिद

  • किसान की बेटी पारुल ने किया इकलौता का नाम रोशन
  • इतिहास रचा कर किया नाम ऊंचा, मेरठ की बेटी पारूल ने बढ़ाया मान
  • एशियाई खेलों की 3000 स्टीपलचेज में जीता रजत, मेरठ के इकलौता गांव की रहने वाली हैं पारुल
  • किसान परिवार की बेटी पेरिस ओलंपिक के लिए पहले ही कर चुकी क्वालिफाई

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ/मोदीपुरम: इरादे आसमानी हो तो मंजिल मयस्सर हो ही जाती है। एशियाई खेलों में नौंवे दिन भारत के हिस्से में कुल मिलाकर सात पदक आए लेकिन एक रजत पदक एसा, जिसने निजी तौर पर यूपी और विशेषकर क्रांतिधरा के खेलप्रेमियों को बड़ी सौगात दे डाली। 3000 मीटर स्टीपलचेज में मेरठ की बेटी पारूल के पराक्रम ने देश को चांदी
दिला दी।

28 वर्षीय पारुल दौराला के इकलौता गांव की बेटी हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली पारूल ने जीरो से सफर शुरू किया और आज जब पोडियम पर वह रजत पदक लेने खड़ी हुई तो इस सफर में चार चांद लग गए। पिता कृष्णपाल आल्हादित हैं, पारुल के कोच गौरव की खुशियों का ठिकाना नहीं।

20 1

बकौल गौरव, अभी बहुत लंबा सफर तय करना है पारुल को। ओलंपिक में मेडल जीतना पारुल का भी सपना है और कोच गौरव का भी। पूरे परिवार में जश्न का माहौल, गांव में पारुल के दमखम के चर्चे हैं। पारुल का अपना कमरा बहुतेरे मेडल से भरा हुआ है, इस बार जब बेटी घर लौटेगी तो इन मेडल के बीच एक रजत एशियाड का भी होगा।

पारुल ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में नौ मिनट 27.63 सेकेंड के साथ रजत पदक जीता। कांस्य भी भारत के हिस्से में आया और प्रीति तीसरे स्थान पर रहीं। दौराला ब्लॉक के छोटे से गांव इकलौता गांव की किसान की बेटी पारुल होनहार एवं मेहनती खिलाड़ी है। पारुल के पिता कृष्ण पाल एक साधारण किसान है।

मां राजेश देवी गृहिणी हैं। दोनों ने अपने बच्चों को शिखर पर पहुंचने में कोई कसर छोड़ी नहीं है। आज इन्हीं की मेहनत का फल है कि पारुल एक के बाद एक प्रतियोगिता में अपना परचम लहरा रही है और अपने साथ-साथ देश का नाम भी रोशन कर रही है। पारुल चौधरी ने पहले ही पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है।

हंगरी में आयोजित वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मेरठ की बेटी पारूल चौधरी पदक से चूक गईं थीं, वहां 3000 मीटर स्टेपल चेज स्पर्धा में पारुल 11वें स्थान पर रहीं, लेकिन पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए उन्होंने क्वालीफाई कर लिया था। इस तरह पारुल का एशियाई खेलों में पदक पाने का सपना पूरा हो चुका, अब उनकी नजर ओलंपिक में बाजी मारने
पर रहेगी।

पारुल ने पहले भी किया कमाल

पारुल चौधरी के कोच गौरव त्यागी बताते है कि दो माह पहले ही थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित चैंपियनशिप में पारुल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 2018 में एशियन गेम्स में भी पारुल पदक जीत चुकी है। पारुल दो बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।

ओलंपिक जीतकर करना है नाम रोशन

पारुल के पिता कृष्णपाल ने बातचीत के दौरान बताया कि बचपन से ही पारुल मेहनती और जिद्दी है। वह अपना काम करने के लिए जब ठान लेती है तो वह उसे अंजाम तक पहुंचती है। पारुल की मेहनत का ही नजरिया है कि वह आज देश का नाम रोशन कर रही है। अब पारुल का मकसद ओलंपिक में पदक जीतना है और देश का नाम रोशन करना है। पारुल की लगातार उपलब्धियां से वह और उनका परिवार बहुत खुश है। सोमवार को ढोल नगाड़ों के साथ ग्रामीणों ने मिठाइयां बाटकर खुशी मनाई है।

पारुल पर हमें गर्व

मेरठ की एथलीट की शानदार सफलता पर बोले चीफ डी मिशन भूपेंद्र सिंह बाजवा- ये हम सब के लिए गौरव के पल हैं। देश के लिए पदक जीतना हमेशा सुखद होता है और पारूल ने शानदार प्रदर्शन कर सभी का दिल जीता है।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Dipika Kakkar: पहलगाम हमले के बाद दीपिका-शोएब पर फूटा यूजर्स का गुस्सा, बोले-‘शर्मनाक’

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img