देश में कोरोना के एये मामले फिर से बढ़त की ओर हैं। वैसे डाक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा इस बात की आंशका पहले से ही जताई जा रही थी कि सर्दी के मौसम में कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है। वहीं त्यौहारी मौसम में कोरोना से बचाव के सारे कायदे-कानूनों की जमकर धज्जियां उडाई गई। जनता की घोर लापरवाही और प्रशासन की ढील का नतीजा अब सामने है। देशभर से कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ने की खबरें मीडिया के माध्यम से सामने आ रही हैं। हालात के मद्देनजर गुजरात और राजस्थान राज्यों में रात्रि कफर््ूर्य लगाया गया है। नए संक्रमणों की तुलना में स्वस्थ होने वालों की संख्या बीते डेढ़ महीने में बढ़ने से राहत अनुभव की जा रही था। लेकिन बीते एक सप्ताह में वह अंतर फिर घटता जा रहा है।
सबसे बुरा हाल देश की राजधानी दिल्ली का है। बीते कुछ दिनों के भीतर देश की राजधानी दिल्ली में जो भयावह स्थिति बन गई उसके कारण केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी और दिल्ली उच्च न्यायालय ने केजरीवाल सरकार को समय रहते पुख्ता इंतजाम नहीं करने के लिए लताड़ लगाई। दिल्ली से आ रही खबर पूरे देश में प्रसारित होने के बाद भी लोगों ने उस पर ध्यान नहीं दिया और एक तरह से ये मान लिया कि कोरोना पूरी तरह लौट चुका है। हालांकि इस बेफिक्री के पीछे वैक्सीन को लेकर आने वाली भ्रामक जानकारियां भी बड़ा कारण बनीं। भारत सरकार सहित निजी क्षेत्र ने भी वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर जिस तरह का माहौल बनाया उससे लगने लगा कि दिसम्बर या हद जनवरी तक भारत में कोरोना का टीका सहज रूप से मिलने लगेगा। चूंकि भारत वैक्सीन उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है और विश्व के अनेक देशों द्वारा कोरोना का जो टीका खोजा गया उसके उत्पादन का काम भारतीय कम्पनियों को ही मिल रहा है इसलिए भी ये एहसास प्रबल हो गया कि जल्द ही देशवासियों को कोरोना के विरुद्ध रक्षा कवच हासिल हो जाएगा।
वहीं जमीनी हकीकत यह भी है कि लॉकडाउन हटने के बाद व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आई और आवागमन भी बढ़ा। सितम्बर के आखिरी सप्ताह से लगातार जो आंकड़े आये उनमें कोरोना तेजी से ढलान पर आता दिखा। नए संक्रमणों की संख्या में तेजी से कमी आने लगी वहीं स्वस्थ होकर घर लौटने वाले भी बढ़ते गये। इसकी वजह से भी लोगों का हौसला बढ़ा और कोरोना की वापिसी संबंधी चेतावनियों की जमकर उपेक्षा की जाने लगी। इसी दौरान बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए। मप्र में 28 उपचुनाव के कारण भी कोरोना की प्रति जमकर लापरवाही नजर आई। दीपावली के साथ ही शादी सीजन की खरीदी भी इस दौरान होती दिखी। और इन सब वजहों का संयुक्त परिणाम कोरोना की दूसरी लहर के रूप में देखने मिल रहा है। त्यौहारी सीजन के बाद शासन-प्रशासन ने स्थिति की समीक्षा की त्योंही दोबारा प्रतिबंधात्मक कदम उठाने पर विचार किया जाने लगा। शुरूवात दिल्ली से हुई और धीरे- धीरे अनेक राज्यों से खबरें आने लगीं। गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश मे ंरात्रि कफ्ूर्य से लेकर तमाम दूसरे उपाय किये जा रहे हैं। दिल्ली में विवाह आयोजनों में अतिथि संख्या घटाकर 50 कर दी गयी। अन्य राज्यों से भी इसी तरह के फैसले लिए जाने की जानकारी आ रही है। दोबारा लॉकडाउन की अटकलें भी दबी जुबान सुनाई दे रही हैं।
असल में जब यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कहर बरपा रही थी तो हमें भी सतर्क हो जाना चाहिए था। दरअसल, लंबे समय से लॉकडाउन में उकताये लोगों ने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होते ही अतिसक्रियता और लापरवाही बढ़ा दी, जिसके चलते संक्रमण को पांव पसारने का मौका मिल गया। यही वजह है कि पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमण के एक-तिहाई मामले सामने आए हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को विवाह और अन्य कार्यों में 250 से 50 की संख्या में रिश्तेदारों की उपस्थिति का आदेश पारित नहीं करने के लिए फटकार लगाई क्योंकि दिल्ली में कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं। वैसे दिल्ली में मरने वालों की स्थिति नियंत्रण में थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि हालत नियंत्रण से बाहर हो गई। एक ओर कोरोना मरीजों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर सड़कों पर सैकड़ों और बाजारों में हजारों की संख्या ऐसे लोगों की नजर आ जाएगी जो बिना मास्क के घूम रहे हैं। दरअसल ऐसे गैर जिम्मेदार लोग ही कोरोना की वापिसी की असली वजह हैं। शासन-प्रशासन अपने स्तर पर जो भी कर रहे हैं वह अपनी जगह हैै और उसमें आलोचना की जबर्दस्त गुंजाइश भी है किंतु बेहतर होगा हर नागरिक स्वयं तो कोरोना संबंधी सावधानियां रखे ही लगे हाथ बल्कि अपने संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उस हेतु प्रेरित, प्रोत्साहित और जरूरत पड़ने पर प्रशिक्षित भी करे।
बीते लगभग 8 महीनों में एक बात तो तय हो ही गई है कि कोरोना पर विजय पाई जा सकती है। लेकिन इसके लिए जो जरूरी उपाय हैं वे करना अनिवार्य हैं। मास्क, सैनीटाईजर का उपयोग और हाथ धोते रहने के साथ ही शारीरिक दूरी जैसा साधारण सा अनुशासन कोरोना से बचाव में सहायक हो सकता है। भारत ने जिस तरह से इस महामारी का मुकबला किया उसकी दुनिया भर में प्रशंसा हुई है। टीके के विकास में भी हमारी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है लेकिन फिलहाल कोरोना पलटवार करता हुआ नजर आ रहा है। सरकारों के प्रयासों के बीच नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि कोरोना संकट से लड़ने में निर्णायक भूमिका निभाएं। हम यह न भूलें कि देश की आर्थिकी संकट के दौर से गुजर रही है, कोरोना का प्रसार उसे और नुकसान पहुंचाएगा।