- मुजफ्फरनगर की ख्यातिलब्ध साहित्यकार की उपब्धियों में हुआ इजाफा, हंगामा लोक साहित्यिक संस्था ने भी नवाजा
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: ख्यातिलब्ध साहित्यकार डॉ पुष्पलता को सावित्री बाई फुले नारी रत्न सम्मान 2023 प्रदान किया गया है। उन्हें हंगामा लोक साहित्यिक संस्था ने भी नवाजा। तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों पर हमेशा गरिमामयी दृष्टिकोण प्रस्तुत करने वाली जिले की साहित्यकार डा. पुष्पलता अधिवक्ता अपने सृजनात्मक लेखन के लिए जानी जाती है। उन्हें यह सम्मान शिक्षा, शैक्षणिक शोध, साहित्य, कला एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान पर प्रदान किया गया।
सावित्री बाई फुले नारी रत्न सम्मान 2023 प्रदान करते हुए संस्था ने डा. पुष्पलता की साहित्यिक क्षमताओं की प्रशंसा की। लिखा कि उनकी गजलों में गजल परंपरा का वह रूप दिखाई देता है, जो प्रेम विषयक है। कहीं-कहीं सामाजिक विसंगतियों का चित्रण बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करता है। उन्होंने कहा कि डा. पुष्पलता की मुक्त छंद व छंद मुक्त कविताओं में भी गीत तथा छंद जैसा प्रवाह रहता है। निधन से पूर्व कुंवर बेचेन भी डा. पुष्पलता के साहित्य की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर चुके हैं। बेचेन ने उनकी कृति एक और वैदेही तथा एक और अहिल्या जैसे प्रबंध काव्यों की प्रशंसा करते हुए विषय के प्रति उनकी जागरूकता और सूक्ष्म दृष्टि को भी अहम बताया था।
शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान से भी नवाजी जा चुकी
साहित्यकार डा. पुष्पलता को दो वर्ष पूर्व सविता चड्ढा जन सेवा समिति के तत्वावधान में दिये जाने वाले शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान-2021 से भी नवाजा गया था। समिति की और से डा. पुष्पलता को बच्चों को संस्कारित कैसे करें विषय पर किये गए लेखन पर सम्मानित करने की बात कही गई। दिये गए सम्मान पत्र में समिति महासचिव सविता चड्ढा ने साहित्यकार को सम्मानित करते हुए संस्था के अपने को गौरवान्वित महसूस करने की बात की थी।
प्रभावित करती रही है डॉ. पुष्पलता की रचनाएं
डॉ. पुष्पलता की मुक्त छंद व छंद मुक्त कविताओं में गीत व छंद जैसा प्रवाह रहता है। डॉ.पुष्पलता के ‘एक और वैदेही’ और ‘एक और अहिल्या’ जैसे प्रबंध काव्यों में भी इनकी इस बहती हुई शैली के साथ विषय के प्रति जागरूक और सूक्ष्म दृष्टि रहती है। उनके संग्रह ‘मन का चांद’ में सौंदर्यानुभूति और प्रेम की विविध छवियां हैं। ‘अरे बाबुल काहे को मारे’ कविता भ्रूण हत्या संबंधी बड़ी ही कारुणामयी कविता है। डॉ. पुष्पलता के ‘परत पर परत’ में अनेक विचारोत्तेजक विचार लेख हैं।