जरा अपना बचपन याद करें। सड़कों पर धूल में खेलना, गलियों में इधर से उधर दौड़ लगाते विष अमृत का खेल खेलते बच्चे या फिर खो-खो खेलती बालिकाएं, ये सब हमारे बचपन की यादें हैं लेकिन ये सब अब बीते जमाने की बातें हो चुकी हैं। आजकल के बच्चे पढ़ाई में घिरे रहते हैं। उन्हें घर से बाहर निकलने का ऐसा मौका नहीं मिला। अब सडकों पर अपने बच्चे को कोई भी मां बाप भेजना पसंद नहीं करते।
पढ़ाई के बाद बच्चे सिर्फ घर में ही वीडियो गेम खेलते हैं या फिर टीवी देखते हैं। यही उनका रूटीन हो गया है। बच्चों के खाने-पीने की तो पूछिए ही मत। पहले समय के मुकाबले में आजकल के बच्चों का खान-पान पूरी तरह से बदल चुका है। बच्चे संतुलित भोजन नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि वे बाजार की रेडिमेड चीजें खाने में ज्यादा ध्यान देते हैं जिससे उनके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है। दूसरे उनका वजन भी बढ़ता चला जाता है।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी और वजन बढ़ने से कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। यह सब फलों और हरी सब्जियों के बजाय फास्ट फूड एवं ज्यादा वसायुक्त चीजें खाने के कारण होता है बच्चों में एक जगह बैठे रहकर टीवी देखना या वीडियो गेम खेलना मोटापे को बढ़ावा देता है। पहले समय के मुकाबले में आज मोटे और ज्यादा वजन वाले बच्चों की सं?या तेजी से बढ़ी है, यह एक चिंता का विषय है चूंकि मोटापा होने से हृदय रोग, डायबिटीज और हाईब्लडप्रेशर आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि मोटापा कम करने का उपाय न किया जाये तो बच्चा बड़ा होने पर भी वैसा ही रहता है। ऐसे में पित्ताशय से संबंधित बीमारियां एवं कैंसर आदि होने का खतरा रहता है। ज्यादा मोटे बच्चों को सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। उनके साथी बच्चे स्कूल में या खेल के मैदान में उन पर हंसते हैं। उन्हें चिढ़ाते हैं। इससे इन बच्चों में निराशा उत्पन्न होती है। उनका आत्मविश्वास कम होता चला जाता है। ये बच्चे हिंसक भी बन सकते हैं।
यदि आपका बच्चा भी मोटा है तो तुरंत सावधान हो जाइए। उसके खान-पान की आदतों को बदल डालिए जिससे उसका सही पोषण हो। बच्चे को खाने के लिए ज्यादातर फल, सब्जियां एवं अनाज ही दें। उन्हें ज्यादा चिकनाइयुक्त भोजन न दें क्योंकि चिकनाइयुक्त भोजन में पोषक तत्वों की कमी होती है। बिस्किट, टॉफियां, चिप्स, चाकलेट आदि कम से कम दें।
बच्चे में हर समय कुछ न कुछ खाते रहने की आदत न पनपने दें। उनकी व्यायाम एवं खेलकूद करने के लिए भी कहें। उनकी दिनचर्या ऐसी रखें जिससे मोटापे को पनपने का मौका न मिले। बच्चे चुस्त दुरूस्त रहेंगे तो घर भी खुशहाल रहेगा।
बच्चे को आप तभी कंट्रोल कर सकते हैं जब आप स्वयं पर कंट्रोल करते हों। यदि आप गलत आहार लेते हैं तो बच्चा भी आपसे प्रेरित होगा। आप भी बाजार की चीजें कम खायेंगे तो बच्चा भी कम खाएगा। आप बच्चे के साथ जैसा करेंगे, वैसा ही पायेंगे। बच्चा सभी आदतें माता-पिता से सीखता है।
बच्चे को कम टीवी देखने दें। उसे खेल के मैदान में खेल खेलने के लिए प्रेरित करें। उसे कोल्डड्रिंक वगैरह कम से कम पीने दें क्योंकि इनमें कैलोरी ज्यादा होती है। बच्चे को अपने साथ घूमने ले जायें। बच्चे की जिद के आगे नहीं झुकें। थोड़ा कड़ा रुख भी अपनाएं।
शिखा चौधरी